Balrampur Suicide-बलरामपुर जिले के शेखापुर गांव में खुदकुशी की एक घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। नाजिया बानो की फांसी की ये कहानी हर मां-बाप के लिए सवाल छोड़ गई है।
खामोशी में डूबी नाजिया की कहानी
शेखापुर गांव में गुरुवार की रात हर कोई ठिठक गया, जब खबर आई कि जफर अली की 18 साल की बेटी नाजिया बानो ने अपने ही घर में फांसी लगा ली है। कोई चुपचाप कमरे में गया और नाजिया को उस हालत में देखा, तो गांव में चीखों का सन्नाटा गूंज उठा। खुदकुशी अब सिर्फ एक शब्द नहीं, एक परिवार की टूटी हुई दुनिया का नाम बन गया है।
Balrampur Suicide से उठे अनकहे सवाल
घटना की सूचना पुलिस को दी गई। कुछ ही देर में बलरामपुर के अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पांडे मौके पर पहुंचे। कमरे की दीवारें और वो फंदा, बहुत कुछ बोल रहे थे लेकिन सच अभी भी लापता है। विशाल पांडे ने बताया कि पारिवारिक प्रकरण को खंगाला जा रहा है — किस वजह से नाजिया ने अपनी जिंदगी को फंदे से जोड़ दिया, इसका जवाब तलाशा जा रहा है।

आखिरी मुस्कान, जो अब तस्वीरों में कैद है
नाजिया बानो सिर्फ 18 साल की थी — हंसती-खेलती, पढ़ाई करती, सपने देखती एक लड़की। गांव में जिसने भी नाजिया को देखा, वो अब उस मुस्कान को याद कर रहा है जो चुपके से मौत के आगोश में चली गई। पड़ोस की लड़कियां कहती हैं, वो चुपचाप थी पर कभी इतनी टूट जाएगी किसी ने सोचा नहीं था। Suicide की ये खबर अब गांव की चौपालों में दर्द बनकर तैर रही है।
पुलिस के सामने सुलझा नहीं ये Balrampur Suicide
पुलिस की जांच कई एंगल पर घूम रही है — पारिवारिक कलह? कोई अनकहा दबाव? या फिर वो खामोशी जो नाजिया बानो के कमरे की दीवारों में कैद रह गई? हर कोई बस एक ही सवाल कर रहा है — 18 साल की बच्ची ने आखिर ऐसा कदम क्यों उठाया? परिवार में मातम है, लेकिन जवाब नहीं। पुलिस कह रही है कि जल्द खुलासा होगा, मगर गांव वालों को लगता है ये सच कभी किसी फाइल में ही दबकर रह जाएगा।
Balrampur Suicide — सवालों से भरी चुप्पी
जब किसी की जिंदगी यूं अचानक फांसी के फंदे पर खत्म हो जाती है तो पूरा गांव हिल जाता है। बलरामपुर का शेखापुर भी अब ऐसे ही अनगिनत सवालों में उलझा है। लोग कह रहे हैं — नाजिया की मौत बस एक आंकड़ा बन जाएगी या कोई सीखेगा भी? क्या बलरामपुर की ये कहानी बाकी बेटियों के लिए कोई सबक छोड़ पाएगी?
आखिरी सवाल — कौन सुनेगा?
नाजिया चली गई — अब पीछे रह गई उसकी तस्वीरें, उसकी अधूरी पढ़ाई, मां-बाप की चीखें और वो फांसी का फंदा जिसे कोई भी बच्चा दोबारा गले न लगाए। सवाल ये है — क्या कोई सुनेगा?
