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“Agriculture Officer Slapped” — मीटिंग में नहीं, सिस्टम के मुंह पर पड़ा थप्पड़
Pilibhit में जिला पंचायत की बैठक में जो हुआ, उसे देखकर “थाना-बैठक का फ्यूज़न शो” कहना गलत नहीं होगा। मीटिंग में कृषि अधिकारी को थप्पड़ मारना किसी व्यक्ति पर नहीं, पूरी नौकरशाही की गरिमा पर हमला था। कृषि अधिकारी पर थप्पड़ चलते (Agriculture Officer Slapped) ही माहौल ऐसा बन गया जैसे पंचायत की बजाय WWE का लाइव मैच चल रहा हो। अधिकारी नरेंद्र पाल यादव को थप्पड़ जड़ना, फिर गाली-गलौज और धमकी—सब कुछ ऑन रिकॉर्ड, और अब ऑफ स्टेटस हो गया।
“Pilibhit Panchayat Meeting” बनी कुश्ती का अखाड़ा। Agriculture Officer Slapped
जिस पंचायत बोर्ड मीटिंग में जनहित के मुद्दे उठने चाहिए थे, वहां उठा सिर्फ एक हाथ—और वो भी थप्पड़ के लिए। Pilibhit Panchayat Meeting में यूरिया संकट पर बहस होनी थी, लेकिन ‘कौन किसको ज्यादा नीचा दिखा सकता है’ इसकी स्पर्धा शुरू हो गई।बीजेपी नेता नितिन पाठक जी के ड्राइवर अनमोल ने कृषि अधिकारी को वही “सपाट जवाब” दिया जो नेताओं की शैली में सबसे ज्यादा चलन में है—थप्पड़!
“District Agriculture Officer Assault” और नौकरशाही में लगी आग । Agriculture Officer Slapped
जैसे ही District Agriculture Officer Assault का मामला सामने आया, कृषि विभाग के कर्मचारियों की आत्मा कांप गई। शुक्रवार को कृषि भवन धरना स्थल में बदल गया। हड़ताल, नारेबाज़ी और सोशल मीडिया पर क्रांति का वातावरण बन गया। ऑफिसर की जातीय पीड़ा वाले बयान ने आग में घी का काम किया। कुछ लोगों ने इसे ‘राजनीतिक स्टंट’ कहा तो कुछ ने इसे सामाजिक अन्याय का प्रतीक।
“UP Government Employee Protest” में गरजा सरकारी गुस्सा। Agriculture Officer Slapped
पद, प्रतिष्ठा और पगार की गरिमा पर जब थप्पड़ पड़ा, तो पूरा UP Government Employee Protest में तब्दील हो गया। कर्मचारी बोले—”अब अगर हम चुप रहे तो कल थानों में बेल्ट भी उतार ली जाएगी!” कलेक्ट्रेट में ताले लटक गए, चाय-सिगरेट की दुकानें खुली रहीं, पर दफ्तरों की फाइलें बंद पड़ी रहीं। आंदोलनकारियों ने साफ कहा, जब तक गिरफ्तारी नहीं होती, विरोध जारी रहेगा।
“DM Pilibhit Action” में आया शासन का खत, नहीं तो गुस्से का तूफान। Agriculture Officer Slapped
शासन से भेजा गया पत्र मिला DM Pilibhit को, जिसमें दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आदेश था। ये चिट्ठी अब प्रशासनिक सिस्टम का नया बायोमेट्रिक बन चुकी है—सब कुछ लिखित में, पर काम ज़मीन पर कब होगा, पता नहीं। डीएम साहब ने जांच का भरोसा दिया और कर्मचारी माने भी, लेकिन उन आंखों में अब भरोसे की जगह शक है।
“Bureaucracy Attack UP” की असली तस्वीर, कैमरे के आगे और पीछे। Agriculture Officer Slapped
थप्पड़ की ये गूंज सिर्फ पीलीभीत तक नहीं रुकी। अब इसे सोशल मीडिया पर ट्रेंड किया जा रहा है #BureaucracyAttackUP के नाम से। अब सवाल सिर्फ थप्पड़ का नहीं है, सवाल अफसरों की सुरक्षा बनाम नेताओं की सत्ता का है। जनता अब पूछ रही है: अगर अधिकारी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की फरियाद किसके सामने करें? इस बीच CDO साहब तो गाड़ी उठाकर निकल लिए, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
पीलीभीत की पंचायत बैठक ने यह साबित कर दिया कि कभी-कभी सवाल पूछना भी जानलेवा हो सकता है—खासकर जब जवाब में आक्रोश और हाथ दोनों उठे हों। अफसर थप्पड़ खा रहा है, ड्राइवर हाथ चला रहा है, और नेता कुर्सी बचा रहा है।
खबरीलाल.डिजिटल पर हम सिर्फ खबर नहीं लिखते, उस तमाचे की गूंज सुनाते हैं जो सिस्टम को बहरेपन से बाहर ला सके।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: शकुश मिश्रा
📍 लोकेशन: पीलीभीत, यूपी
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