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Balrampur Terror Funding — जब धर्म बदला, दिशा भी बदल दी गई
बलरामपुर के शांत दिखने वाले मैदानों के नीचे इस वक्त एक और ही जमीन खिसक रही है। धर्मांतरण के बहाने जो खेल शुरू हुआ, अब वह (Balrampur Terror Funding) टेरर फडिंग में तब्दील हो चुका है। एक ओर पाकिस्तान को पैसे भेजे जा रहे हैं, और दूसरी तरफ प्रशासन बस पकड़े गए चार लड़कों पर जांच का बोझ डालकर चैन की नींद सोना चाहता है।
Cyber Fraud के खाते, लेकिन मोटी रकम पाकिस्तान में जमा
कहते हैं यूपी का युवा आजकल टेक्नोलॉजी में तेज है। अब देखिए न, लड़कों ने साइबर फ्रॉड के नाम पर अकाउंट खुलवाया, पैसा आया और सीधा चला गया पाकिस्तान। यूपी की टेढ़ी गलियों से सीधे लाहौर तक फंडिंग — और एटीएस को अब जाकर पता चला? वाकई, एजेंसियां भी तभी जागती हैं जब पानी सिर से ऊपर और फोटो फ्रंट पेज पर पहुंच जाता है।
धर्मांतरण के बाद टेरर फंडिंग — क्या अगला पड़ाव है आतंकी भर्ती?
पुलिस कहती है जांच चल रही है। ATS कहती है दिल्ली गए हैं। आम आदमी पूछ रहा है — क्या ये सब Netflix की किसी वेब सीरीज़ का हिस्सा है? अब तो यही डर है कि अगली बार जब धमाका होगा, तो सरकार कहेगी — “हम पहले से सतर्क थे, CCTV चालू था।”
बिना नंबर प्लेट गाड़ी — ‘गाड़ी चली और सरकार सोई रही’>Balrampur Terror Funding
बलरामपुर की सड़कों पर बिना नंबर की गाड़ियां दौड़ रही हैं, लेकिन पुलिस की आंखें शायद हेलमेट पहन कर सो रही हैं। किसी ने पूछा कि गाड़ियों की पहचान क्यों नहीं? जवाब मिला — “देखता हूं।” अब जनता पूछ रही है — भाई, आप देखने में हैं या साँठ-गाँठ में?
Scorpio से कैदियों की विदाई — जेल या जलेबी की दुकान? Balrampur Terror Funding
सरदेवाड़ी जेल से कैदी छूटे और पुलिस उन्हें स्कॉर्पियो में बिठाकर ले गई — और घरवाले खड़े रह गए, जैसे किसी बारात में दूल्हा बिन बताए निकल गया हो। SI साहब बोले — “तुम लोग यहीं रुको।” लगता है पुलिस अब गूगल मैप पर नहीं, मनमर्जी पर काम कर रही है।
ATS के सामने नई चुनौती — Terror Funding का ‘ग्रामीण मॉडल’
अब सवाल ये है कि जिन खातों में पैसा जमा होता रहा, वो गांव के सीधे-सादे युवक हैं या फुलटाइम फाइनेंसर? ATS अब खुद हैरान है कि Balrampur Terror Funding का नेटवर्क रायबरेली से लेकर दिल्ली तक फैला है।
बलरामपुर से लाहौर — बिच में ‘न्याय’ कहीं खो गया है> Balrampur Terror Funding
अब जब मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब जाकर प्रशासन की नींद खुली। वही प्रशासन, जिसने धर्मांतरण को अफवाह बताया, वही अब टेरर फंडिंग की जांच का झंडा उठाए खड़ा है। पर कार्रवाई? बस जांच जारी है — यानी चाय चल रही है।
यूपी पुलिस — प्रचार तेज, पर कार्रवाई फीकी
कैदियों को भगाना, बिना नंबर गाड़ियों को नजरअंदाज करना और पाकिस्तान फंडिंग पर “देखते हैं” कहना — ये सब उस प्रदेश में हो रहा है, जहां पोस्टर में कानून सख्त दिखता है और जमीन पर गुंडे।
जनता का सवाल — क्या कोई बड़ा हादसा ही प्रशासन को जगा पाएगा? Balrampur Terror Funding
लोग कह रहे हैं — जब तक धमाका न हो, तब तक न बयान आता है, न एक्शन। क्या वाकई अब प्रशासन ‘ब्लास्ट अलर्ट’ पर काम करेगा?
अब जवाब मांगेगा हर नागरिक — Balrampur को कब मिलेगा न्याय?
सरकार, पुलिस, एजेंसी, प्रशासन — सबको एक ही सवाल पूछा जाना चाहिए:
“आपको और कितने सबूत चाहिए कि हम खतरे में हैं?”
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: राहुल रतन
📍 लोकेशन: बलरामपुर, यूपी

 
         
         
         
        