संभल में Ganga Flood का ऐसा तांडव मचा कि गंगा नदी खतरे के निशान से एक फीट ऊपर उफान मार रही है! उत्तराखंड की बरसात और नरौरा बैराज से 1,28,000 क्यूसेक पानी के डिस्चार्ज ने गंगा को रौद्र रूप दे दिया। राजघाट पर पानी पक्के घाटों को चूम रहा है, तो खेतों में डुबकी लगा रहा है। श्रद्धालु खुश, मगर गांवों में बाढ़ का खौफ! डीएम,एसडीएम बाढ़ चौकियों और इंतजामों का ढोल पीट रहे हैं।
संभल में Ganga Flood का रौद्र तमाशा, गंगा का गुस्सा, राजघाट में रंग
संभल में गंगा नदी ने ऐसा तांडव मचाया कि राजघाट पर खतरे का निशान बस पुरानी याद बन गया! Ganga Flood ने गंगा को एक फीट ऊपर चढ़ा दिया, और पिछले 24 घंटे में 82,000 क्यूसेक पानी का तूफान आ गया। नरौरा बैराज से 1,28,000 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज इस साल का रिकॉर्ड तोड़ रहा है। पक्के घाटों पर गंगा की लहरें चप्पलें भिगो रही हैं, और श्रद्धालु तो खुशी से झूम रहे हैं। लेकिन बांध के पास के गांवों में टेंशन का तंबू तन गया है। क्या गंगा सिर्फ घाटों को चूमेगी, या गांवों को गले लगाएगी? ये तो खबरीलाल.डिजिटल की खोजबीन ही बताएगी
Ganga Flood:उत्तराखंड की बरसात, संभल में आफत
Ganga Flood ने संभल में नए रिकॉर्ड बना दिए हैं
उत्तराखंड में बरसात का ऐसा रेला छूटा कि गंगा ने संभल में हंगामा मचा दिया। Ganga Flood का ये ड्रामा उत्तराखंड के पहाड़ों से शुरू हुआ, जहां बादल फटने से गंगा का पानी उफान पर आ गया। नरौरा बैराज से 1,28,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, और गंगा का रौद्र रूप देखकर ग्रामीणों की सांसें अटक गईं। राजघाट पर गंगा खतरे के निशान से एक फीट ऊपर बह रही है, और खेतों में पानी ऐसा घुस रहा है मानो गंगा ने खेती करने का मन बना लिया हो! अब सवाल ये है—क्या गंगा सिर्फ खेतों को सींचेगी, या गांवों को भी नहलाएगी?
खेतों में डुबकी, गांवों में खटका
गंगा का पानी अब खेतों में डुबकी लगा रहा है, और किसानों की फसलें जलमग्न होकर “वाटर स्पोर्ट्स” का मजा ले रही हैं। Ganga Flood ने तटवर्ती इलाकों को पानी-पानी कर दिया, और बांध के पास के गांवों में खतरे की घंटी बज रही है। ग्रामीणों का कहना है, “गंगा मइया तो दर्शन दे रही हैं, लेकिन साथ में बाढ़ का बोनस भी!” राजघाट पर पक्के घाटों पर पानी की चादर बिछ गई है, और श्रद्धालु इसे आस्था का उत्सव मान रहे हैं। लेकिन गांव वालों की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि गंगा का ये उफान कब तक रुकेगा, कोई नहीं जानता। क्या गंगा मइया का मूड ठीक होगा, या ये उफान और रंग दिखाएगा?
Ganga Flood:एसडीएम का ढोल, बाढ़ चौकियों का शोर
Ganga Flood ने संभल में नए रिकॉर्ड बना दिए हैं
डीएम और एसडीएम साहब ने बाढ़ चौकियों को चालू करने और बचाव के “पक्के इंतजाम” का ढोल पीटना शुरू कर दिया है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है, “ढोल तो ठीक है, पर पानी का क्या?” बाढ़ चौकियां अलर्ट पर हैं, और प्रशासन का दावा है कि सबकुछ कंट्रोल में है। लेकिन जब गंगा मइया ने उफान मार लिया, तो कंट्रोल तो दूर, कागजी इंतजाम भी डूबने को तैयार हैं। ग्रामीण बोले, “एसडीएम साहब, चौकियां तो चालू कर दीं, लेकिन गंगा को कौन समझाए?”
गंगा की माया, ग्रामीणों की टेंशन
गंगा का ये उफान कोई नई बात नहीं है। हर साल उत्तराखंड की बरसात और बैराजों से पानी छोड़े जाने का सिलसिला संभल को पानी-पानी करता है। इस बार नरौरा बैराज ने 1,28,000 क्यूसेक पानी छोड़कर गंगा को रिकॉर्ड तोड़ उफान दिया। खेतों में फसलें डूब रही हैं, और गांवों में बाढ़ का खौफ मंडरा रहा है। ग्रामीणों का कहना है, “गंगा मइया की पूजा तो ठीक है, लेकिन ये बाढ़ वाला प्रेम पत्र कौन पढ़े?” प्रशासन ने बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया है, लेकिन क्या ये चौकियां गंगा के गुस्से को थाम पाएंगी, या सिर्फ कागजों पर बहादुरी दिखाएंगी?
Ganga Flood:श्रद्धालुओं की खुशी, किसानों की टेंशन
Ganga Flood ने संभल में नए रिकॉर्ड बना दिए हैं
राजघाट पर गंगा का पानी पक्के घाटों को चूम रहा है, और श्रद्धालु इसे आस्था का उत्सव मान रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ, किसानों की फसलें पानी में डूबकर “स्विमिंग” सीख रही हैं। गंगा का उफान खेतों में घुस गया है, और गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।प्रशासन का दावा है कि बाढ़ से बचाव के सारे इंतजाम पक्के हैं, लेकिन ग्रामीणों का सवाल है—जब गंगा मइया ने ठान लिया, तो इंतजामों का क्या होगा?