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Akhanda Bharat Sankalp Yatra – खेकड़ा की सड़कों पर भगवा लहराया
बागपत जिले के खेकड़ा कस्बे में रविवार को Akhanda Bharat Sankalp Yatra निकाली गई। स्वामी दीपांकर महाराज के नेतृत्व में यह यात्रा भगवा सागर में बदल गई। सैकड़ों लोग saffron flags के साथ यात्रा में शामिल हुए। गली-मोहल्लों से लेकर बाजार तक एक ही नारा गूंजा – “अखंड भारत हमारा संकल्प।” लेकिन यात्रा के साथ-साथ स्वामी दीपांकर के बयान भी उतने ही गूंजे, जिनमें उन्होंने सिस्टम और समाज दोनों पर तीर चलाए।
Swami Dipankar on Akhanda Bharat – “जरूरत भी, मजबूरी भी”
स्वामी दीपांकर ने पत्रकारों से कहा कि Akhanda Bharat महज सपना नहीं बल्कि आज की मजबूरी है। उनका साफ कहना था – “अगर जिंदा रहना है और अपने देश में रहना है तो एकजुट होना ही होगा। कश्मीर से खदेड़कर आए हो तो अब कहाँ जाओगे?” यह बयान सिर्फ भीड़ को नहीं, बल्कि सत्ता के गलियारों तक संदेश देने वाला था।
India is Not Dharamshala – Ro hingya और Bangladeshis पर तंज

यात्रा के मंच से स्वामी दीपांकर ने सबसे तीखा तीर छोड़ा – “भारत कोई धर्मशाला नहीं कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी आते जाएं और यहीं बस जाएं।” यह बयान सीधे-सीधे उस राजनीति पर चोट था, जिसमें वोटबैंक के लिए घुसपैठियों को गले लगाया जाता है। दीपांकर ने कहा कि जब देश की जमीन ही खतरे में है तो चुप रहना आत्मघात है। यही असली दर्द है, जिसे उन्होंने Akhanda Bharat Sankalp Yatra से उजागर किया।
Swami Dipankar on Dharmgurus – संयम जरूरी
स्वामी दीपांकर ने धर्मगुरुओं पर भी कटाक्ष किया। बोले – “धर्मगुरु भी हमारे, बहन-बेटियां भी हमारी। लेकिन बोलने से पहले संयम जरूरी है। कोई शब्द बुरा लगे तो बचना चाहिए।” यह तीर सीधे उन बाबाओं पर था जो आए दिन मंच से विवादास्पद बयान देकर माहौल बिगाड़ते हैं। दीपांकर ने व्यंग्य में कहा – “धर्म अगर जोड़ने का काम करता है तो फिर धर्मगुरुओं का काम भी जोड़ने का होना चाहिए, तोड़ने का नहीं।”
Hindu Unity and Akhanda Bharat – राजनीति पर करारा व्यंग्य

दीपांकर ने हिंदुओं की एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 500 सालों में जो नहीं हुआ वह अब हुआ है – अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। यह हिंदू एकता का ही परिणाम है। लेकिन अगर आने वाले चुनाव में हिंदू जातियों में बंट गए तो “नेता लोग चूर्ण देंगे और जनता लुट जाएगी।” उनकी इस टिप्पणी ने भीड़ को ठहाकों से भर दिया। व्यंग्य के साथ चेतावनी – यही शैली थी उनकी Akhanda Bharat Sankalp Yatra की।
Akhanda Bharat Sankalp Yatra – संदेश और संकल्प
इस यात्रा का मकसद सिर्फ भगवा झंडे लहराना नहीं बल्कि यह संदेश देना था कि हिंदू अगर बंटे रहे तो आने वाले समय में न जमीन बचेगी, न सम्मान। “अखंड भारत” सिर्फ भूगोल का नक्शा नहीं, बल्कि मानसिक एकता का संकल्प है। स्वामी दीपांकर ने कहा – “समय है कि जात-पात की राजनीति छोड़कर हिंदू एक हो जाएं, वरना इतिहास दोहराया जाएगा और भविष्य छिन जाएगा।”
Akhanda Bharat Sankalp Yatra-अखंड भारत की गूंज

खेकड़ा से उठी यह गूंज पूरे पश्चिमी यूपी में चर्चा का विषय बन गई। Akhanda Bharat Sankalp Yatra के मंच से निकला यह संदेश सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि एक “आंदोलन की दस्तक” है। अब देखना है कि यह गूंज कितनी दूर तक जाती है और सत्ता के कानों तक पहुंचकर कितना असर करती है।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:राहुल चौहान
📍 लोकेशन: बागपत, यूपी
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