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Attack on Kanwariyas : हर-हर महादेव बोले… तो ‘दारुल उलटवार’!
Attack on Kanwariyas update
काशी में सावन का तीसरा सोमवार। भोलेनाथ के भक्त अपनी भक्ति में मगन थे — “हर-हर महादेव”, “बोल बम”, और “हर-हर गंगे” के जयकारे गूंज रहे थे। लेकिन कुछ मजहबी ठेकेदारों को ये जयकारे नागवार गुज़रे।
काशी के बड़ैनीकला निवासी कांवड़िया पल्टू यादव और उसके साथी शुभम यादव अदलपुरा से जल लेकर जंसा शिव मंदिर जा रहे थे, तभी राजातालाब के रेलवे फाटक के पास उनकी आस्था की अग्निपरीक्षा शुरू हो गई।
Religious assault on Kanwar Yatra: ‘बोल बम’ नहीं, ‘अल्लाह हू अकबर’ बोलो!
12 मुस्लिम युवकों ने उन्हें रोक लिया। पहले सामान्य सवाल-जवाब, फिर शुरू हुआ धर्म परिवर्तन का दबाव।
“हर-हर महादेव नहीं, अल्लाह हू अकबर बोलो”, ये फरमान सुनते ही विरोध किया गया — और फिर बरस पड़े लाठी, डंडे, और धारदार हथियार।
पल्टू के सिर पर हमला हुआ, शुभम को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। आरोप? “तुम्हारे जैसे लोगों को ‘बोल बम’ बोलने का हक नहीं!”
Islamic mob attack in Varanasi: मस्जिद के सामने ‘न्याय’?
पीछा करते हुए हमलावरों ने दोनों कांवड़ियों को मस्जिद के सामने घेर लिया। वहां मौजूद भीड़ ने भी धार्मिक नारेबाज़ी करते हुए लात-घूंसे और गालियों की बरसात कर दी।
पल्टू ने बताया — “पहले हमसे बातचीत की, फिर कहा ये नारे तुम्हारे नहीं हैं, इस्लाम कबूल करो। हमने इंकार किया तो हमला हुआ।”
Police action in Kanwar attack: FIR और गिरफ्तारी… पर क्या धर्मनिरपेक्षता जागेगी?
घटना की FIR दर्ज हुई। 6 आरोपी गिरफ्तार, बाकी की तलाश में छापेमारी जारी। पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष को भी हिरासत में लिया — क्यों? क्योंकि वो पीड़ित पक्ष के साथ खड़े थे।
सवाल ये है: Attack on Kanwariyas
क्या हर बार पीड़ित हिंदू ही “सांप्रदायिक” घोषित होगा?
क्या जय श्रीराम और हर-हर महादेव अब अपराध बन चुके हैं?
Har Har Mahadev under attack: कांवड़ यात्रा अब खतरे में? Attack on Kanwariyas
सावन में शिवभक्तों का जल यात्रा करना परंपरा है। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं —
क्या हिंदू धार्मिक प्रतीकों और नारों को दबाने की साजिश चल रही है?
क्या अब शिवभक्तों को “मौलिक अधिकारों” का पाठ पढ़ाया जाएगा?
Kashi के बीचोंबीच, तुष्टीकरण का तमाशा? Attack on Kanwariyas
काशी — वही काशी, जहां बाबा विश्वनाथ विराजते हैं, उसी की सड़कों पर अब ‘हर-हर महादेव’ बोलने वालों को ‘कट्टर’ करार दिया जा रहा है।
धर्म के नाम पर हमला, और सेकुलरिज़्म के नाम पर चुप्पी — ये कैसी व्यवस्था है?
कब तक सहेंगे? – फोकस कीवर्ड: UP Hindu Rights Crisis
अब सवाल सिर्फ कांवड़ियों पर हमले का नहीं है, सवाल उस चुप्पी का है जो सत्ता के गलियारों से गूंज रही है। UP Hindu Rights Crisis कोई भाषण का मुद्दा नहीं, बल्कि ज़मीन पर जले हुए घाव हैं – जिनके पास ना मीडिया है, ना मजहबी मसीहा। शिवभक्तों को पीटने वाले मजहबी उन्मादी क्या अब तय करेंगे कि किसे कौन सा नारा बोलना है? अगर ‘हर-हर महादेव’ कहना गुनाह है, तो फिर ये लोकतंत्र नहीं, ‘धर्मतंत्र’ है – वो भी एकतरफा! योगी राज में ये जख्म नासूर बनें, इससे पहले कानून को लाठी नहीं, लोहे की तरह चलना होगा।
Written by khabarilal.digital Desk

 
         
         
         
         
         
        