 
                  यूपी के बागपत से आई अनोखी तस्वीरें… डॉ. मेहताब अली ने 11 गांवों की हिंदू बहनों से राखी बंधवाकर पेश की हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल. गावों में जश्न.
संवाददाता : राहुल चौहान, बागपत
Baghpat : एक दिन बाद पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ Raksha Bandhan का त्योहार मनाया जाएगा लेकिन उससे पहले कई स्थानों से दिल को छू लेने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. ऐसी ही कुछ अनोखी तस्वीरें यूपी के बागपत से सामने आई हैं जो हिंदू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश कर रही हैं. दरअसल बागपत के फतेहपुर पुट्ठी गांव के डॉ. मेहताब अली ने हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश की है… वे 11 गांवों की हिंदू बहनों और बेटियों से राखी बंधवाने घर-घर पहुंच रहे हैं.
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

डॉ. मेहताब अली ने रक्षा बंधन को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बनाने का बीड़ा उठाया है… वे पिछले कई वर्षों से राखी के अवसर पर आसपास के 11 गांवों में हिंदू बहनों और बेटियों से राखी बंधवाते आए हैं. इस साल भी 9 अगस्त 2025 को होने वाले रक्षा बंधन से पहले, डॉ. मेहताब घर-घर पहुंच रहे हैं, जहां छोटी बच्चियां से लेकर बुजुर्ग महिलाएं तक उन्हें स्नेह के साथ राखी बांध रही हैं. उनके माथे पर लाल टीका और हाथों में सजी राखियां उनकी इस नेक पहल की पहचान बन गई हैं. ग्रामीणों ने इस भाईचारे को देखकर उत्साह दिखाया और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया. फतेहपुर पुट्ठी और आसपास के गांवों में लोग इस पहल की सराहना कर रहे हैं. एक स्थानीय निवासी, रमेश कुमार, ने कहा, “डॉ. मेहताब का यह कदम हमें सिखाता है कि धर्म की दीवारें प्यार और भाईचारे के सामने कुछ भी नहीं हैं”.
डॉ. मेहताब का संदेश

डॉ. मेहताब ने बताया, “मेरा मकसद देश से जातिवाद और धार्मिक भेदभाव को खत्म करना है. राखी भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है और मैं चाहता हूं कि यह प्यार हर धर्म और समुदाय के बीच फैले. मैं हर साल इन 11 गांवों में जाता हूं, और बहनें मुझे राखी बांधती हैं. मैं ताउम्र उनके लिए रक्षा का वचन निभाऊंगा”. उन्होंने कहा कि वह इन गांवों में नन्हीं बच्चियों से लेकर बुजुर्ग माताओं तक सभी से राखी बंधवाते हैं और यह रिश्ता उनके लिए अनमोल है.
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
डॉ. मेहताब की यह पहल बागपत जैसे क्षेत्र में खास मायने रखती है जहां हाल के वर्षों में धार्मिक तनाव की घटनाएं देखी गई हैं. उदाहरण के लिए, सितंबर 2024 में अमीननगर सराय में ईद-मिलाद-उन-नबी के झंडे को लेकर हिंदू-मुस्लिम युवकों के बीच विवाद हुआ था. ऐसे में डॉ. मेहताब का यह प्रयास सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने और सामाजिक एकता को मजबूत करने का प्रतीक है.
गांव के लोगों में जशन का माहौल

फतेहपुर पुट्ठी की एक बहन, विमला देवी, ने कहा, “डॉ. मेहताब हमारे लिए सगे भाई जैसे हैं… उनकी इस पहल ने पूरे गांव को एकजुट किया है”. एक बच्ची, काजल, ने बताया, “मैंने अपने मुस्लिम भैया को राखी बांधी, और उन्होंने मुझे चॉकलेट दी”. ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों के साथ इस उत्सव को और भव्य बनाया, जिससे गांव में उत्साह का माहौल बन गया. वहीं डॉ. मेहताब अली का कहना है कि “मैं चाहता हूं कि देश से जातिवाद और धार्मिक भेदभाव खत्म हो. राखी का यह बंधन मेरे लिए अनमोल है. मैं 11 गांवों की बहनों से राखी बंधवाता हूं और ताउम्र उनकी रक्षा का वचन देता हूं”.

 
         
         
        