Vrindavan Corridor Protest: रथ पूजन के मंत्रों में गूंजी ब्रज की पुकार
Vrindavan Corridor Protest ने अब नया मोड़ ले लिया है। रथ यात्रा के दिन स्थानीय ब्रजवासियों और गोस्वामी समाज ने रथ पूजन कर अनोखे ढंग से विरोध दर्ज कराया। महिलाओं ने हाथ जोड़कर ठाकुर जी से प्रार्थना की कि “कोरिडोर के राक्षसों” को रोका जाए। श्रद्धालुओं का साफ संदेश—”बांके बिहारी हमारे हैं, सरकार दूर न करे!”
✍️ Written by: Khabrilal.Digital Desk
रथ पूजा बनी अब “धरना पूजा”, बांके बिहारी के नाम पर झोंका गया लोकतंत्र में भक्तिभाव।
Vrindavan Corridor Protest-वृंदावन में जहां कभी रासलीला होती थी, अब रथ पूजा के जरिये महायज्ञशाला सजाई जा रही है। शुक्रवार को जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन, गोस्वामी समाज और स्थानीय महिलाओं ने बांके बिहारी के रथ का मंत्रोच्चारण के साथ पूजन कर सरकार को साफ संदेश दे डाला — “ठाकुर हमारे हैं, और कोई न्यास या कॉरिडोर हमें उनसे जुदा नहीं कर सकता!”
जयकारों के साथ हवा में उठती आवाज़ें अब सिर्फ भक्ति की नहीं, विरोध की भी हैं। जिस रथ पर कभी कृष्ण विराजते थे, उसी रथ को आज सरकार के अध्यादेश के खिलाफ मोर्चे की तरह सजाया गया।

“राक्षस कॉरिडोर” से त्रस्त भक्त, बिहारीजी से माँगी कृपा: ब्रज बचाओ, सत्ता को हो सद्बुद्धि। Vrindavan Corridor Protest
गोस्वामी हिमांशु की बात में वो तड़प थी जो भक्त की असहायता से नहीं, अपनी सांस्कृतिक विरासत को छिनते देखने से उपजी थी। उन्होंने कहा, “हमने बिहारीजी से प्रार्थना की है कि जो राक्षस ‘कॉरिडोर और न्यास’ के नाम पर ब्रज में घुस आया है, उसे स्वयं भगाएं।”
यह विरोध अब सिर्फ भूमि अधिग्रहण का नहीं, भावनाओं के बलात्कार का है। ब्रज के लोग चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं — हमें भक्तिभाव में ‘बुलेट ट्रेन दर्शन’ नहीं चाहिए, हमें वो अनुभव चाहिए जो सदियों से दिल में बसता आया है।
“रील भक्तों” बनाम “रीढ़ वाले भक्त”: पंजाब-हरियाणा से श्रद्धालुओं ने सुनाई खरी-खोटी। Vrindavan Corridor Protest

लुधियाना से आए श्रद्धालु ने ऐसा तमाचा मारा कि उसमें पूरे कॉरिडोर के सपने चरमरा गए। उन्होंने कहा, “35 साल में हमने कभी दिक्कत नहीं देखी। थोड़ा बहुत धक्का खाते हैं तो वो ठाकुर जी की माया है। जो लोग यहां सिर्फ रील और सेल्फी के लिए आते हैं, वही कोरिडोर की बात करते हैं।”
हरियाणा से आए बुजुर्ग पंडित रामसरूप ने तो कोरिडोर समर्थकों की हवा निकाल दी — “सरकार रोजगार दे, पर ब्रज का स्वरूप न छीने। हम अनशन करेंगे, भूख हड़ताल करेंगे, लेकिन ठाकुर की गलियों में बुलडोज़र नहीं चलने देंगे।”

“कॉरिडोर” के नाम पर कॉरपोरेट धंधा! ठाकुर जी की गलियों में अब राजनीतिक गटर बह रहा। Vrindavan Corridor Protest
ब्रज के लोगों को अब यह समझ आ गया है कि रासलीला की गलियों में अगर सरकारी JCB उतर आई, तो इतिहास मिट्टी में मिल जाएगा। यह लड़ाई महज़ एक ज़मीन की नहीं, एक आत्मा की रक्षा की है। “न्यास” शब्द जहां पहले श्रद्धा का पर्याय था, वही अब भय का पर्याय बन गया है।
सरकार यह न भूले—ब्रजवासियों के धैर्य की सीमा होती है। पांच घर अगर दहक भी जाएं, तो शेष बचे पांच लाख दिल आग में तब्दील हो जाएंगे। कोरिडोर नहीं, कोहराम होगा। और तब उस कोहराम की जवाबदेही शासन की होगी।
