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Bakrid पर संभल पुलिस ने निकाला सख्ती का हथौड़ा, कुर्बानी अब GPS चिन्हित स्थानों पर ही मान्य, वरना समझिए मामला गरम!
लोकेशन: संभल | रिपोर्टर: रामपाल सिंह
🧨 संभल में Bakrid से पहले पुलिस की ‘प्रैक्टिकल कुर्बानी’ शुरू
संभल में Bakrid अब सिर्फ त्योहार नहीं, एक सरकारी रेड जोन इवेंट बन चुका है। यहां बकरों की सांसें तब तक अटकी रहती हैं जब तक पुलिस परमिशन न दे दे।
19 लोकेशन की लिस्ट जारी हो चुकी है, अगर आप गलती से 20वीं जगह कुर्बानी कर बैठे तो बकरा नहीं, आप खुद कट जाएंगे — कानून की धार से।
SP साहब खुद कह रहे हैं, “पब्लिक प्लेस पर कुर्बानी दी तो बकरी नहीं, वीडियो कटेगा… और वायरल से पहले वारंट कटेगा।”
सवाल ये है कि Bakrid अब बकरों की है या बॉडीकैम्स की?
इस बार पुलिस सिर्फ डंडे लेकर नहीं, फुल डिजिटल तैयारी के साथ उतरी है। 5 कंपनी PAC, RAF, RRF तो पहले से ही मैदान में डटे हैं, और ऊपर से सोशल मीडिया सेल भी अब “Bakrid Watchdog Mode” में है।
किसी ने गलती से भी फेसबुक पर ‘खून की धार’ वाला वीडियो डाला, तो वायरल होने से पहले वायरल करने वाला खुद पुलिस थाने में होगा।
🎥 Bakrid पर सोशल मीडिया बना ‘CCTV की बहन’
अगर आप सोच रहे हैं कि कुर्बानी के वीडियो से 50K लाइक्स लूट लेंगे, तो संभल में पुलिस आपको पहले ही टैग कर चुकी है।
सोशल मीडिया सेल अब त्योहार की रील नहीं, रिपोर्ट बना रही है।
जिसने भी “खून की नदी” जैसा एडिटिंग किया, वो अगली पोस्ट पुलिस की FIR Story में पाएगा।
SP बिश्नोई ने चेताया:
“कोई अफवाह फैलाएगा तो अफसोस उसके हिस्से आएगा। सोशल मीडिया पर हम पहले ‘वीडियो’ पकड़ते हैं, फिर ‘व्यक्ति’।”
संभल में अब हालत ये है कि Bakrid पर लोग मीट नहीं, मीम बना रहे हैं — “Permission Slip ke बिना Qurbani करोगे? तो FIR Qurbani बन जाएगी!”
🥳 Peace Committee की मीटिंग या ‘संभल का Comedy Central’?
थानों में बैठकी हुई — धर्मगुरु, अफसर, और शांति के पुजारी एक जगह जुटे। पर असल सवाल यह था –
“अगर बकरा VIP गली में निकला तो उसके साथ कौन चलेगा – PAC या पुलिस डॉग?”
पुलिस ने कहा – “संवेदनशील इलाकों में बकरों के पैर भी ट्रेस होंगे।”
जनता पूछ रही है – “इतनी सुरक्षा तो हमें ATM पर भी नहीं मिलती!”
इस बार Bakrid पर बकरा भी पूछ रहा है – “कुर्बानी से पहले मेरा Aadhaar लिंक है न उस जगह से?”
🧹 कुर्बानी से पहले सफाई कर्मी, बाद में सफाई बयान
नगर पालिका को सख्त आदेश — कुर्बानी से पहले बकरी का नहीं, गली का सफाया जरूरी है।
पर अफसरों की तैयारी देखकर लग रहा है कि Bakrid में सफाई से ज़्यादा “बचाई” हो रही है – बयानबाज़ी की, जिम्मेदारियों की, और सबसे ज़्यादा – साख की!
एक स्थानीय नेता बोले – “संभल में माहौल शांत है…”
और बैकग्राउंड में PAC की जीप से लाउडस्पीकर चिल्ला रहा है –
“संभल जाइए! कुर्बानी से पहले SP से पूछिए!”
🧠 अफवाहों की उड़ान पर ‘संभल एयरलाइंस’ की सीधी नज़र
24 नवंबर की हिंसा और हरिहर मंदिर-जामा मस्जिद सर्वे के बाद से प्रशासन को PTSD हो गया है। अब कोई छींक भी दे, तो पुलिस मास्क नहीं, माइक पकड़ लेती है।
SP साहब ने खुद बोला –
“Bakrid पर वीडियो गेम खेलने वाले भी वॉच लिस्ट में हैं… कहीं बकरा दिखा तो बस!”
संभल में Bakrid नहीं, ‘बकरा बैकअप प्रोटोकॉल’ चल रहा है
Bakrid का त्योहार है – कुर्बानी का, पर यहां माहौल ऐसा है जैसे बकरा नहीं, संविधान हलाल हो रहा हो!
हर घर में चर्चा यही – “पुलिस ने इजाजत दी क्या?”
बकरा बोले – “मैं तो तैयार हूं, लेकिन SP साहब से पूछ लो पहले!”
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