उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट पर सियासी तूफान मच गया है। यह भूचाल ऐसा कि मऊ से लखनऊ तक सियासत सुलग उठी। सपा की साइकिल रफ्तार पकड़ रही है, तो BJP का कमल खिलने को बेताब है। आखिर क्या हुआ मऊ विधानसभा सीट पर, जो यूपी की सियासत में भूकंप ला दिया? आइए, इस सियासी रण की पूरी कहानी खोलते हैं।
अब्बास अंसारी मऊ विधानसभा सदस्यता खत्म,अब क्या?
दरअसल माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता 31 मई 2025 को हेट स्पीच केस में दो साल की सजा के बाद खत्म कर दी गई। मऊ MP/MLA कोर्ट ने शनिवार को अब्बास को दोषी ठहराया, और रविवार को योगी सरकार ने छुट्टी के दिन विधानसभा सचिवालय खोलकर मऊ विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर विपक्ष के होश उड़ा दिए। इस तेजी ने सवाल उठाए हैं कि योगी सरकार ने रविवार को ही आदेश क्यों जारी किया? क्या यह हाईकोर्ट में स्टे की आशंका को रोकने की रणनीति थी?
🔥हेट स्पीच केस: अब्बास अंसारी की विधायकी क्यों गई?
2022 के विधानसभा चुनाव में अब्बास अंसारी ने मऊ के पहाड़पुरा में रैली के दौरान कहा, “अखिलेश से कहकर आया हूँ, सरकार बनी तो 6 महीने कोई ट्रांसफर नहीं, पहले हिसाब होगा।” इस भड़काऊ बयान को हेट स्पीच और आचार संहिता उल्लंघन माना गया। मऊ कोतवाली में दर्ज FIR के बाद, 31 मई 2025 को कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के तहत, दो साल से अधिक की सजा पर मऊ विधानसभा सीट स्वतः रिक्त हो गई। योगी सरकार ने भी बिना देर किये कार्रवाई कर सियासत विपक्षियों को ऐसा झटका दिया, मानो भूकंप आया गया हो।
रविवार का आदेश: योगी की सियासी मास्टरस्ट्रोक?
मऊ विधानसभा सीट को रविवार, 31 मई 2025 को रिक्त घोषित करना योगी सरकार का सियासी दांव है। अब्बास के वकील हाईकोर्ट में सजा पर स्टे की तैयारी में थे, जो सीट को बचा सकता था। लेकिन योगी सरकार ने छुट्टी के दिन सचिवालय खोलकर तुरंत कार्रवाई की, ताकि उपचुनाव की राह खुले और विपक्ष को संभलने का मौका न मिले। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने चुनाव आयोग को सूचित किया, जो 6 महीने में उपचुनाव कराएगा। यह तेजी दर्शाती है कि मऊ विधानसभा सीट अब BJP का सियासी लक्ष्य है।
अब कौन लड़ सकता है चुनाव? मुख्तार की विरासत बनाम बीजेपी की चुनौती
मऊ सीट पर 1996 से अब तक मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के अलावा कोई नहीं जीत पाया है।मुख्तार ने 5 बार और 2022 में उनके बेटे अब्बास अंसारी ने यह सीट जीती। यह सच है कि अब्बास अंसारी की सीट अंसारी परिवार के सामाजिक समीकरणों की देन रही है – मुस्लिम, यादव और कुछ राजभर वर्ग का अपार समर्थन उन्हें मिलता रहा है।
अब्बास अंसारी,मुख्तार के गढ़ में लगेगी सेंध?
अगर चुनाव होता है, तो अब्बास या उनके छोटे भाई उमर अंसारी, या फिर मुख्तार की पत्नी भी मैदान में उतर सकती हैं। लेकिन इस बार BJP यह सीट हथियाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। बीजेपी इस रणनीति पर काम करके सीट को अपने कब्जे में ले सकती है।
BJP की रणनीति: मऊ का किला कैसे फतह करें?
BJP इस बार अब्बास अंसारी की सीट मऊ को ‘माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश’ का प्रतीक बना कर भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है। स्थानीय ब्राह्मण और राजपूत वोटरों को लामबंद किया जा रहा है, जबकि निषाद पार्टी और SBSP जैसे सहयोगी भी OBC कार्ड खेलने को तैयार हैं।
जातिगत समीकरण: मऊ में 1.25 लाख मुस्लिम, 1 लाख दलित, 55 हजार राजभर, और 45 हजार यादव मतदाता हैं। BJP राजभर और दलित वोटों को साधने के लिए SBSP और निषाद पार्टी जैसे सहयोगियों की मदद ले सकती है।
स्थानीय मुद्दे: विकास, कानून-व्यवस्था, और योगी सरकार की उपलब्धियों को प्रचारित करना।
विपक्ष को कमजोर करना: अंसारी परिवार के प्रभाव को कम करने के लिए सख्त प्रशासनिक कदम।
अब्बास अंसारी मऊ विधानसभा से विधायकी खत्म
स्टे मिला तो योगी सरकार का प्लान B?
अगर हाईकोर्ट अब्बास को सजा पर स्टे देता है, तो मऊ विधानसभा सीट उनकी हो सकती है, और उपचुनाव रुक सकता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत स्टे विधायकी बहाल करता है। योगी सरकार अब्बास के खिलाफ अन्य मामलों (मनी लॉन्ड्रिंग, गैंगस्टर एक्ट) को तेज कर सकती है। नियम 190(4) के तहत अनुपस्थिति पर कार्रवाई मुश्किल है, क्योंकि जेल में होने के बावजूद अब्बास ने विधानसभा सत्रों में हिस्सा लिया था। यह कदम जोखिम भरा होगा, क्योंकि सपा इसे “सियासी बदला” का हथियार बनाएगी, जिससे मऊ विधानसभा सीट का मुद्दा और सुलगेगा।
सियासी गर्माहट और 2027 यूपी चुनाव पर असर
मऊ विधानसभा सीट का उपचुनाव पूर्वांचल में BJP बनाम सपा की जंग है। सपा अंसारी परिवार के प्रभाव और मुस्लिम-यादव वोटों के दम पर लड़ेगी, जबकि BJP गठबंधन की ताकत और “माफिया-मुक्त” नैरेटिव भुनाएगी। अब्बास की वापसी सपा को बूस्ट देगी, लेकिन BJP की जीत 2027 यूपी चुनाव में पूर्वांचल की 27 सीटों का समीकरण पलट सकती है। यानि मऊ विधानसभा सीट अब सिर्फ सीट नहीं, सियासी सत्ता की जंग है।
अब्बास अंसारी मऊ विधानसभा से विधायकी खत्म
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि,मऊ विधानसभा सीट पर अब्बास अंसारी की विधायकी खत्म होने से यूपी की सियासत में आग लग गई है। योगी सरकार का मास्टरस्ट्रोक, BJP की चाल, और सपा की जवाबी रणनीति ने मऊ को सियासी रणभूमि बना दिया। क्या BJP अंसारी के किले को ढहाएगी, या अब्बास हाईकोर्ट से वापसी करेंगे? यह जंग 2027 यूपी चुनाव का माहौल तय करेगी।