 
                                                      
                                                Banda Illegal Sand Mining: पथरी खदान में अवैध खेल
बांदा के पथरी गांव में Illegal Sand Mining का गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है। करोड़ों की नोटिस धरी की धरी रह गई और बालू माफिया खेत, खलिहान से लेकर अफसरों की नाक तक बालू भरते फिर रहे हैं। पीड़ित मां-बेटी की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं। सवाल वही — अब कार्रवाई कौन करेगा?
✅ Written by khabarilal.digital Desk
📍 Location: बांदा
🗞️Reporter: दीपक पांडेय
जब खदान ‘खदान’ नहीं, पूरा बालू का खज़ाना हो! Illegal Sand Mining
बांदा ज़िले के पथरी गांव में बालू खदान नहीं, बालू का खुला साम्राज्य चलता है! नाम है — पथरी बालू खदान, पट्टा है मयूर बॉक्साइट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर, और धड़कन है ‘रवीश गब्बर’ के इशारों पर। करोड़ों का जुर्माना नोटिस होकर भी खनन माफिया का बाल भी बांका नहीं। जुर्माना तो सरकार के कागज़ पर घूमता रहता है, मगर बालू ट्रकों में भर-भर के गांव की सीमाओं को पार करता रहता है!
‘चौरसिया सेटिंग’ मॉडल: ऊपर तक फिट, नीचे तक हिट!
कहते हैं कि बांदा में एक चौरसिया जी हैं — नाम तो चौरसिया, काम पूरा ‘सेटिंग विभाग’। साहब जिला प्रशासन को सेट करने में इन्हें पीएचडी है! खनिज विभाग के नियम-कानून इनकी जेब में और कानून की किताब पर बालू की मोटी परत चढ़ा दी गई है। पट्टा वैध, खनन अवैध, डंप वैध के नाम पर अवैध — और राजस्व को ऐसा चूना कि दीवारें भी चूना-चूना चिल्ला उठें!

मां-बेटी रोती रहीं, प्रशासन सोता रहा! Illegal Sand Mining
इधर पथरी गांव की बेबस मां-बेटी अफसरों के दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं। खेत खोद कर बालू माफिया उनके आंगन तक पहुँच गया — विरोध किया तो धमकी भी मुफ्त में मिली। मगर अफसरान साहबान को अफसरियत दिखाने से फुर्सत नहीं! शिकायत हाथ में लेकर भी जिलाधिकारी दफ्तर के पंखों से ज्यादा कुछ नहीं घूमता। आखिर बालू का खेल है — रेत से भी ज्यादा फिसलन भरा!

करोड़ों की बालू, करोड़ों का खेल, आंखों पर पट्टी, अफसर बेहाल!
पथरी खदान में डंप तो इतने जमा हैं कि सरकारी रजिस्टर हांफ जाएं! सीमा से कहीं ज्यादा बालू ठूंस-ठूंस कर रखा गया है, लेकिन राजस्व को ऐसा चूना कि सरकारी खजाना भी शर्म से लाल हो जाए। खनिज इंस्पेक्टर पर ही उल्टा आरोप मढ़ दिए गए — ताकि अवैध खनन बेरोकटोक चलता रहे। सवाल यह है कि सब जानते हैं — मगर कार्रवाई कौन करेगा? या फिर सबका हिस्सा बंट चुका है?
‘बांदा’ में रेत नहीं, सियासत बहती है! Illegal Sand Mining
कहने को तो यह मामला एक गांव का है, मगर हकीकत में पूरा सिस्टम इस बालू से ही सींचा जा रहा है! करोड़ों की बालू, ट्रकों की कतारें, ‘सेटिंग चौरसिया’, ‘गब्बर माफिया’ और प्रशासन का अमूल्य ‘मौन’। विपक्ष इसपर तीर चला रहा है — और सरकार बेचारी सफाई देती फिर रही है। अब देखना ये है कि मां-बेटी को मिलेगा न्याय या बालू में ही मिल जाएगा उनका दर्द?
इन खबरों को भी पढ़ें-
Himachal Tourists Offer: मानसून में हिमाचल आओ – होटलों में 40% तक छूट पाओ

 
         
         
         
        