 
                  Aniruddhacharya Ji अपने कथन पर कायम
Aniruddhacharya Controversy News
वृंदावन स्थित गौरी गोपाल आश्रम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान चर्चित कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज (Aniruddhacharya Maharaj) ने हाल ही में अपने एक बयान को लेकर उठे विवाद पर सफाई दी है। उनका कहना है कि उन्होंने कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की, बल्कि केवल वही कहा जो शास्त्रों और पुराणों में लिखा हुआ है।
“जो शास्त्रों में लिखा, वही कहा”
अनिरुद्धाचार्य महाराज पर लड़कियों की शादी की उम्र और उनके एक कथित आपत्तिजनक बयान को लेकर लगातार सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने ब्रह्म वैवर्त पुराण का हवाला देते हुए एक श्लोक पढ़ा था, जिसमें कहा गया है कि “जो स्त्री या पुरुष एक से अधिक संबंध रखते हैं, उन्हें शास्त्र व्यभिचारी मानता है।”
अनिरुद्धाचार्य के अनुसार, “हमने स्वयं कुछ नहीं कहा, हमने श्लोक दिखाया। हमने वही कहा जो पुराण में लिखा है। अगर विरोध करना है, तो शास्त्रों से कीजिए।”
“राम का देश है, मर्यादा का पालन ज़रूरी”
महाराज ने राम के आदर्श चरित्र का उदाहरण देते हुए कहा, “हम राम के देश में रहते हैं। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। उनका चरित्र प्रेरणा है। समाज को चरित्रवान बनाना हमारा उद्देश्य है।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि व्यक्ति खुद का आचरण सुधारेगा, तभी परिवार और समाज भी अच्छा बनेगा।
“हम नारी की पूजा करते हैं”
अनिरुद्धाचार्य महाराज ने अपने ऊपर लगे महिला विरोधी होने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “हमारे मंदिरों में राधा जी, सीता जी, रुक्मिणी जी, लक्ष्मी जी की पूजा होती है। हम नारी को पूजनीय मानते हैं। लेकिन यदि शास्त्र किसी को ‘वैश्या’ कहता है, तो उसे समाज पूजा योग्य नहीं मानेगा। हमने केवल शास्त्रों की बात को दोहराया है, उसमें व्यक्तिगत कुछ नहीं जोड़ा।”
“शब्द शैली पर सवाल, उद्देश्य पर नहीं”
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि शायद उनके शब्दों की शैली कठोर रही हो, लेकिन भाव और उद्देश्य वही था जो कई संत पहले भी कह चुके हैं। उन्होंने कहा, “संत प्रेमानंद महाराज ने भी यही बात कही थी, लेकिन शालीन भाषा में। विरोध उनका भी हुआ। इसका मतलब है कि विरोध शब्दों का नहीं, संतों का हो रहा है।”
मीडिया से नाराज़गी, महिला पत्रकार से जुड़े सवालों पर सफाई
जब पत्रकारों ने एक महिला पत्रकार के साथ कथित बदसलूकी पर सवाल किया, तो महाराज ने कहा, “हमें जानकारी नहीं है। हम 30 घंटे की कथा में व्यस्त रहते हैं। किसने क्या किया, इसकी खबर नहीं।” हालांकि यह सवाल इसलिए उठाया गया क्योंकि घटना कथावाचक के सामने हुई थी, लेकिन उन्होंने इससे किनारा कर लिया।
Aniruddhacharya की दो टूक
मीडिया के एक वर्ग पर भी नाराज़गी जताते हुए उन्होंने कहा कि कुछ चैनल्स जुए और नशे के विज्ञापन चलाते हैं, फिर उन्हें प्रवचन पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
समाज को चरित्रवान बनाना लक्ष्य
अनिरुद्धाचार्य महाराज के अनुसार, उनका उद्देश्य केवल समाज को चरित्रवान बनाना है। उन्होंने कहा कि विरोध करना लोगों का अधिकार है, लेकिन उन्होंने जो कहा, वह केवल शास्त्रों के आधार पर था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे महिलाओं का सम्मान करते हैं और शास्त्रों में जो लिखा है, उसी का संदर्भ दिया गया है। विवादों और आलोचनाओं के बीच महाराज का यह बयान साफ करता है कि वे अपने कथनों के पीछे धार्मिक ग्रंथों का आधार मानते हैं, न कि व्यक्तिगत विचारधारा।

 
         
         
        