राव की ‘डिनर डिप्लोमेसी’ पर अनिल विज ने तोड़ी चुप्पी. कहा ‘मुझे बुलाया होता तो मैं भी जाता, भोज में विधायकों का जाना सामान्य है’
Chandigarh : केंद्रीय राज्यमंत्री Rao Inderjit Singh की तरफ से दक्षिण हरियाणा के 12 विधायकों को चंडीगढ़ में डिनर देने के मामले में हरियाणा बीजेपी में घमासान मचा हुआ है. इसी बीच कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. विज ने कहा कि अगर कुछ लोग आपसी तालमेल के लिए एक साथ डिनर करते हैं तो इसमें गलत ही क्या है. इसे राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है. विज ने “अगर मुझे डिनर में बुलाया गया होता, तो मैं भी जरूर जाता. किसी जनप्रतिनिधि का अपने क्षेत्र के लोगों या सहयोगियों के साथ भोजन करना एक सामान्य सामाजिक प्रक्रिया है. इसमें कोई राजनीतिक अर्थ निकालना जरूरी नहीं है. राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव हरियाणा सरकार में मंत्री हैं. ऐसे में उनके आवास पर विधायकों का डिनर में शामिल होना कोई असामान्य बात नहीं है”.
डिनर डिप्लोमेसी की सियासी गलियारों में चर्चा

दरअसल राव की इस डिनर डिप्लोमेसी की सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है. खबरों की मानें ते डिनर से पहले अनिल विज और राव इंद्रजीत के बीच मुलाकात की भी अटकलें थीं. लेकिन विज ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. राव इंद्रजीत और उनकी बेटी आरती राव ने भी डिनर और इसके बाद की हलचल पर कोई टिप्पणी नहीं की है. डिनर में शामिल 11 विधायकों में से छह ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास जाकर अपनी वफादारी जताई. इनमें दादरी से सुनील सांगवान, बाढड़ा से उमेद पातुवास, गुरुग्राम से मुकेश शर्मा, सोहना से तेजपाल तंवर, बावल से डॉ. कृष्ण कुमार और नारनौल से ओमप्रकाश यादव शामिल थे. ओमप्रकाश को छोड़कर बाकी पांच पहली बार विधायक बने हैं.
विज की नाराजगी और पार्टी का नोटिस
आपको याद होगा इस साल जनवरी और फरवरी में Anil Vij ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी. उनके कुछ बयानों ने सरकार और पार्टी को असहज कर दिया था. खासकर, उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी पर निशाना साधा था और एक सोशल मीडिया पोस्ट में सीएम की तस्वीर पर ‘गद्दार’ का ठप्पा लगाया था. इसके अलावा जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली का नाम रेप केस में आया तो विज ने सार्वजनिक रूप से उन्हें इस्तीफा देने की सलाह दी थी. इन बयानों के बाद भाजपा ने विज को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था. स्थिति बिगड़ने पर पार्टी हाईकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके बाद से विज ने अपने बयानों में संयम बरतते हैं.
सीएम पद के पुराने दावेदार राव और विज

आपको बता दें 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में कई नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे… जिनमें अनिल विज, राव इंद्रजीत, रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ शामिल थे. हालांकि पार्टी ने इनमें से किसी को नहीं चुना और पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया था. इसे लेकर राव और विज दोनों ने समय-समय पर अपनी नाराजगी जाहिर भी करते रहे. एक बार तो विज ने तो यहां तक डाला था कि मुख्यमंत्री उनसे मंत्री पद तो छीन सकते हैं लेकिन उनकी सीनियरिटी और विधायकी नहीं छीन सकते.
