Amit Shah’s ‘Friend’ Remark: लखनऊ में सियासी भूचाल!
लखनऊ में अमित शाह के “मित्र” तंज ने सियासी बवंडर मचा दिया है! डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को Amit Shah’s ‘Friend’ Remark कहकर संबोधित करने से योगी-शाह की पुरानी खटपट फिर चर्चा में है।योगी और केशव के बीच 36 का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं, और शाह का ये बयान केशव को उभारने वाला बड़ा दांव लगता है।
लखनऊ की सियासी गलियों में 16 जून 2025 को ऐसा बम फटा कि बीजेपी का गढ़ हिल गया! केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक सरकारी कार्यक्रम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को “मेरे मित्र” कहकर संबोधित किया(Amit Shah’s ‘Friend’ Remark), और बस, यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया।यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को ‘मित्र’ कह देने मात्र से न सिर्फ हवा में सियासी गंध भर गई है, बल्कि राजधानी की कॉरिडोरनुमा गलियों में सवालों की फुलझड़ियां भी छूट पड़ी हैं।
Amit Shah’s ‘Friend’ Remark ने न सिर्फ बीजेपी के अंदर चल रही सियासी खटपट को उजागर किया, बल्कि योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के बीच की 36 की अदावत को भी सुर्खियों में ला दिया। शाह ने योगी को “सफल मुख्यमंत्री” कहा, लेकिन “मित्र” वाला तड़का केशव के लिए ही बचा रखा था। अब सवाल ये है—क्या शाह ने ये बम जानबूझकर फोड़ा? और अगर हां, तो क्या योगी के तख्त को हिलाने की ये नई चाल है? सपा प्रमुख अखिलेश यादव तो पहले ही मजे ले रहे हैं, कह रहे हैं, “लखनऊ में मित्रता का ड्रामा चल रहा है, और हम पॉपकॉर्न लेकर तैयार हैं! किसी और राज्य में होता तो लोग कहकर निकल जाते, लेकिन ये लखनऊ है — यहां ‘प्रणाम’ भी अगर कोई बाएं हाथ से कर दे तो पांच पार्टी बैठक बुला लेती हैं!
अब भला कोई कहे “मित्र”, और पूरा प्रदेश पूछने लगे — “क्यों कहा? कब से मित्र हैं? किसके ख़िलाफ़ मित्रता है?” कुछ तो बात होगी ना।
Amit Shah’s ‘Friend’ Remark:ये दोस्ती सिर्फ़ चाय तक है या मुख्यमंत्री कुर्सी तक?
बात सीधी है — Amit Shah का ये बयान ऐसे समय आया है जब योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्य के रिश्ते की आंच सियासी रसोई में कई बार पक चुकी है। एक तरफ योगी कैंप, जो मौर्य जी को देखकर दातुन तोड़ देता है। दूसरी ओर मौर्य जी, जिनके समर्थक हर सुबह उठते ही ट्विटर पर “अबकी बार केशव सरकार” का जाप करते हैं।
अब सवाल उठता है — क्या अमित शाह ने जानबूझकर ये ‘मित्रगान’ गाया? क्या ये वही केशव हैं जिन्हें योगी जी मंत्रिमंडल से हटाना चाहते थे लेकिन “दिल्ली” से हरी झंडी नहीं मिली? क्या शाह ने एक बार फिर बता दिया कि भले ही लखनऊ में भगवा हो, रिमोट अब भी नागपुर और दिल्ली में ही है?
योगी-शाह की पुरानी अदावत: क्या है कहानी?
कहावत है, जब दो महारथी एक ही युद्ध में हों, तो या तो रामायण बनती है या महाभारत। और शाह-योगी समीकरण की कहानी तो काफी पहले से सुर्खियों में रही है। 2017 में जब योगी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब भी चर्चा थी कि शाह का मन नहीं था। फिर हर कैबिनेट विस्तार, हर अफसर की पोस्टिंग, हर फैसले में दिखा कि दिल्ली और लखनऊ की सुई एक दिशा में नहीं घूमती।
अब अमित शाह केशव मौर्य को ‘मित्र’ कहकर क्या योगी पर छाया छोड़ गए हैं? या इशारा कर गए हैं कि अगली बाज़ी में चेहरा बदल सकता है?
2018 से ही गपशप चल रही है कि शाह और योगी एक-दूसरे को देखते ही “जय श्री राम” की जगह “जय हो सियासत” बोलना चाहते हैं! तब गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी की हार ने शाह को योगी पर उंगली उठाने का मौका दिया था। सियासी पंडित बताते हैं कि शाह और मोदी ने जानबूझकर इन चुनावों में प्रचार से दूरी बनाई, ताकि योगी को सबक सिखाया जाए। फिर भी, योगी 2022 में दोबारा सीएम बन गए, वो भी 37 साल की जोड़ी को तोड़ते हुए। शाह की ताकत के बावजूद योगी को हटाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर रहा है। क्यों? क्योंकि योगी का हिंदुत्व और सख्त छवि पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरता है। लेकिन शाह का ताजा “मित्र” तंज क्या संदेश देता है? क्या वो केशव को आगे बढ़ाकर योगी को किनारे करने की जुगत में हैं? अब ये सवाल सियासी गलियारों में तैरने लगा है।
क्या ‘मित्र’ कहकर अमित शाह ने चलाई सियासी गुलेल? विपक्ष ले रहा है मजा!
शाह के इस बयान के बाद विपक्ष तो जैसे ईद मनाने लगा है! समाजवादी पार्टी के गलियारों में लड्डू बंटने की खबर है। कांग्रेस प्रवक्ता तो इस बयान के बाद से अपने वाक्य की शुरुआत ही “मित्रों” से कर रहे हैं। “देखिए ये BJP है, जहां ‘मित्र’ मतलब बगावत की शुरुआत है”, ऐसा तंज अब हर दूसरे चैनल की डिबेट में सुनाई दे रहा है।
कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि शाह का ये बयान 2027 के सीएम फेस को हवा देने की हल्की लेकिन गर्म शुरुआत है। और फिर शाह कोई आम कार्यकर्ता तो हैं नहीं — जिसे ‘मित्र’ कह दिया, समझिए उसके पीछे कोई स्क्रिप्ट है।
Amit Shah’s ‘Friend’ Remark: केशव-योगी की जंग में शाह का मास्टरस्ट्रोक?
दरअसल Amit Shah’s ‘Friend’ Remark ने यूपी बीजेपी की अंदरूनी कलह को नया रंग दे दिया। केशव मौर्य और योगी की तकरार तो पुरानी है। 2017 में जब योगी को सीएम बनाया गया, केशव के समर्थक मानते थे कि ओबीसी चेहरा होने के नाते वो ज्यादा हकदार थे। तब से केशव को “स्टूल वाले डिप्टी सीएम” कहकर विपक्ष ने खूब चुटकी ली। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें 62 से घटकर 33 रह गईं, और केशव ने इसका ठीकरा योगी पर फोड़ा, कहते हुए, “संगठन सरकार से बड़ा होता है।” अब शाह का “मित्र” कहना क्या संकेत देता है? क्या शाह केशव को योगी के खिलाफ खड़ा करके बीजेपी के ओबीसी वोटबैंक को साधना चाहते हैं? या फिर ये योगी को चेतावनी है कि “बॉस हम हैं, तुम नहीं”? अखिलेश तो इस ड्रामे का पूरा मजा ले रहे हैं, कहते हैं, “सौ लाओ, सरकार बनाओ!” विपक्ष का ये तंज बीजेपी की खटपट को और हवा दे रहा है।
क्या शाह केशव को बचा रहे हैं, या योगी को डरा रहे हैं?
सवाल ये उठता है—क्या शाह की “मित्रता” की वजह से ही केशव योगी के मंत्रिमंडल में बने हुए हैं? 2022 में केशव सिराथु से हार गए थे, फिर भी डिप्टी सीएम बने रहे। सूत्रों का कहना है कि शाह और मोदी ने केशव को ओबीसी चेहरा बनाकर रखा, ताकि 2024 और 2027 के चुनाव में वोटबैंक मजबूत रहे। लेकिन योगी को हटाना शाह के लिए आसान नहीं। योगी की हिंदुत्व वाली छवि और कार्यकर्ताओं में पकड़ उन्हें अडिग बनाती है। शाह का “मित्र” वाला बयान शायद ये संदेश है कि केशव उनकी पसंद हैं, और योगी को अपनी कुर्सी संभालकर रखनी होगी। आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव में ये बयान बीजेपी की अंदरूनी जंग को और भड़का सकता है। अखिलेश ने तो पहले ही कह दिया, “ये मित्रता का ड्रामा 2027 में गुल खिलाएगा!
मित्र कहकर चलाया गया ये ‘Mic Drop Moment’ यूपी की सियासत में मचाएगा बवाल
लखनऊ की सियासी गलियों में Amit Shah’s ‘Friend’ Remark अब हर जुबान पर है। विपक्ष, खासकर अखिलेश, इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। उनका कहना है, “बीजेपी में कुर्सी की लड़ाई में प्रशासन तहस-नहस हो रहा है।” शाह की ताकत के बावजूद योगी का अडिग रहना और केशव का “मित्र” बनकर उभरना यूपी की सियासत को और रंगीन बनाने वाला है।
जो भी हो, लखनऊ में अब ‘मित्रता’ को अलग ही चश्मे से देखा जा रहा है।
कौन जाने, अगली बार जब अमित शाह मंच पर आएं और किसी को ‘प्रिय सहयोगी’ कहें — तो लखनऊ के बीजेपी नेताओं को BP की दवा साथ में रखनी पड़े!
Nice