 
                  Balrampur — गाँव वालों की उम्मीदें हर साल पानी में बहती हैं,इस साल बाढ़ के आने से पहले क्या तैयारी है। और नेताजी इस बार भी बाढ़ के दौरान गायब रहेंगे, या जनता को दर्शन देंगे।
Balrampur :हालात क्या हैं
बलरामपुर जिले के मिर्जापुर गाँव समेत कई गांवों में राप्ती नदी हर साल कहर ढाती है। इस बार भी 3 जुलाई 2025 को शाम 5 बजे राप्ती नदी का जलस्तर 101.540 मीटर रिकॉर्ड हुआ है, जबकि चेतावनी बिंदु 103.620 मीटर और खतरे का निशान 104.620 मीटर है। पिछले साल भी यही हाल था — 2023 में इसी नदी ने अगस्त में खतरे का निशान पार किया था, तब करीब 50 गाँवों के हजारों लोग सड़क और ऊँचे स्कूलों में शरण लेने को मजबूर हुए थे। इस बार भी हालात वही बनते दिख रहे हैं — गाँव के लोग घर छोड़ सड़क किनारे पनाह लेने का तैयारी करने लगे हैं।
Balrampur : गाँव में क्या हो रहा है?

गाँव वालों ने बताया कि बाढ़ आते ही रसोई सड़क पर बनती है, जानवर भी वहीं बंधते हैं। कई परिवारों के पास तिरपाल तक नहीं होते हैं, दो वक्त की रोटी बारिश में भीग कर सड़ जाती है। इधर इस बार भी प्रशासन कह रहा है कि बाढ़ को लेकर पूरी तैयारी है। जनपद में 19 राहत केंद्र और 32 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं, इंटीग्रेटेड बाढ़ कंट्रोल रूम 24×7 चालू है, टोल फ्री नंबर 1077 भी जारी है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गाँव वाले कहते हैं —हर साल तैयारी रहती है, लेकिन राहत कहीं नहीं दिखती। कई परिवारों ने कहा कि ,पिछले साल भी आई बाढ़ में एक बोरी आटा, कुछ आलू या चावल ही पहुंचे थे, वह भी आधा सड़ा हुआ। प्रधान ने अपनी तरफ़ से एक नाव दी है, वही गाँव वालों के लिए सहारा है — बाकी अफसर फाइलों में ही राहत ढोते रहते हैं।
Balrampur: नेता और अफसर कहाँ हैं
ग्रामीणों का आरोप है कि गाँव में हालात बिगड़ते देख कोई विधायक-सांसद झाँकने तक नहीं आते। कई लोग तो मौजूदा सांसद राम शिरोमणि वर्मा का नाम तक नहीं जानते — कहते हैं कि “हमने कभी देखा ही नहीं!” विधायक के नाम पर भी सिर्फ़ पोस्टर मिलते हैं, बाढ़ में वोट मांगने वाले नेता गायब हैं। अफसर कहते हैं “सब व्यवस्था ठीक है” — लेकिन गाँव वाले कह रहे हैं कि हर साल करोड़ों का बाढ़ राहत बजट बनता है, जेबों में जाता है, गाँव तक कुछ नहीं पहुँचता। नतीजा — परिवार सड़क पर रहते हैं, बर्तन वहीं धोए जाते हैं, जानवर वहीं बांधे जाते हैं — और अगले गाँव की ऊँचाई पर सबको जगह मांगनी पड़ती है।
Balrampur : कागज़ पर तैयार, गाँव वाले बेघर

अब सवाल वही पुराना है — बाढ़ आए तो किसका दरवाज़ा खटखटाएँ? कंट्रोल रूम का नंबर हर साल छपता है, वोट मांगने वाले हर पाँच साल में आते हैं, लेकिन बाढ़ में वोटर ही बह जाए तो किसे फर्क पड़ता है? गाँव वाले नाव पर बैठकर फिर अगला चुनाव तक पानी में डूबने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। नेता कहीं लापता हैं, अफसर अपनी फाइलों में नाव चला रहे हैं — और मिर्जापुर के राम तीरथ, जगदीश प्रसाद जैसे किसान सड़क को ही नया घर मानने की तैयारी कर रहे हैं। अगली बाढ़ में वही पुरानी तस्वीर, वही आधी बोरी राशन — और वही ‘सब तैयार है’ की सरकारी चिट्ठी। बाकी राम ही राखे!
✅ Written by khabarilal.digital Desk
📍 Location: बलरामपुर,यूपी
🗞️Reporter: राहुल रतन

 
         
         
         
        