Dog Bite, कबड्डी चैंपियन ब्रजेश सोलंकी मौत

Dog Bite से कबड्डी चैंपियन ब्रजेश की मौत, बुलंदशहर में हड़कंप

बुलंदशहर के फराना गांव में Dog Bite ने प्रदेश स्तरीय कबड्डी चैंपियन ब्रजेश सोलंकी की ज़िंदगी छीन ली। परिवार का आरोप – डॉक्टरों की लापरवाही ने कील ठोक दी। अब गांव में ब्रजेश के नाम पर खेल मैदान बनाने की माँग उठ रही है। लेकिन कबड्डी के इस खिलाड़ी को खेल के मैदान की ज़रूरत ज़िंदगी में थी, मौत के बाद नहीं।

Dog Bite बना कातिल, गांव में पसरा मातम

बुलंदशहर के फराना गांव का लाल, जिसने कबड्डी में गोल्ड मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया, वही ब्रजेश सोलंकी आखिरकार एक Dog Bite से ज़िंदगी की जंग हार गया। गांव की गलियों में अब जश्न की जगह मातम है, खेल के मैदान की जगह शोक सभा है। खेल की दुनिया का ये सितारा बुझ गया, वजह – एक पिल्ला!

गोल्ड मेडलिस्ट की मौत – बेबस सिस्टम और बेखबर समाज

कहते हैं, गोल्ड मेडल जितना मुश्किल है, सिस्टम की लापरवाही से लड़ना उससे भी ज़्यादा मुश्किल। दो महीने पहले नाली में गिरे पिल्ले को बचाते हुए ब्रजेश को Dog Bite हुआ, लेकिन प्लेयर ने सोचा कि गोल्ड जीतने वाला लड़का क्या पिल्ले की खरोंच से हारेगा? डॉक्टर भी शायद यही सोच बैठे। परिवार ने जब तक रेबीज के लक्षण देखे, तब तक खेल खत्म हो चुका था।

Dog Bite:इलाज की दौड़ – और मौत का सन्नाटा

अलीगढ़ से दिल्ली तक डॉक्टरों की टीम लगी, लेकिन लापरवाही और लेटलतीफ जांच ने ब्रजेश की आखिरी उम्मीद भी छीन ली। वायरल वीडियो में दिखा, कैसे मौत की दहशत में ब्रजेश तड़पता रहा, लोग पकड़ कर बैठे रहे, लेकिन मौत ने कबड्डी की आखिरी ‘टच’ कर ली।

परिवार की मांग – खेल मैदान बने ब्रजेश के नाम पर

अब गांव वाले और परिवार सरकार से मांग कर रहे हैं – गांव में ब्रजेश सोलंकी के नाम पर खेल मैदान बने। ताकि अगली बार कोई ब्रजेश सिर्फ मेडल न जीते, ज़िंदगी भी जीत सके। वरना ‘Dog Bite’ की लापरवाही कब किसका खेल खत्म कर दे – कौन जाने!

Dog Bite को हल्के में लिया, मौत भारी पड़ गई

CMO सुनील कुमार दोहरे ने कहा – गर्मियों में कुत्ते काटने के मामले बढ़े हैं, और इसे हल्के में लेना जानलेवा है। लेकिन सवाल ये कि क्या गोल्ड मेडल जीतने वाले प्लेयर की मौत पर भी सिस्टम सिर्फ बयान ही देगा?

ब्रजेश चला गया, पर गांव की मिट्टी अब भी उसकी राह देखती है

Dog Bite से कबड्डी चैंपियन ब्रजेश की मौत-

ब्रजेश सोलंकी अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन फराना गांव की गलियों में उसकी हँसी, उसकी कबड्डी की गूंज अब भी बसी है। उस मिट्टी ने सोचा था कि एक दिन ये बेटा देश के लिए खेलेगा, गांव के बच्चे उसके जैसे बनेंगे। पर एक मामूली Dog Bite ने वो सपना भी मार दिया। अब बस एक उम्मीद बची है — कि उसकी याद में एक खेल मैदान बने, जहां बच्चे खेलें तो ब्रजेश की अधूरी सांसों को थोड़ी राहत मिले। शायद उसके नाम का वो मैदान आने वाले किसी और ब्रजेश को बचा ले…

Written by khabarilal.digital Desk

📍 Location: बुलंदशहर,यूपी
🗞Reporter: सुरेंद्र सिंह भाटी

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