Agra Lucknow Expressway Accident

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर भीषण सड़क हादसा — टाइल्स से लदे ट्रक से भिड़ी स्लीपर बस, 3 मौत, 3 जख्मी

Agra Lucknow Expressway Accident -एक स्लीपर बस ने टाइल्स से भरे ट्रक को टक्कर मार दी। हादसे में 3 लोगों की मौत और 3 गंभीर घायल हुए हैं। बस दिल्ली से जालौन जा रही थी, जिसमें 50 यात्री सवार थे। घायलों को सैफई PGI रेफर किया गया है। घटना थाना Nagla Khangar क्षेत्र की है।

🚦 एक्सप्रेसवे बना मौत का शॉर्टकट

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे — वही सड़क जिसे यूपी सरकार शान से बेचती है। चौड़ी सड़कें, चमकदार टोल, हर किलोमीटर पर पुलिस गश्त, पर फिर वही — मुसाफिर घर नहीं लौटे। दिल्ली से जालौन जा रही फौजी ट्रेवल्स की स्लीपर बस Nagla Khangar के पास एक टाइल्स से लदे ट्रक में ऐसे धंसी कि 50 मुसाफिरों की सांसें अटक गईं। रात के अंधेरे में किसी ने फोन उठाया तो किसी के घर फोन ही नहीं बजा — सीधी खबर पहुँची — ‘अब कोई नहीं लौटेगा।’

सड़क पर चिथड़े, एम्बुलेंस में उम्मीद

बस का अगला हिस्सा पूरी तरह कबाड़ बन गया। तीन लोग बस से उछलकर नीचे गिरे — किसी की खोपड़ी फटी, किसी की सांस वहीं थम गई। बिजेंद्र उर्फ पप्पू का शव पहचान में आया — बाकी दो अब भी ‘नाम’ ढूंढ रहे हैं। अंशुल और उमा देवी को PGI सैफई रेफर किया गया है। यशिका को मौके पर ही प्राथमिक उपचार देकर राहत दी गई। जिनके परिजन जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं वो अस्पताल की दीवारों को ताक रहे हैं — भगवान से दुआ कर रहे हैं।

सीट बेल्ट नहीं, नींद बड़ी

सवाल बड़ा है — ड्राइवर नींद में था या लापरवाही में? ट्रक क्यों रास्ता रोक कर खड़ा था? CCTV किसका मुंह ताक रहा था? YUPEIDA की गाड़ियां, डायल 112, Atlas Safety Team — सब सड़क पर वक्त पर पहुँच भी गए, पर हादसा तो पहले हो गया। फिर सिस्टम ने वही किया — कागजों में सबको क्लीन चिट और बस को किनारे। तीन लाशें एक्सप्रेसवे की साख से भारी साबित हुईं — लेकिन हादसा आंकड़ा बनकर फाइल में ही रहेगा।

मौत की सड़क पर सवाल — कौन जवाब देगा?

कभी फ्लाईओवर टूटता है, कभी पुलिया धंसती है, कभी बसें ट्रक में घुस जाती हैं — लेकिन जिम्मेदार कोई नहीं। करोड़ों की टोल वसूली, चकाचक CCTV — लेकिन ड्राइवरों के लिए हेलमेट नहीं, शराब टेस्ट नहीं, थकान रोकने का सिस्टम नहीं। जब हादसा होता है, तब YUPEIDA की गाड़ी आती है — पर किसे बचाती है? सवाल वही पुराना — सड़क बड़ी है या सिस्टम का झूठ?

सफर नहीं — कब्रगाह

तीन लाशें, तीन परिवार बर्बाद — जालौन, उरई, दिल्ली के घरों में मातम। PGI सैफई में ICU में जिंदगी जूझ रही है। बाकी 50 मुसाफिरों ने जान बचा ली पर अगले सफर में फिर वही डर — कहीं ड्राइवर को नींद न आ जाए, कहीं ट्रक फिर न अड़ जाए। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सफर अब भी VIP है — बस टिकट के साथ कफन फ्री में आता है।

2025 में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हादसों के आंकड़े


2025 में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर कई बड़े हादसे दर्ज किए गए हैं, जो इस मार्ग की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाते हैं। उपलब्ध जानकारी के आधार पर:

26 जून 2025: एक स्लीपर बस रेलिंग तोड़कर 30 फीट खाई में गिरी, जिसमें 2 लोगों की मौत और 40 लोग घायल हुए। बस में 60-65 यात्री सवार थे। 25 मई 2025: उन्नाव में एक तेज रफ्तार कार कंटेनर में घुसी, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई।

2 मार्च 2025: एक यात्री बस और ट्रक की टक्कर में 4 लोगों की मौत और 19 लोग घायल हुए। 27 नवंबर 2024 (2025 के आंकड़ों में शामिल नहीं, लेकिन संदर्भ के लिए): कन्नौज में एक स्कॉर्पियो कार डिवाइडर से टकराकर ट्रक से भिड़ी, जिसमें 5 डॉक्टरों की मौत हुई।

6 दिसंबर 2024 : कन्नौज में बस और ट्रक की टक्कर में 8 लोगों की मौत और 19 लोग घायल हुए।

2025 में अब तक कम से कम 3 बड़े हादसे दर्ज किए गए हैं, जिनमें 10 मौतें और 50 से अधिक घायल हुए। ये आंकड़े केवल प्रमुख हादसों के हैं, और छोटे हादसों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

सरकार के उपाय और उठ रहे सवाल

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, जिसे 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उद्घाटन किया था, भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। इसे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईडीए) द्वारा बनाया गया था और इसे सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए कई उपाय किए गए थे, जैसे सड़क सुरक्षा ऑडिट, सौर ऊर्जा उपयोग, और “एक्सप्रेसवे मित्र” ऐप।

हालांकि, हाल के वर्षों में हादसों की बढ़ती संख्या ने सरकार की तैयारियों और रखरखाव पर सवाल उठाए हैं:

रखरखाव की कमी: समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने दावा किया है कि वर्तमान सरकार इस विश्वस्तरीय एक्सप्रेसवे का रखरखाव करने में असमर्थ है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सीसीटीवी और स्पीड मॉनिटरिंग तकनीक केवल चालान काटने के लिए है या जान बचाने के लिए।

पुलिसिंग की कमियां: हादसों में गलत साइड से वाहन चलाने (रॉन्ग साइड ड्राइविंग) और खड़े ट्रकों की वजह से टक्कर जैसी समस्याएं बार-बार सामने आई हैं। अखिलेश यादव ने पुलिस की निगरानी पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हाईवे पुलिस केवल मोबाइल देखने में व्यस्त है

सुरक्षा उपायों का अभाव: यूपीईडीए ने 2025 में हर 50 किलोमीटर पर ले-बाय जोन बनाने की योजना शुरू की है, ताकि चालक आराम कर सकें और हादसे कम हों। इसके अलावा, रात में मुफ्त चाय-कॉफी की व्यवस्था भी शुरू की गई है। लेकिन इन उपायों का प्रभाव अभी तक स्पष्ट नहीं है।

मुआवजे की मांग: समाजवादी पार्टी ने हादसों में मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई ठोस कदम नहीं दिखा।

खड़े वाहनों की समस्या: कई हादसों में खड़े ट्रक या कंटेनर मुख्य कारण रहे हैं। जांच में यह सामने आया कि कुछ वाहन बिना उचित चेतावनी संकेतों के सड़क पर खड़े थे।

सवाल उठता है.. 

सरकार हादसों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठा रही है?
क्या एक्सप्रेसवे पर स्पीड मॉनिटरिंग और सीसीटीवी का उपयोग प्रभावी ढंग से हो रहा है?
खड़े वाहनों और गलत साइड ड्राइविंग पर नियंत्रण के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
मृतकों और घायलों के परिवारों को मुआवजा और सहायता कब और कैसे प्रदान की जाएगी?
क्या यूपीईडीए और पुलिस की जवाबदेही तय की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें?

सवाल कई हैं — जवाब कौन देगा?

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, जो यात्रा समय को कम करने और सुरक्षित सफर सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था, अब बार-बार होने वाले हादसों के कारण चर्चा में है। सरकार ने रखरखाव के लिए 2025-2030 तक 1939 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं लगता। जनता और विपक्षी दल सरकार से सख्त कदम और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। यह समय है कि सरकार हादसों के कारणों की गहन जांच करे और प्रभावी सुरक्षा उपाय लागू करे, ताकि इस एक्सप्रेसवे पर सफर वाकई सुरक्षित हो सके।

संवाददाता-मुकेश कुमार बघेल

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