Baldev Power Crisis ने मथुरा के बलदेव क्षेत्र में किसानों का सब्र तोड़ दिया है। तीन दिन से बिजली नहीं आने पर भाकियू (अराजनैतिक) के नेतृत्व में किसानों ने विद्युत उपखंड कार्यालय पर तालाबंदी कर दी और फिर मथुरा-सादाबाद मार्ग पर पोल गिराकर सड़क जाम कर दिया। पीने का पानी, इलाज और पशुपालन जैसी ज़रूरी सुविधाएं ठप हैं, जबकि अधिकारी “समस्या जल्द सुलझाने” का आश्वासन देकर अपने केबिन में बैठे हैं। Baldev Power Crisis अब सिर्फ बिजली की नहीं, जनाक्रोश की कहानी बन चुका है, जिसमें किसान अब ट्रांसफार्मर नहीं, सिस्टम बदलने की मांग कर रहे हैं।
Baldev Power Crisis-बिजली कटौती को लेकर किसानों ने खोला मोर्चा
तीन दिन से बलदेव के खेत अंधेरे में हैं, और अफसर रोशनी में सो रहे हैं! Baldev Power Crisis की वजह से अब खेत नहीं सूख रहे, सरकार की साख सूख रही है।
शनिवार को किसानों ने जो किया, वो केवल धरना नहीं था, वो एक चेतावनी थी — “बिजली नहीं दोगे तो सड़कों से जाम मिलेगा, ट्रांसफार्मर नहीं लगाए तो चौराहे पर तंबू गड़ जाएगा।”
भाकियू (अराजनैतिक) की अगुवाई में किसानों ने बलदेव बिजली उपखंड कार्यालय को ताला मार दिया। और जैसे ही अफसरों ने “अनदेखी” की—किसानों ने विद्युत पोल को ही उठा कर सड़क पर पटक दिया। अब बताओ, पोल गिरे या सिस्टम?
मथुरा के बलदेव में अब “लाइनमैन” नहीं, “आंदोलनमैन” चाहिए!
बता दें कि, मोहनपुर फीडर की लाइट तीन दिन से ऐसे गायब है जैसे सत्ता में आने के बाद चुनावी वादे। पीने का पानी ठप, मोटरें बंद, पंखा हवा नहीं दे रहा, लेकिन विभाग सिर्फ “आश्वासन” दे रहा है।
किसानों ने कोई धरना टेम्परेरी नहीं किया — हनुमान चौराहे पर चटाई बिछाई, पोल सड़क पर रखी, और बोले “अब यहां से तब हटेंगे जब तुम्हारे दिमाग में बिजली दौड़े!”
भाकियू नेता उदयवीर सरपंच बोले —
“बिजली विभाग को ट्रांसफार्मर की दिक्कत नहीं, ज़मीर की दिक्कत है। तीन दिन से गर्मी में लोग बीमार हो रहे हैं और ये लोग फाइलें पलट रहे हैं!”
आंकड़ों में Baldev Power Crisis: अब खेत नहीं, धैर्य सूख रहा है
उत्तर प्रदेश में सिर्फ मार्च से जून के बीच 18,000+ ग्रामीण बिजली कटौती की शिकायतें दर्ज हुईं।
मथुरा के बलदेव का हाल ये है कि गांव में रात नहीं होती, काली दीवारें और पसीने की चादर होती है।
राष्ट्रीय ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक, मथुरा में औसतन 12-14 घंटे बिजली आपूर्ति होनी चाहिए, लेकिन बलदेव जैसे ग्रामीण इलाकों में power cut 16-18 घंटे तक खींच जाता है। जून 2025 में मथुरा के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती की शिकायतें 40% बढ़ी हैं, और बलदेव में पिछले एक हफ्ते में 72 घंटों में से 50 घंटे बिजली गायब रही। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023 में “24×7 बिजली” का वादा किया था, दावा था कि ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 18 घंटे बिजली मिलेगी। लेकिन हकीकत? वो तो बस “वादा निभाओ, बिजली लाओ” के नारे में सिमट गई। NCRB और स्थानीय बिजली विभाग के आंकड़े बताते हैं कि मथुरा में 2024 में बिजली कटौती की वजह से 200 से ज्यादा प्रदर्शन हुए, और 2025 में यह आंकड़ा और बढ़ रहा है।
Baldev Power Crisis-बिजली कटौती को लेकर किसानों ने बिजली विभाग में बंद किया ताला
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023 में “पावर फॉर ऑल” योजना के तहत हर गांव में 18-20 घंटे बिजली देने का दावा किया था। मथुरा में स्मार्ट ग्रिड और नए ट्रांसफॉर्मर लगाने की बातें भी हुईं, लेकिन बलदेव जैसे क्षेत्रों में हालात जस के तस हैं। बिजली विभाग के अधिकारी दावा करते हैं कि तकनीकी खराबी और ओवरलोडिंग की वजह से कटौती हो रही है, लेकिन ग्रामीणों का सवाल है—क्या 60 साल बाद भी बिजली की लाइनें “तकनीकी खराबी” का बहाना ढूंढेंगी? X पर लोगों ने गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा, “मथुरा में बिजली 10 मिनट आती है, 2 घंटे गायब। क्या यही है डिजिटल इंडिया?
अंदर से किसान टूट रहे हैं —
बच्चे डायरिया से अस्पताल में
पशु पानी के लिए भटक रहे हैं
फसलें जल रहीं हैं, लेकिन विभाग “इन्वेस्टिगेशन” कर रहा है कि “लाइट किधर गायब हुई।”
अफसरों का करंट अब जनाक्रोश में बदलेगा!
बलदेव में अब कोई अफसर जनसुनवाई करने आए, उससे पहले जनता ही पूछेगी —
“जनता की लाइट तो चली गई, अब आपकी कुर्सी की बत्ती कब गुल होगी?”