Sambhal Stunt -संभल के राजघाट पर बच्चे रेलपुल से गंगा में स्टंटबाजी कर रहे हैं, बेखौफ हाईटेंशन लाइन और तेज बहाव के खतरे को नजरअंदाज करते हुए। कैमरे में कैद ये जानलेवा हरकतें हादसे का सबब बन सकती हैं। स्थानीय लोग बेबस, प्रशासन खामोश। #SambhalStunt
संभल में गंगा के रेलपुल पर बच्चों का जानलेवा स्टंट: हाईटेंशन लाइन और तेज बहाव में ‘खतरों के खिलाड़ी’!
संभल, 29 जून 2025: Sambhal Stunt– संभल के राजघाट गंगातट पर रेलपुल के गोले से बच्चे गंगा के तेज बहाव में छलांग लगाते हुए ‘खतरों के खिलाड़ी’ बन रहे हैं। ऊपर से 25,000 वोल्ट की हाईटेंशन लाइन का खतरा और नीचे गंगा का अथाह पानी—फिर भी इन नन्हे ‘स्टंटमैन’ को कोई डर नहीं! कैमरे में कैद इन खतरनाक तस्वीरों ने स्थानीय लोगों को सकते में डाल दिया है। ये स्टंट कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकते हैं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी और बच्चों की जिद ने इस ‘जानलेवा खेल’ को बेरोकटोक चलने दिया है।
Sambhal Stunt-गोलों से गंगा में छलांग — मौत से कौन डरे!

तस्वीरें देखिए — बच्चे रेलपुल के गोले पर चढ़े हैं, कोई डर नहीं, कोई रोक-टोक नहीं। स्थानीय लोग चिल्ला-चिल्ला कर मना कर रहे हैं — ‘मत कूदो बेटा!’
लेकिन बेटों को तो बस तैराकी में ‘ओलंपिक’ जीतनी है — कूदो और छलांग लगाओ।
गोले से गिरना, गहरे पानी में फंसना, बिजली लाइन छू जाना — सब कोई खौफ नहीं!
बच्चों की जिद: ‘तैराकी’ या जानलेवा जिद?
रेलवे पुल पर पच्चीस हजार वोल्टेज की लाइन बिछी है — पानी में छलांग लगाते वक्त एक चूक और करंट कब पकड़ ले, भगवान ही मालिक!

ये बच्चे अपनी तैराकी पर इतराते हुए गंगा में छलांग लगा रहे हैं, लेकिन क्या वे 25,000 वोल्ट की हाईटेंशन लाइन या गंगा के तेज बहाव की ताकत को समझते हैं? एक गलत छलांग, एक छोटी सी चूक, और ये स्टंट उनकी जिंदगी का आखिरी ‘शो’ बन सकता है। स्थानीय लोगों ने बच्चों को बार-बार मना किया, लेकिन उनकी जिद और बेपरवाही ने हर चेतावनी को ठेंगा दिखा दिया।
Sambhal Stunt- प्रशासन की चुप्पी: हादसों का इंतजार?

इस जानलेवा खेल पर संभल प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। रेलपुल पर बच्चों की भीड़ और हाईटेंशन लाइन का खतरा कोई नई बात नहीं, फिर भी न तो कोई चेतावनी बोर्ड है, न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था। क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? गंगा के किनारे निगरानी या रेलपुल पर बच्चों की पहुंच को रोकने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे? स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर प्रशासन समय रहते जाग जाए, तो शायद कोई अनहोनी टल सकती है।
हादसों के आंकड़े: चेतावनी की घंटी
पिछले कुछ वर्षों में गंगा नदी में डूबने और बिजली के करंट से होने वाले हादसों ने कई जिंदगियां छीनी हैं।
2024 में संभल के गुन्नौर में हादसा: गंगा में नहाने गए तीन बच्चे डूब गए, जिनमें से दो को बचा लिया गया, लेकिन एक की तलाश जारी रही।
2023 में बिहार में बाढ़ और डूबने की घटनाएं: गंगा और अन्य नदियों में बाढ़ के दौरान दर्जनों लोग डूबने से मरे, जिनमें बच्चे भी शामिल थे।
हाईटेंशन लाइन हादसे: संभल के बहजोई में 2023 में हाईटेंशन लाइन के फॉल्ट से 125 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। 2025 में गंगानगर के अम्हैड़ा गांव में एक छात्रा हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गई।
राष्ट्रीय आंकड़े: जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार, गंगा बेसिन में हर साल बाढ़ और डूबने की घटनाओं में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं।
ये आंकड़े चीख-चीखकर बता रहे हैं कि गंगा का तेज बहाव और हाईटेंशन लाइन कोई खेल का मैदान नहीं है।
Sambhal Stunt- प्रशासन से सवाल: कब जागेगा सिस्टम?

संभल प्रशासन को अब ‘सोते से जागने’ का वक्त है। रेलपुल पर बच्चों की पहुंच को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। चेतावनी बोर्ड, निगरानी टीमें, और स्थानीय पुलिस की गश्त बढ़ाने की जरूरत है। गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग और जिला प्रशासन को मिलकर इस क्षेत्र में सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने चाहिए।नहीं तो आज नहीं कल कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
