 
                  बलरामपुर का Moharram Mela इस बार करबला से निकलकर सड़कों पर पहुंच गया। मजार पर फातिहा, गलियों में अलम और बाजार में जाम — सबकुछ मिला इस मेले में। कहीं अमन की दुआ, तो कहीं बाइक स्टैंड में चोरी से बचने की जद्दोजहद — Moharram Mela में हर रंग दिखा!
करबला में Moharram Mela
बलरामपुर के हरवंशपुर करबला में इस बार Moharram Mela सिर्फ फातिहा तक सीमित नहीं रहा।
मजार पर हजरत इमाम हुसैन की याद में लोग जुटे — और सड़कों पर बाइक-साइकिल का Moharram Mela लग गया!
अमन-चैन की दुआ के बीच मोटरसाइकिलों ने भी दुआ कर डाली — खुदा जाम से बचा!
जाम में फंसा Moharram Mela

आया तो था करबला पर फातिहा पढ़ने — लेकिन पार्किंग से लेकर रोड तक Moharram Mela बन गया।
चोरी न हो इसलिए स्टैंड बना — मगर गाड़ियां स्टैंड में कम, रोड पर ज्यादा!
पुलिसकर्मी बेचारे साइकिल-मोटर जाम में Moharram Mela के मजे लेते दिखे।
अलम के साथ जुलूस, बाजार में खरीदारी
दोपहर बाद अलम का जुलूस निकला तो गलियों ने Moharram Mela को और लंबा खींच दिया।
या हुसैन की सदाएं, मोहल्लों में स्वागत और बाजार में टिक्की-चाट — पूरा शहर Moharram Mela के रंग में रंगा।
दुकानदारों ने भी नोटों का जुलूस निकाला — मेले में हर चीज बिक गई!
Moharram Mela में अमन की दुआ

जाम से परेशान लोग भी हंसते रहे — आखिर Moharram Mela में शहादत की याद और अमन की दुआ ही तो असली मकसद है।
कहीं फातिहा, कहीं चाय-पानी, कहीं खरीदारी — Moharram Mela में सबको मिला कुछ न कुछ!
सियासत भी देख रही है Moharram Mela
पिछली बार Moharram Mela के नाम पर सियासत खूब गरमी थी — किसी ने पार्किंग पर सवाल उठाए थे, किसी ने जुलूस पर।
विपक्ष ने तब भी कहा था कि सब दिखावा है — लेकिन बलरामपुर में इस बार सब चुपचाप अमन चैन मांगते दिखे।
देखना दिलचस्प होगा कि पंचायत चुनाव आते-आते Moharram Mela से सियासत को क्या मसाला मिलेगा!
Moharram Mela और वोट

जुलूस, करबला और जाम के इस मेल में वोट की बुनियाद भी छुपी है।
नेता इस बार भी Moharram Mela के बहाने अपनी जुबान गरम करेंगे — कोई पार्किंग का मुद्दा उठाएगा, कोई भीड़ का।
पर बलरामपुर वालों ने दिखा दिया — Moharram Mela हो या पंचायत चुनाव — अमन सबसे ऊपर है, वोट बाद में
Moharram Mela का आखिरी रंग
बलरामपुर के इस Moharram Mela में एक ही ख्वाहिश गूंजती रही — या हुसैन!
लोग लौटे, सड़कें खाली हुईं — लेकिन करबला की मिट्टी पर दी गई कुर्बानी की याद और भाईचारे की मिसाल फिर जी उठी।
बस, अगली बार अगर जाम कम हो तो Moharram Mela और सुहाना लगे!

 
         
         
         
        