 
                                                      
                                                नेपाल में हुए Gen Z विद्रोह की एक तस्वीर
Gen Z का वैश्विक आंदोलन: नेपाल से फ्रांस तक हिल रही हैं सरकारें
Gen Z protest news
आज की दुनिया में सोशल मीडिया और इंटरनेट सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं रह गए हैं। ये अब युवा पीढ़ी यानी Gen Z का सबसे बड़ा हथियार बन चुके हैं – बदलाव लाने का, सवाल पूछने का और सड़कों पर उतरने का। 1997 से 2012 के बीच जन्मी इस पीढ़ी को पहले आलसी और उलझन में रहने वाला कहा जाता था, लेकिन अब यही पीढ़ी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकारी नीतियों के खिलाफ सबसे आगे खड़ी है।
सितंबर और अक्टूबर 2025 में दुनिया के कई देशों में युवाओं के नेतृत्व में आंदोलन हुए, जिनका असर इतना गहरा था कि कुछ सरकारें गिर गईं और कुछ संकट में हैं। आइए जानते हैं कौन-कौन से देश इस लहर की चपेट में हैं…
1. नेपाल: सोशल मीडिया बैन और नेपो किड्स पर गुस्सा
सितंबर की शुरुआत में नेपाल सरकार ने जब 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया, तो देशभर के युवा सड़कों पर उतर आए। गुस्सा तब और भड़का जब नेताओं के बच्चों की ऐशो-आराम वाली तस्वीरें वायरल हुईं। 72 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने के बाद प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। संसद तक में आग लगा दी गई।

2. मोरक्को: फुटबॉल नहीं, अस्पताल चाहिए!
मोरक्को में सरकार वर्ल्ड कप 2030 की तैयारियों पर अरबों खर्च कर रही है, लेकिन देश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहद खराब है। 1430 लोगों पर सिर्फ एक डॉक्टर है। इस गुस्से की अगुआई “Gen Z 212” नाम के संगठन ने की। आगादिर के एक अस्पताल में इलाज के अभाव में 8 महिलाओं की मौत हो गई, जिसे अब ‘डेथ हॉस्पिटल’ कहा जा रहा है। हफ्तों तक चले प्रदर्शनों में तीन लोगों की जान गई और सैकड़ों गिरफ्तार हुए।

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3. मेडागास्कर: पानी-बिजली के लिए आंदोलन
बिजली और पानी की भारी किल्लत ने मेडागास्कर में हालात बिगाड़ दिए। राजधानी से लेकर छोटे शहरों तक प्रदर्शन हुए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 22 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल हुए। हालात इतने खराब हो गए कि राष्ट्रपति को अपनी सरकार भंग करनी पड़ी।
4. पेरू: पेंशन नीति और गैंग हिंसा पर नाराज़गी
पेरू में नई पेंशन योजना लागू होने के बाद लोग भड़क गए। इसके अलावा टैक्सी ड्राइवर और आम नागरिक गैंग वसूली से परेशान हैं। राष्ट्रपति दीना बोलुआर्ते की लोकप्रियता सिर्फ 2.5% रह गई है। प्रदर्शनकारियों ने खुलेआम उनके इस्तीफे की मांग की है।

5. फिलीपींस: बाढ़ राहत में भ्रष्टाचार
यहां लगभग 1.85 बिलियन डॉलर की बाढ़ राहत राशि में घोटाले सामने आए। भीषण बाढ़ ने हालात बदतर कर दिए। राजधानी में पानी भर गया, गाड़ियाँ बह गईं और बीमारियाँ फैल गईं। गुस्साए लोग सड़कों पर उतर आए। अब तक 200 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। ग्रीनपीस जैसे संगठन कह रहे हैं कि असली घोटाला सरकार के बताए आंकड़ों से कहीं बड़ा है।
6. इंडोनेशिया: सांसदों की सुविधाओं पर सवाल
इंडोनेशिया में छात्र और युवा सरकारी भ्रष्टाचार, शिक्षा की कमी और बढ़ती असमानता से नाराज़ हैं। सांसदों को मिलने वाला भत्ता आम लोगों की कमाई से 10 गुना ज्यादा है। एक डिलीवरी बॉय की मौत के बाद गुस्सा और भड़क गया। सरकार ने कुछ कटौतियों और जांच का वादा किया है।
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7. सर्बिया: पुलिस की बर्बरता के खिलाफ छात्र
8 सितंबर को बेलग्रेड की सड़कों पर हजारों छात्र पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ उतरे। एक छात्रा को दी गई रेप की धमकी ने आंदोलन को और उग्र बना दिया। ये प्रदर्शन सर्बिया की सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।
8. फ्रांस: खर्च में कटौती पर हंगामा
फ्रांस की सरकार ने राष्ट्रीय बजट में भारी कटौती की घोषणा की, जिससे पब्लिक सर्विसेज पर असर पड़ा। इसके खिलाफ देशभर में हड़ताल और प्रदर्शन हुए। 2 अक्टूबर को 200 से ज्यादा शहरों में प्रदर्शन हुए और पेरिस में एफिल टॉवर तक बंद करना पड़ा। लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाए और आम लोगों की सुविधाओं में कटौती बंद करे।

Gen Z विद्रोह, एक नई लहर का आगाज़
इन सभी आंदोलनों में एक समानता है – युवाओं की भागीदारी, डिजिटल माध्यमों का उपयोग, और बदलाव की तीव्र इच्छा। ये सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि नई सोच, पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग है। आने वाले समय में ये लहर और भी तेज हो सकती है।
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