Putin के करीबी बशर अल-असद को ज़हर दिए जाने की सनसनीखेज़ कहर
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मॉस्को में रह रहे Putin के करीबी सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद को जहर देने की कोशिश का सनसनीखेज मामला सामने आया है। रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना रूस को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बदनाम करने की साजिश का हिस्सा हो सकती है। हालांकि, अब उनकी तबीयत स्थिर बताई जा रही है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
Putin के करीबी असद की तबीयत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती
जानकारी के मुताबिक, बशर अल-असद को अचानक तबीयत खराब होने के बाद मॉस्को के पास एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और लगातार खांसी आ रही थी। जांच में खुलासा हुआ कि उनके शरीर में जहर मौजूद था। यह पहली बार नहीं है जब असद को जहर देने की कोशिश की गई हो। इससे पहले भी एक ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें समय रहते इलाज मिलने से उनकी जान बच गई थी।
Putin के मुल्क रूस में शरण, लेकिन खतरा बरकरार
बशर अल-असद को साल 2024 में सीरिया की सत्ता से हटाया गया था। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ रूस की राजधानी मॉस्को में शरण ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जो असद के करीबी माने जाते हैं, ने उन्हें राजनीतिक संरक्षण दिया। असद को सार्वजनिक रूप से तब से लेकर अब तक कभी देखा नहीं गया है।

सीरिया में नई सरकार बार-बार असद की वापसी की मांग कर चुकी है, लेकिन रूस ने उन्हें सौंपने से साफ इनकार कर दिया है।
हत्या की कोशिश: साजिश या राजनीति?
कई रिपोर्टों में यह कहा गया है कि असद को ज़हर देने का उद्देश्य रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करना था, ताकि उनकी मौत का आरोप सीधे रूस पर लगाया जा सके। हालांकि, इस मामले पर रूस सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
सीरियाई मानवाधिकार संगठन के अनुसार, असद को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और उनके भाई माहेर अल-असद भी उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे थे।
असद का सत्ता और संघर्ष भरा इतिहास
बशर अल-असद सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति हैं और उनका परिवार दशकों तक देश की सत्ता में रहा। उनके पिता हाफेज अल-असद ने 1971 में सैन्य तख्तापलट कर सत्ता हासिल की थी। इसके बाद 2000 में उनकी मौत के बाद बशर ने राष्ट्रपति पद संभाला। पेशे से डॉक्टर रहे बशर ने धीरे-धीरे सत्ता को मजबूत किया, लेकिन 2011 में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों को उन्होंने सख्ती से कुचलने की कोशिश की।
इस हिंसा ने देश को गृहयुद्ध की आग में झोंक दिया। ईरान और रूस ने असद का समर्थन किया, जिससे वे काफी समय तक सत्ता में टिके रहे। लेकिन 27 नवंबर 2024 को विद्रोहियों ने अचानक हमला करके दमिश्क पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद असद को देश छोड़ना पड़ा।
बशर अल-असद की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि मध्य-पूर्व की राजनीति, संघर्ष और सत्ता की जटिलता को दर्शाती है। रूस में शरण लेने के बावजूद उनकी जान को खतरा बना हुआ है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या असद कभी सीरिया लौटेंगे या रूस ही उनका स्थायी ठिकाना बन जाएगा।
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