Agra School Lock Chaos in Gubaroth school due to absence of teachers viral video exposed the truth
Agra School Lock : शिक्षा का मंदिर या लापरवाही का अड्डा?
यूपी के आगरा से एक स्कूल का ऐसा मामला और तस्वीर सामने आई है – जिसे सुनकर और देखकर योगी सरकार के माथे पर बल पड़ जाएंगे – लेकिन शिक्षा विभाग और सिस्टम का रवैया तब भी बदलेगा या नहीं, कह पाना मुश्किल है, क्योंकि अगर विभाग गंभीर होता, जिम्मेदारी ठीक से निभा रहा होता – तो शायद इस खबर से इस वक्त आप रूबरू नहीं हो रहे होते! मामला आगरा के फतेहाबाद के गुबरौठ गांव का है – जहां प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय शिक्षा का मंदिर कम – ताला भवन ज्यादा नजर आता है।
Agra School Lock : 8 बजे का स्कूल, 9 बजे भी ताला…क्या है गड़बड़झाला?
– सुबह 8 बजे स्कूल खुलने का समय है
– लेकिन 9 बजे तक ताला लटका मिले
– बच्चे गेट पर बारिश की ठंड में ठिठुरते रहें
– लेकिन स्कूल के टीचरों का पता नहीं!
आरोप है- फतेहाबाद के गुबरौठ गांव की ये कोई नई कहानी नहीं है- स्कूल कभी वक्त से नहीं खुलता। 8 बजे स्कूल के शिक्षक की जगह ताला सामने होता है- जो बच्चों और उनके भविष्य को मुंह चिढ़ाता है। आरोप है कि स्कूल में शिक्षा को लेकर शिक्षक गंभीर नहीं हैं। बच्चे और उनके सपने इसी तरह स्कूल के बाहर धूल फांकते हैं। शुक्रवार (25 जुलाई) को तो हद हो गई – जब ग्रामीणों ने तंग आकर हंगामा किया और वीडियो वायरल कर दिया। लेकिन सवाल ये है कि क्या इस हंगामे से सिस्टम की नींद टूटेगी?
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Agra School Lock : जांच का ढोल, कार्रवाई के बोल – बंद करो हवाबाजी!
गुबरौठ गांव के लोग चीख-चीखकर कह रहे हैं कि शिकायतें बार-बार कीं – लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) साहब की “जांच” और “नियमानुसार कार्रवाई” का राग वही पुराना टेप रिकॉर्डर है – जो हर बार बजता है और फिर बंद हो जाता है। नतीजा? स्कूलों में पढ़ाई ठप, बच्चे भटक रहे, और सरकारी स्कूलों की साख मिट्टी में मिल रही। वैसे ये हाल सिर्फ गुबरौठ का नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के तमाम सरकारी स्कूलों की कड़वी हकीकत है।

Agra School Lock : बच्चों के भविष्य पर खतरा, कौन लेगा जिम्मा?
शिक्षा विभाग के आला अफसरों और सरकार से सवाल है- आखिर कब तक बच्चे ताले के पीछे इंतजार करेंगे? कब तक “जांच” के नाम पर लापरवाह शिक्षकों को संरक्षण मिलता रहेगा? क्या सरकार का “बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ” और “सब पढ़ें, सब बढ़ें” का नारा सिर्फ होर्डिंग्स तक सीमित है? अगर शिक्षा का ये हाल रहा तो क्या गांव का बच्चा कभी डॉक्टर, इंजीनियर या अफसर बन पाएगा?
Written by khabarilal.digital Desk
🎤संवाददाता: संजय सिंह निषाद
📍लोकेशन: आगरा
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