Bihar assembly election 2025: Is Chirag Paswan set to turn Shahabad region into an NDA stronghold?
Bihar Election: चिराग उतरेंगे शाहाबाद से? बिहार की सियासत में भूचाल…नीतीश-मांझी जैसे विरोधियों की हवा अभी से टाइट!
Bihar Election: बिहार की सियासी जमीन एक बार फिर तप रही है। विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के जीजा और जमुई सांसद अरुण भारती के तीखे बयानों ने जेडीयू (JDU) खेमे में हड़कंप मचा दिया है। अरुण भारती के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने बिहार की राजनीति में आग लगा दी, जिसमें नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी दोनों निशाने पर दिख रहे हैं।
सियासी तीर और अरुण भारती का वार
अरुण भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा दे देने का अनुभव वाकई चिराग पासवान जी के पास नहीं है।”
यह बयान साधारण लग सकता है मगर इसका निशाना सियासी गलियारों में गहरी चोट कर रहा है। यह कटाक्ष नीतीश कुमार के उस पुराने इतिहास की ओर इशारा करता है, जब उन्होंने 2000 में बहुमत साबित करने से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही, यह जीतन राम मांझी के हालिया बयान “राजनीति में जोश नहीं, होश जरूरी है” का जवाब भी माना जा रहा है… जिसमें उन्होंने चिराग की समझदारी पर सवाल उठाए थे।
चिराग पासवान की बिहार में जोरदार एंट्री
चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है। नालंदा के राजगीर में आयोजित ‘बहुजन भीम संकल्प समागम’ में चिराग ने कहा, “मैं बिहार के लिए, बिहार में चुनाव लड़ूंगा।” चिराग के इस बयान ने न केवल विपक्षी दलों को हिलाकर रख दिया, बल्कि एनडीए गठबंधन के भीतर भी तनाव पैदा कर दिया है। अरुण भारती ने भी साफ कर दिया कि चिराग की एंट्री शाहाबाद की जनता की मांग, पार्टी सर्वेक्षण और कार्यकर्ताओं की पुकार का नतीजा है।
नीतीश और मांझी पर दोतरफा हमला
सियासी पंडितों का मानना है कि अरुण भारती का तंज दोतरफा है। एक तरफ यह मांझी के उस बयान का जवाब है, जिसमें उन्होंने चिराग के दलित नेतृत्व के दावे को खारिज करते हुए उनकी राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाए थे। दूसरी तरफ, यह नीतीश कुमार की उस छवि पर प्रहार है, जो बार-बार गठबंधन बदलने और सत्ता के लिए इस्तीफों के लिए जानी जाती है। नीतीश के गृह जिले नालंदा में चिराग की रैली और उनके ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के नारे ने जेडीयू को असहज कर दिया है।

क्या चिराग छोड़ेंगे केंद्रीय मंत्रिमंडल?
चिराग की विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा के बाद यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या वे केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे? इस पर अरुण भारती ने स्पष्ट किया, “चिराग बिना बहुमत साबित किए इस्तीफा नहीं देंगे।” यह बयान न केवल उनकी सियासी रणनीति को दर्शाता है, बल्कि नीतीश और मांझी को एक मजबूत संदेश भी देता है कि चिराग अब बिहार की सत्ता में बड़ी भूमिका के लिए तैयार हैं।
बिहार में सत्ता का नया तूफान
चिराग पासवान की यह एंट्री केवल एक उम्मीदवार की भागीदारी नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में एक बड़े बदलाव की आहट है। उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने पिछले लोकसभा चुनाव में 100% स्ट्राइक रेट हासिल की थी, और अब वे 40 सीटों पर दावा ठोक रहे हैं। दूसरी ओर, जेडीयू को डर है कि चिराग की बढ़ती लोकप्रियता उनकी स्थिति को कमजोर कर सकती है, खासकर तब जब बीजेपी चिराग को ज्यादा तवज्जो दे रही है।
शाहाबाद में जनता की पुकारशाहाबाद क्षेत्र में चिराग की लोकप्रियता बढ़ रही है। कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों का कहना है कि चिराग न केवल दलितों, बल्कि युवाओं और महिलाओं जैसे व्यापक वोटर समूहों को आकर्षित कर रहे हैं। उनके ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के नारे ने एक बार फिर लोगों में जोश भरा है, और यह सियासी तूफान नीतीश और मांझी दोनों के लिए चुनौती बन सकता है।
सियासी गलियारों में सवाल
- क्या चिराग पासवान बिहार के अगले मुख्यमंत्री बनने की राह पर हैं?
- क्या नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी इस सियासी आंधी में अपनी जमीन बचा पाएंगे?
- क्या एनडीए गठबंधन में दरार गहराएगी?
बिहार की सियासत में चिराग पासवान की यह नई पारी न केवल उजाला फैलाएगी, बल्कि एक ऐसा तूफान ला सकती है जो सत्ता की दिशा बदल दे। अब देखना यह है कि इस सियासी जंग में कौन बाजी मारेगा और कौन इस ‘चिराग’ की लौ में झुलसेगा।
