
Vrindavan Annapurna Devi
श्री अन्नपूर्णा देवी मंदिर में जलाभिषेक और पुष्प बंगला से गूंजा प्रेम: भक्तों ने किया सुन्दरकांड और चलाई विद्युत संगोष्ठी
वृंदावन, प्रेम गली — जेष्ठ मास की पूर्णिमा के पावन अवसर पर वृंदावन स्थित श्री अन्नपूर्णा देवी मंदिर भक्ति, श्रद्धा और सांस्कृतिक आयोजन का दिव्य केंद्र बन गया। मंदिर में अन्नपूर्णा देवी का भव्य जलाभिषेक वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच संपन्न हुआ, वहीं फूलों से सजा दिव्य बंगला भक्तों की भक्ति को और भावविभोर कर गया।
🌸 नवीन श्रृंगार में माँ अन्नपूर्णा का भव्य पूजन
अन्नपूर्णा माँ को नवीन पोषाक पहनाकर भक्तों ने श्रृंगारित किया और विशेष पूजन-अर्चन किया गया। वेदपाठी ब्राह्मणों ने सुंदरकांड का सस्वर पाठ किया, जिससे मंदिर परिसर भक्तिरस में डूब गया।
सभी भक्तों ने एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमान आरती के माध्यम से अपनी आस्था को व्यक्त किया। इसके बाद विद्युत संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें संत, विद्वान और वैष्णवों ने एकत्र होकर भक्ति पर विचार रखे।
🔱 भक्ति, सेवा और वैदिक परंपरा का संगम
मंदिर के सेवायत पंडित श्री बिहारी लाल वशिष्ठ जी ने आगंतुकों, संतों और विद्वानों का प्रसादी पटका पहनाकर स्वागत किया। संगोष्ठी में महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद महाराज ने कहा, “जेष्ठ पूर्णिमा पर ठाकुर जी की जलयात्रा और स्नान सेवा ब्रज की सनातन परंपरा का जीवंत प्रतीक है। भक्ति ही वह ऊर्जा है जो राष्ट्र और मानव मात्र के कल्याण का मार्ग है।”
वहीं महंत रामदास महाराज ने कहा, “राधा नाम की महिमा सर्वोपरि है। राधा-कृष्ण भेद रहित प्रेम का साकार रूप हैं।”
🕉️ अन्नपूर्णा माँ: हर जीव के जीवन का आधार
आचार्य गोपाल भैया, पंडित राम निवास शर्मा, गुरु आचार्य राम निहोर शास्त्री आदि ने श्री अन्नपूर्णा देवी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भूख मिटाने वाली, जीवन में रस भरने वाली माँ अन्नपूर्णा के बिना कोई जीव एक पग भी नहीं चल सकता।”
इस अवसर पर बल्लभ कुल संप्रदाय के प्रमुख वैष्णव श्री हरि सुरेश आचार्य, श्री चंदनलाल शर्मा, दिनेश चंद फलाहारी, अजय शर्मा, श्री अनिल कृष्ण शास्त्री, गौरव रस्तोगी, ईश्वर चंद्र रावत सहित सैकड़ों भक्तों की उपस्थिति में यह दिव्य आयोजन संपन्न हुआ।
श्री अन्नपूर्णा देवी मंदिर, वृंदावन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि भक्ति और परंपरा का समागम जब प्रेम से होता है तो ब्रज भूमि स्वयं जाग उठती है। जेष्ठ पूर्णिमा का यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक अनुभव रहा, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का भी पुनर्जागरण था।
श्री अन्नपूर्णा देवी मंदिर में जेष्ठ पूर्णिमा के पावन अवसर पर हुआ यह दिव्य आयोजन सिर्फ धार्मिक परंपराओं का निर्वहन नहीं, बल्कि ब्रज की आध्यात्मिक चेतना का जीवंत उत्सव था। जहां एक ओर भक्तों की आस्था गूंजती रही, वहीं दूसरी ओर संतों और विद्वानों के विचारों ने ब्रज की सनातन परंपरा को फिर से जीवंत कर दिया। माँ अन्नपूर्णा की आराधना, उनका जलाभिषेक और मंदिर परिसर में फैले पुष्पों की महक ने यह सिद्ध कर दिया कि वृंदावन में भक्ति सिर्फ पूजा नहीं, जीवन का सार है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सांस्कृतिक संदेश है कि जब-जब प्रेम, अन्न और धर्म की बात होगी – अन्नपूर्णा माँ का आंगन हमेशा रौशन रहेगा।