Balrampur School Closure: बलरामपुर में School Closure के चलते हजारों गरीब बच्चों की पढ़ाई अधर में लटक गई है। पीस पार्टी के जिला अध्यक्ष सगीर अहमद खां ने 5000 स्कूल बंद होने, आधार कार्ड की अनिवार्यता और स्कूल परिवहन नीति के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सरकार से गरीबों के हक में नीतियां बदलने की अपील की है।
“स्कूलों में ताले, बच्चों का भविष्य उधार — नेता जी दे रहे ज्ञान की गारंटी!”
बलरामपुर से इस वक्त एक सवालों भरी चिट्ठी उठी है — सवाल उन बच्चों के नाम जो कभी स्कूल जाते थे और आज गांव की गलियों में उधम मचाते फिर रहे हैं!
पीस पार्टी के जिला अध्यक्ष सगीर अहमद खां ने सरकार को आईना दिखाते हुए ताबड़तोड़ हमला बोला है। उन्होंने महामहिम राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में साफ कहा — “भईया! 5000 स्कूल बंद कर दिए, बच्चों को धक्के खाने छोड़ दिया!”
अब गांव का किसान हो या मजदूर, उनके बच्चों के लिए स्कूल जाना सपना बन गया है। स्कूल तो दूर, सड़क तक सही नहीं — और सरकार कहती है, पढ़ो बेटा पढ़ो!
Balrampur School Closure – आधार कार्ड बना आफत
सगीर अहमद खां ने दूसरा तीर छोड़ा — कक्षा आठ तक आधार कार्ड अनिवार्य! गांव का गरीब मजूर कैसे बनवाए? किसके पास जाए?
“बच्चे पढ़ने आएं या कागज कटवाएं?” — यही सवाल पूछते हुए सगीर अहमद ने सरकार को नसीहत दी कि यह फरमान वापस लो, वरना सरकारी फाइलों में ही बच्चों की पढ़ाई दफन हो जाएगी।
शिक्षामित्रों की भी सुध लो सरकार! Balrampur School Closure
ज्ञापन में उन्होंने सालों से झुलस रहे शिक्षामित्रों के दर्द को भी लपक लिया — बोले,
“ठेका मजदूर नहीं हैं ये! पढ़ाई की रीढ़ हैं — इन्हें पक्का करो, तनख्वाह भरो और पदोन्नति दो।”
साथ ही प्रधानाचार्य की तैनाती से लेकर बच्चों की नाक में दम करने वाली बेतुकी प्रतियोगिताओं पर भी नकेल कसने की मांग ठोंक दी।
गांव का बच्चा हेलिकॉप्टर से नहीं आता, सरकार सुन ले! Balrampur School Closure
सरकार को ये समझना होगा कि गाँव का बच्चा हेलिकॉप्टर पकड़कर स्कूल नहीं जाता! सड़क, साधन और सुरक्षा अगर नहीं दे सकते तो स्कूल बंद कर देने से किसका भला होगा? शहरों के कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले अफसरों के बच्चे तो फिर भी सेफ हैं — सवाल तो गाँव के उस मासूम का है जो खेत के मेड़ से किताब उठा कर स्कूल तक पहुँचता था।
Balrampur School Closure-ताले, फटे जूते और इंतज़ार… ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती!
पीस पार्टी के सगीर अहमद खां का यह झंडा लहराना बताता है कि गाँव अब चुप नहीं बैठेगा। सरकारी बाबुओं को AC दफ्तर छोड़कर देखना होगा कि बंद स्कूलों के ताले, फटे जूते और भीगी कॉपियां किसका इंतज़ार कर रही हैं। सवाल बड़ा है — Balrampur School Closure कहीं पूरे प्रदेश का सच न बन जाए, वरना आने वाली नस्लें किताबों में स्कूल का नाम पढ़कर सिर्फ अफसोस ही कर पाएंगी!
✅ Written by khabarilal.digital Desk
📍 Location: बलरामपुर,यूपी
🗞️Reporter: राहुल रतन
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