 
                  अमेरिका में H-1B वीजा फीस बढ़कर 1 लाख डॉलर… Trump Gold Card Launch… भारतीय IT पेशेवरों पर भारी असर, आउटसोर्सिंग की ओर बड़ी कंपनियां
Washington DC : अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump जबसे दूसरी बार सत्ता में आए हैं पूरी दुनिया में खलबली मचा रखी है… खुद को दुनिया का सबसे बड़ा बाहुबली समझने वाले Trump एक बार फिर ऐसा फैसला ले लिया है जिसका सीधा असर भारत पर पड़ने वाला है. American President ने 19 सितंबर को White House में एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए, जिसमें H-1B Visa के लिए एप्लिकेशन फीस को एक लाख डॉलर यानि करीब ₹88 लाख रुपये कर दिया गया है…
पहले और अब में कितना फर्क?

America में काम की तलाश में जाने के लिए पहले ये फीस $460 से $4,500 यानि ₹38,000 से ₹3.75 लाख तक होती थी. जिसमें प्रीमियम प्रोसेसिंग और अन्य शुल्क शामिल थे. अब Trump ने इसे बढ़ाकर एक लाख डॉलर कर दिया है जिससे अमेरिका जाने वालों की जेब पर बड़ा असर पड़ेगा. यह बदलाव H-1B प्रोग्राम को ओवरयूज रोकने और अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से किया गया है. बदलाव 21 सितंबर से लागू हो जाएंगे.
Trump Gold Card प्रोग्राम लॉन्च

इसके अलावा अमेरिकी प्रशासन ने Trump Gold Card प्रोग्राम लॉन्च किया है जो 10 लाख डॉलर की फीस पर अमेरिका में अनलिमिटेड रेसिडेंसी का अधिकार देगा… यह कार्ड EB-1 यानि असाधारण क्षमता वाले और EB-2 यानि उन्नत डिग्री वाले वीजा प्रोग्राम्स की जगह लेगा. Gold Card धारक को अमेरिकी नागरिकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी, सिवाय वोटिंग और पासपोर्ट के अधिकार के… कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड $20 लाख का होगा जो कंपनियों को कर्मचारियों के लिए स्पॉन्सर करने की अनुमति देगा. आवेदन के लिए 15,000 डॉलर यानि 12.5 लाख रुपये की वेटिंग फीस और सख्त सिक्योरिटी चेक जरूरी होगा… इसके लिए trumpcard.gov वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है.
धनी विदेशियों के लिए प्रोग्राम- Trump

Donald Trump ने कहा, “ये प्रोग्राम धनी विदेशियों के लिए है ताकि वे 10 लाख डॉलर देकर अमेरिका में रहकर काम कर सकें… हम सिर्फ टैलेंटेड लोगों को वीजा देंगे, जो अमेरिकियों की नौकरियां न छीनें”. अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने बताया कि शुरुआत में 80,000 Gold Card जारी किए जाएंगे जो अमेरिका को 100 अरब डॉलर की कमाई देंगे. यह राशि टैक्स कटौती और सरकारी कर्ज चुकाने में इस्तेमाल होगी. लुटनिक ने जोर दिया कि कंपनियां American Graduates को ट्रेनिंग दें, न कि विदेशियों को.
भारतीय IT पेशेवरों पर असर
H-1B Visa का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत है… 2025 की पहली छमाही में अप्रूव्ड H-1B Visa में 71% भारतीयों के थे, जबकि चीन 11.7% पर दूसरे स्थान पर. इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL जैसी कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों को स्पॉन्सर करती हैं. अमेजन को 12,000 माइक्रोसॉफ्ट और मेटा को 5,000+ H-1B अप्रूवल मिले थे.
कंपनियों पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ

Trump के इस नए प्रोग्राम से कंपनियों पर करोड़ों का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा… खासकर स्टार्टअप्स और छोटी फर्म्स पर. इससे मिड-लेवल और एंट्री-लेवल भारतीय इंजीनियर्स को वीजा मिलना मुश्किल हो जाएगा. कंपनियां आउटसोर्सिंग बढ़ा सकती हैं या Canada, UK, UAE जैसे देशों की ओर रुख कर सकती हैं. White House के स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ की मानें तो H-1B का गलत इस्तेमाल हुआ है… अब सिर्फ High Skilled Workers को ही ये वीजा मिलेगा. वहीं गोल्ड कार्ड से EB कैटेगरी बंद होने से हाई-स्किल्ड इंडियन प्रोफेशनल्स के Green Card Route प्रभावित होंगे, लेकिन इससे अमीर निवेशकों को फायदा होगा. India से सालाना लाखों इंजीनियर America जाते हैं, लेकिन अब यूरोप और कनाडा आकर्षक का केंद्र बनेंगे.

 
         
         
         
        
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