 
                  Azam Khan Returns: “जो समझते थे खत्म हुआ नाम, अब उनसे कह दो आजम लौट आया है”
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता Azam Khan की जेल से रिहाई के बाद पार्टी के भीतर एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है. 23 महीने बाद आजम खान की वापसी ने सपा कार्यकर्ताओं के मन में उत्साह की लहर दौड़ा दी है. लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय के बाहर इस समय जो दृश्य नजर आ रहा है, वो किसी राजनीतिक वापसी से कहीं बढ़कर भावनात्मक और प्रतीकात्मक माना जा रहा है.
Azam Khan का शायराना अंदाज़ में स्वागत
सपा कार्यालय के बाहर अब बड़े-बड़े होर्डिंग्स नजर आ रहे हैं, जिनमें आजम खान की रिहाई का स्वागत शायराना अंदाज़ में किया गया है. एक होर्डिंग पर लिखा है –
“जो समझते थे खत्म हुआ नाम, अब उनसे कह दो आजम लौट आया है.”
इस पंक्ति को न सिर्फ एक शेर के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि ये सपा समर्थकों के आत्मविश्वास और राजनीतिक संदेश का प्रतीक भी बन गई है.
पार्टी नेताओं की सक्रियता
सपा के अल्पसंख्यक नेताओं, विशेषकर मोहम्मद इखलाक और सुमैया राणा द्वारा लगाए गए इन होर्डिंग्स में आजम खान की वापसी को “नई सुबह की शुरुआत” बताया गया है. वहीं ये भी संकेत दिए गए हैं कि पार्टी 2027 में सत्ता परिवर्तन की ओर कदम बढ़ा रही है.

8 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव रामपुर जाकर आजम खान से मुलाकात करेंगे, जिससे ये स्पष्ट होता है कि आजम अब भी पार्टी के लिए अहम चेहरा बने हुए हैं.
कार्यकर्ताओं में उत्सव का माहौल
आजम खान की रिहाई के दिन लखनऊ स्थित सपा कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने मिठाइयाँ बांटीं और एक उत्सव का माहौल बनाया. अब उसी जोश को आगे बढ़ाते हुए ये होर्डिंग्स लगाए गए हैं, जो ये दर्शाते हैं कि पार्टी में आजम खान की वापसी को लेकर खुशी और संतोष का माहौल है.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज
जहाँ सपा आजम खान की वापसी का उत्सव मना रही है, वहीं बीजेपी ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर आलोचना की है. बीजेपी प्रवक्ताओं का कहना है कि सपा का ये जश्न और अखिलेश यादव की रामपुर यात्रा, सब कुछ आजम समर्थकों के दबाव में किया जा रहा है.
बीजेपी का तर्क है कि ये सपा की राजनीतिक असुरक्षा को दर्शाता है.
आजम खान की नई शुरुआत
आजम खान की वापसी को समाजवादी पार्टी ने न सिर्फ एक राजनीतिक अवसर के रूप में देखा है, बल्कि इसे एक प्रतीकात्मक ‘नई शुरुआत’ के तौर पर भी प्रचारित किया जा रहा है. शायराना होर्डिंग्स, नेताओं की सक्रियता और कार्यकर्ताओं के उत्साह ने इस वापसी को एक बड़ा राजनीतिक संदेश बना दिया है – सपा अभी खत्म नहीं हुई, और आजम अब भी इसके मजबूत स्तंभ हैं.

 
         
         
        