बलरामपुर में Registry Office का नया पता आम लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। अधिवक्ता अपनी मांगों पर अड़े हैं — Registry Office अपनी जगह पर रहे, स्टांप शुल्क भी घटे। जनता चाहें तो कोर्ट बंद रहे या सड़क जाम — पर Registry Office के नाम पर आंदोलन ज़रूर चलेगा!
Registry Office की सैर — जनता की खैर नहीं!
बलरामपुर के लोग वैसे भी कचहरी आने से डरते हैं, ऊपर से अब Registry Office ने जगह बदल ली तो मानो हद ही हो गई! बेचारे अधिवक्ता साहब लोग कोर्ट में तारीख पर तारीख देते-देते थक गए थे, अब Registry Office ने भी उन्हें ‘4 किलोमीटर’ लंबी एक्सरसाइज थमा दी। कहते हैं, Registry Office तो चल पड़ा — जनता पैदल चले या ट्रक से, इससे किसे फर्क पड़ता है?
चक्का जाम — Registry Office बना आंदोलन का नया ठिकाना

गुस्साए वकीलों ने बुधवार को कचहरी के सामने ऐसा चक्का जाम किया कि बलरामपुर-हरिहरगंज रोड पर गाड़ियों की कतार देख कर लग रहा था कि Registry Office वहीं शिफ्ट हो गया हो! आधे घंटे तक गाड़ियाँ हॉन बजाती रहीं, ड्राइवर माथा पीटते रहे, लेकिन अधिवक्ताओं ने भी कसम खा रखी थी — Registry Office वहीं रहेगा जहां वकील चाहेंगे, नहीं तो रास्ता बंद रहेगा!
बार एसोसिएशन की हुंकार — Registry Office नहीं जाएगा!
कलेक्ट्रेट बार अध्यक्ष रमेश चंद्र त्रिपाठी ने तर्क दिया — 4 किलोमीटर ज़्यादा चलने से जनता परेशान होगी। अब जनता रोज़ कोर्ट-कचहरी घूमेगी तो वकील साहब भी गर्मी में कैसे आराम फरमाएँगे? जिला बार अध्यक्ष अजय बहादुर सिंह और महामंत्री केजी श्रीवास्तव ने तो स्टांप शुल्क बढ़ोतरी को भी मुद्दा बना डाला। Registry Office के साथ-साथ स्टांप भी घटाओ भाई — वरना ठप रहेगा सारा न्याय!
न्यायिक कार्य ठप — जनता देखती रही तमाशा

हड़ताल के कारण पूरा न्यायिक काम ठप पड़ा है। किसी की जमानत रुकी, किसी की तारीख लटक गई, किसी का तलाक अटका पड़ा। पर Registry Office की नयी लोकेशन के आगे किसे पड़ी है? आम आदमी कोर्ट आया तो घर लौट गया — Registry Office ने करवाया अनचाहा ‘फ्री वर्कआउट’!
Registry Office विवाद में पुलिस भी मूक दर्शक
चक्का जाम के बीच भारी पुलिस बल तैनात रहा। हांलांकि पुलिस ने जनता को Registry Office तक पहुंचाने की बजाय सिर्फ सायरन बजाकर हालात गंभीर दिखाए। अधिवक्ता बोले — मांग पूरी नहीं, तो हड़ताल जारी। पुलिस बोले — ड्यूटी पूरी नहीं, तो तनख्वाह काटेगा कौन?
Registry Office विवाद — जनता मरे या जिए!
आखिर में जनता को कौन पूछे? Registry Office जाए चाहे नेपाल — जनता को आना ही पड़ेगा। कोर्ट में पेशी, Registry Office में फीस, बीच में चक्का जाम — यही बलरामपुर का ‘विकास’ मॉडल है!
