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Akhilesh Mosque Controversy: मस्जिद की बैठक में अखिलेश, और लाठी में तेल चढ़ा रही जनता
Akhilesh Mosque Controversy update
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जब भी अखिलेश यादव कुछ करते हैं, तो या तो टोपी सरक जाती है या किसी मंदिर-मस्जिद की सीढ़ियाँ हिलने लगती हैं। अब जनाब ने बलिया में जाकर मस्जिद के प्रांगण में बैठक कर ली। मामला इतना भी धार्मिक नहीं था, जितना ‘राजनीतिक नमाज़’ जैसा था। लेकिन बीजेपी की बांसडीह विधायक केतकी सिंह का पारा इस हरकत पर इतना चढ़ा कि उन्होंने कहा – “अखिलेश मंदिर न चले जाएं, वरना मंदिर भी अशुद्ध हो जाएगा!” वाह!
Ketki Singh Statement: लाठी में तेल और जुबान में आग>Akhilesh Mosque Controversy
केतकी सिंह वही नेता हैं जो जब बोलती हैं तो विपक्ष के कान नहीं, आत्मा जलने लगती है। उन्होंने सीधे-सीधे अखिलेश यादव को धमकी दी – “आप जो संदेश देना चाहते हैं, उसका जवाब जनता लाठी में तेल लगाकर देगी।” यानी अब यूपी में घी कम, लाठी में तेल ज़्यादा चलेगा। Akhilesh Mosque Controversy ने सियासत में ऐसा झोंका डाला है कि ‘अमन चैन’ बेचारे छुट्टी पर चले गए हैं।
Akhilesh Temple Ashuddh: मंदिर भी डर रहा है!
केतकी सिंह का यह बयान कि “अखिलेश मंदिर न जाएं, वरना मंदिर अशुद्ध हो जाएगा” सुनकर राम जी भी सोच में पड़ गए होंगे कि अब किसे शुद्ध मानें? तुष्टिकरण की राजनीति में डूबे अखिलेश शायद अब किसी मंदिर में जाने से पहले ‘पवित्रता प्रमाणपत्र’ साथ ले जाएंगे। Akhilesh Mosque Controversy अब आस्था बनाम अवसरवाद का प्रतीक बन चुका है।
Mamata Banerjee Bangladesh: बंगाल की ममता और बलिया की तल्ख़ी
केतकी सिंह ने सिर्फ अखिलेश पर ही नहीं, ममता दीदी पर भी बमबारी कर दी। कहा – “बांग्लादेशी नागरिकों को भारत की नागरिकता देने से अच्छा है, ममता खुद बांग्लादेश चली जाएं और वहाँ की मुख्यमंत्री बन जाएं।” इतना ही नहीं, चुटीले व्यंग्य में जोड़ा – “वो चली जाएंगी तो यहां लोग माँ काली को प्रसाद चढ़ाएंगे – कि आफ़त टल गई!” सियासी शुचिता अब तंज की तलवार पर चल रही है।
BJP vs SP UP: तुष्टिकरण बनाम तेवर की तकरार>Akhilesh Mosque Controversy
एक तरफ हैं अखिलेश, जो हर बार ‘समाजवादी टोपी’ पहनकर सेकुलरिज़्म का मशाल उठाते हैं, दूसरी तरफ बीजेपी की नेत्रियां जो लाठी में तेल चढ़ाकर ‘आस्था रक्षक सेना’ में भर्ती हो चुकी हैं। Akhilesh Mosque Controversy अब केवल मस्जिद की बैठक नहीं, बल्कि 2024 की रणनीतिक रिहर्सल बनती जा रही है।
Akhilesh Mosque Controversy: अब मस्जिद में बैठेंगे या वोट बैंक की गद्दी पर?
जिस तेज़ी से अखिलेश यादव हर धार्मिक मुद्दे पर एक खास समुदाय के पाले में खड़े होते हैं, उससे अब सवाल सिर्फ राजनीतिक नहीं रहा। बलिया की मस्जिद में बैठक करना कोई इत्तेफ़ाक नहीं, बल्कि सोच-समझकर किया गया एक पैंतरा है — वो पैंतरा जो अब जनता पहचान चुकी है। लेकिन हाय री राजनीति! जहाँ मज़हब को मंच और वोट को वेदी बना दिया गया है। Akhilesh Mosque Controversy दरअसल वही पुराना नाटक है, जहाँ किरदार नए और स्क्रिप्ट वही “धार्मिक ध्रुवीकरण” की।

 
         
         
         
         
         
        