Balrampur Panchayat Scam:
Balrampur Panchayat Scam में प्रधान और सचिव ने पंचायत भवन से लेकर पशु शेड तक सबकुछ कागजों में पूरा दिखाकर सरकारी खजाने में हाथ साफ कर दिया। घटिया निर्माण, फर्जी बिल और हवा में उड़ती योजनाएं — गांव वालों ने जब हल्ला बोला तो जांच बैठी, और घोटालेबाज सलाखों के पीछे पहुंचे।
👉 रिपोर्टर: राहुल रतन
👉 लोकेशन: बलरामपुर
✅ Written by khabarilal.digital Desk
📌Balrampur Panchayat Scam –कागजों पर विकास, धरती पर बर्बादी
Balrampur Panchayat Scam– बलरामपुर के बैजपुर ग्राम पंचायत ने विकास को भी शरमा दिया है। करोड़ों की सरकारी योजनाएं कागजों पर दौड़ती रहीं और जमीन पर हर दीवार, हर खंभा भ्रष्टाचार के नीचे दब गया। पंचायत भवन से लेकर पशु शेड तक सबकुछ फर्जी — स्लैब पतली, दीवारें खोखली, खिड़कियों के पल्ले हवा में। प्रधान अरुण कुमार सिंह और सचिव आरती रावत ने पूरे गांव को ‘कागजी’ सपना बेच दिया। पुलिस ने परेड ग्राउंड के पास से प्रधान को दबोचा, वही सचिव को कोइलरा गांव से बाकायदा स्वागत कर लाए। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों को जेल की हवा खिलाने भेज दिया है।
📌 स्लैब पतली, जेब मोटी। Balrampur Panchayat Scam
खंड विकास अधिकारी संजय कुमार ने जब 13 सितंबर 2024 को रिपोर्ट दर्ज कराई तो हड़कंप मच गया।आरोप था कि पंचायत भवन, वृक्षारोपण और पशु शेड जैसी योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार किया गया। Devi Patan Mandal आयुक्त के आदेश पर अफसरों की पलटन जांच में उतर गई। पंचायत भवन की स्लैब निकली 7 सेमी की — जबकि होनी थी 12 सेमी! शौचालय, दीवारें सब सड़ी सामग्री से भरी। खिड़कियों के पल्ले मानक से आधे! ऊपर से बिना स्वीकृति के फाल्स सीलिंग, वाल पैनलिंग कराकर सब चकाचक दिखाया। मतलब ‘सजावट में मिलावट’, ताकि अंदर का गड़बड़झाला छिप जाए।
📌 गांव में गुस्सा, जनता पूछे- पैसा कहां गया? Balrampur Panchayat Scam
गांव वालों ने लूट के इस खेल पर खूब चिल्ल-पों मचाई। करोड़ों का बजट आया लेकिन विकास ढूंढने से भी नहीं मिला। पंचायत में घोटाला पकड़ा गया तो ग्रामीणों ने प्रशासन को घेर लिया — कह रहे हैं दोषियों को सख्त सजा दो, वरना विकास ऐसे ही कागजों में दम तोड़ता रहेगा। पुलिस कह रही है जांच अभी जारी है — अगर कोई और दलाल या अफसर मिला तो उसे भी हवालात की हवा खिलाई जाएगी।
📌 खबरीलाल बोले — विकास चाहिए, दिखावा नहीं!
Balrampur Panchayat Scam ने फिर साबित कर दिया कि सरकारी योजनाओं के नाम पर जनता को चूना लगाना आसान धंधा बन गया है। कागजों में पौधे, स्लैब, पक्की सड़क — सबकुछ फाइलों में मोटा, जमीन पर सब हवा। अब देखना है कि अफसरों का डंडा कब तक चलता है। गांव वाले तो कह रहे हैं — जेल से बाहर निकले तो फिर से पैसे की बारिश होगी? खैर, फिलहाल प्रधान-सचिव अंदर हैं और जनता बाहर गिन रही है अपना उजड़ा ‘विकास’।
