 
                  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खोली US-PAK की पोल
India-PAK Conflict News
India-PAK Tension: भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी मजबूत नीति को एक बार फिर साबित किया है. दरअसल संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा जारी है, इसी क्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विस्तृत चर्चा की, जिसे भारत ने 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया था. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, और इसे कश्मीर के पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाने और सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश के तौर पर देखा गया. भारत ने इस हमले का जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले करके दिया.
ट्रंप का दावा हवा-हवाई !
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने दी थी चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता की और व्यापार समझौतों का इस्तेमाल कर दोनों देशों को शांत किया. जयशंकर ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वो उस समय मौजूद थे जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 9 मई की रात फोन पर पाकिस्तान के संभावित बड़े हमले की चेतावनी दी थी. मोदी ने इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए जवाबी कार्रवाई का संकेत दिया. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत ने व्यापार वार्ताओं को युद्धविराम से जोड़ने की कोई बात नहीं की. अगले दिन अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने जयशंकर को सूचित किया कि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है.

कई देशों ने भारत से संपर्क किया
जयशंकर ने ये भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई देशों ने भारत से संपर्क किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया. केवल तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया. भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, सामान्य बातचीत संभव नहीं होगी. ऑपरेशन सिंदूर ने ये संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति पर अडिग है और किसी भी खतरे के सामने झुकेगा नहीं.
ऑपरेशन सिंदूर से दिया सख्त संदेश
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादियों को ये संदेश देना था कि भारत अब उनकी हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेगा. 7 मई को शुरू हुआ ये ऑपरेशन चार दिनों तक चला, जिसके दौरान भारतीय सेना ने 9 और 10 मई को पाकिस्तान की ओर से किए गए हमलों को नाकाम कर दिया. विदेश मंत्री ने बताया कि 10 मई को पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क कर युद्धविराम की मांग की. ये युद्धविराम भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे सैन्य चैनलों के जरिए हुआ, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से.

 
         
         
        