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Ballia Ganga erosion से संकट – ट्रैक्टर पर चढ़कर पहुंचे मंत्री
उत्तर प्रदेश का बलिया जिला – जो गंगा नदी के किनारे हो रहे कटान की वजह से प्रभावित है। लगातार हो रहा गंगा कटान ना सिर्फ बलिया के लोगों के लिए – बल्कि निर्माणाधीन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए भी गंभीर चुनौती बन गया है। समस्या गंभीर है – लिहाजा सरकार एक्शन में आई – प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह हालात का जायजा लेने के लिए बलिया नगर विधानसभा के माल्देपुर क्षेत्र में पहुंच गए। ट्रैक्टर पर सवार होकर दयाशंकर सिंह ने कटान प्रभावित क्षेत्र का जमीनी निरीक्षण किया। अधिकारियों को फौरन और ठोस कार्रवाई के निर्देश दिए। 
Ballia Ganga erosion बड़ा खतरा, घर गिरने से दहशत में लोग
बलिया जिला गंगा, सरयू और टोंस नदियों से घिरा है – जहां हर साल बाढ़ और कटान भारी तबाही मचाते हैं। हाल के दिनों में माल्देपुर क्षेत्र में गंगा नदी का कटान तेजी से बढ़ा है – जिससे निर्माणाधीन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को खतरा पैदा हो गया है। चक्की नौरंगा गांव में कटान के कारण अब तक 10 घर नदी में समा चुके हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

Ballia Ganga erosion पर बोले मंत्री- सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम
उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने माल्देपुर क्षेत्र में गंगा कटान का जायजा लेने के बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों को साफ लहजे में कह दिया कि कटान रोकने के लिए फौरन कदम उठाएं। इस बारे में किसी तरह की ढिलाई या लापरवाही ना हो। मंत्री दयाशंकर ने कहा- “लोगों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी जो बनेगा वो करेंगे।”
Ballia Ganga erosion दशकों से, लेकिन अब खतरा बढ़ गया
बलिया जिले में गंगा कटान की समस्या कई दशकों से चली आ रही है – लेकिन हाल के सालों में यह समस्या और गंभीर हो गई है। गंगा नदी का तेज बहाव और मिट्टी का ढीला होना कटान का प्रमुख कारण है। बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने से कटान की गति तेज हो जाती है। चक्की नौरंगा जैसे गांवों में लोग अपने घरों को नदी में विलीन होते देख रहे हैं, जिससे वे खुले मैदान में रहने को मजबूर हैं।

Ballia Ganga erosion के पीछे वजह आखिर क्या और कितनी?
बलिया में गंगा कटान का इतिहास पुराना है, जो 1970 के दशक से लगातार जारी है। नदी के तेज प्रवाह, मिट्टी की कमजोर संरचना और बाढ़ के दौरान जलस्तर में वृद्धि कटान को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, कटान-रोधी कार्यों में कमी और अनियोजित निर्माण भी इस समस्या को गंभीर बनाते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-31 को बचाने के लिए हर साल 50 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, फिर भी कटान पूरी तरह नियंत्रित नहीं हो पाया है।

Ballia Ganga erosion से ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर कितना असर?
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे – जो बलिया को बिहार और गाजीपुर से जोड़ेगा…इसका 5 किलोमीटर हिस्सा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से गुजरता है। कटान के कारण इस परियोजना को नुकसान का खतरा है। इसके बचाव के लिए 26 माइनर ब्रिज बनाए जा रहे हैं – ताकि बाढ़ का पानी सड़क को नुकसान न पहुंचाए। एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर एसपी पाठक के अनुसार पहला चरण अक्टूबर 2025 तक पूरा होगा। अब…जब बलिया में गंगा कटान को लेकर सरकार गंभीर है, मंत्री भी एक्शन में हैं तो सवाल उठता है कि क्या सरकार की यह त्वरित कार्रवाई समय रहते कटान को रोक पाएगी और एक्सप्रेसवे की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएगी? सवाल ये भी है कि इस समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए क्या सरकार के पास व्यापक योजना है?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤संवाददाता: संजय तिवारी
📍लोकेशन: बलिया, यूपी
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