तालिबान हमलों से बैकफुट पर Asim Munir, ISI प्रमुख पर गिरी गाज की तलवार?
पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर तालिबान द्वारा किए गए सुनियोजित और अचानक हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया एजेंसियों की कमजोरी को उजागर कर दिया है। इन हमलों के बाद पाकिस्तान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर (Asim Munir)न सिर्फ दबाव में आ गए हैं, बल्कि रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय (GHQ) में एक आपात बैठक बुलाकर उन्होंने ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक से सख्त सवाल पूछे हैं।
Asim Munir, सेना के उड़े होश
सूत्रों के अनुसार ख़बर है कि, तालिबान ने अंगूर अड्डा, बाजौर, कुर्रम, देर, चितराल, वजीरिस्तान (KPK) और बह्रम चाह, चमन (बलोचिस्तान) जैसे सात मोर्चों से पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर हमले किए। ये हमले इतने तेज़ और समन्वित थे कि पाकिस्तानी सुरक्षाबल पूरी तरह से चौंक गए और कोई पूर्व चेतावनी या तैयारी नहीं थी।
आपात बैठक में उठा ISI की विफलता का मुद्दा
जनरल आसिम मुनीर द्वारा बुलाई गई इस आपात बैठक में Corps Commander Peshawar, Southern Command के प्रमुख, Chief of General Staff, DG ISI, DG Military Intelligence और DG Military Operations सहित कई शीर्ष सैन्य अधिकारी शामिल हुए। बैठक में सेना प्रमुख ने सख्त लहजे में पूछा कि:
“इतनी बड़ी खुफिया चूक कैसे हुई?
हमला पहले से क्यों नहीं भांपा गया?
और सीमाओं पर प्रतिक्रिया तंत्र इतना धीमा क्यों था?”

Asim Munir का ISI चीफ से मोहभंग
बैठक में ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक पर विशेष फोकस रहा। मुनीर ने उनसे सीधा सवाल किया कि खुफिया तंत्र क्यों असफल रहा, और इस विफलता को दोहराए जाने से कैसे रोका जाएगा? सभी संबंधित एजेंसियों और अफसरों को सात दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, जिसमें चूक, कारण और संभावित सुधारों की जानकारी शामिल होगी।
रणनीतिक गहराई की कमी को माना गया दोषी
मुनीर ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान को अपनी पश्चिमी सीमाओं पर “रणनीतिक गहराई की कमी” का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए सख्त रुख अपनाए और सुरक्षा एजेंसियों को और मज़बूत किया जाए।
ISI में बदलाव की अटकलें तेज
विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमले और खुफिया विफलता के बाद पाकिस्तान में ISI में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक की भूमिका की समीक्षा की जा सकती है और यदि रिपोर्ट में गंभीर चूक पाई जाती है, तो उनका स्थानांतरण या हटाया जाना भी संभव है।
तालिबान के हमलों ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये घटना न सिर्फ सेना के लिए एक चेतावनी है, बल्कि पाक खुफिया तंत्र के लिए भी एक बड़ा इम्तिहान बन चुकी है। आने वाले दिनों में क्या ISI में बड़ा फेरबदल होगा — ये देखना दिलचस्प होगा।
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