Firozabad Municipal Corruption

“फिरोजाबाद में विकास नहीं, पीली ईंटों का चमत्कार हो रहा है!”

Firozabad Municipal Corruption भ्रष्टाचार का ये ताज़ा नमूना दिखाता है कि विकास की फाइलों में जो सड़कें बनती हैं, वो असल में जनता के भरोसे की कब्र खोदती हैं। घटिया ईंटें, खोखले वादे और ठेकेदार की मनमानी ने वार्ड 63 को भ्रष्टाचार का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया है। अब यह सवाल नहीं रहा कि निर्माण घटिया है या नहीं, असली सवाल यह है — “इस गली में ईंट मजबूत होगी पहले या अफसर की नीयत?”

जनपद-फिरोजाबाद। संवाददाता-मुकेश कुमार बघेल

Firozabad Municipal Corruption

“सरकार बदल गई, अफसर बदल गए, पार्षद भी बदल गए… लेकिन नगर निगम का ठेकेदार वही पुराना ‘पीली ईंटों’ वाला निकला!”

वार्ड नंबर 63, गली नंबर 16, आकाशवाणी रोड — नाम से लगता है यहां कुछ तो सीधा और पारदर्शी होगा… लेकिन जब बात नगर निगम फिरोजाबाद के विकास कार्यों की हो, तो ईंट की जगह चूरा और नाली की जगह गड्ढा निकलना आम बात है।

स्थानीय जनता ने जब नई बनी सड़क की ईंट को हल्के से बजाया, तो वो ऐसे बिखर गई जैसे चुनाव के बाद नेताओं के वादे। लोगों ने सवाल किया — “क्या ये ईंट है या दीवाली की पापड़ी?”

जिस निर्माण को लेकर लाखों रुपये का टेंडर पास हुआ, उसमें पीली और खोखली ईंटों की जमावट देखकर जनता का सिर पीट लेना लाजिमी था।

“ठेकेदार का ठाठ और ईंट की आबरू का ह्रास!” Firozabad Municipal Corruption

स्थानीय युवक ने चुटकी ली—“ये सड़क है या बालू की बर्फी? ऊपर से देखने में चिकनी, और अंदर से खोखली! ईंट उठाओ तो ऐसा लगता है जैसे निगम ने सड़क नहीं, मूंगफली के छिलकों की परत बिछाई हो।”

वार्ड की महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। एक बोली—“हमारी पांच साल पुरानी चप्पल की एड़ी इस ईंट से मज़बूत है।” दूसरी ने कहा—“लगता है ठेकेदार ने ईंट नहीं, जलेबी का घोल जमाया है।”
और सबसे करारा तंज—“नगर निगम का विकास अब मज़दूरों को भी शरमा रहा है। यहां ईंट नहीं टूटती, जनता का सब्र टूटता है!”

पार्षद पति बोले— “गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा”  Firozabad Municipal Corruption

जब पूरा मोहल्ला ‘भ्रष्ट निर्माण’ के खिलाफ मोर्चा खोले बैठा था, तो पार्षद प्रतिनिधि रिज़वान साहब भी मैदान में उतरे। कैमरे के सामने आए और बोले—
“ठेकेदार की मनमानी चल रही है। मैंने खुद नगर आयुक्त ऋषि राज जी को इस पर सूचना दी है। गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा।”

अब सवाल ये है— अगर ठेकेदार मनमानी कर रहा है, तो निगम की आंखें बंद क्यों हैं? क्या ठेकेदार के पास कोई जादुई ईंटों का लाइसेंस है, या फिर हर बार की तरह ‘चाय-पानी’ का मामला है?

नगर निगम भ्रष्टाचार फिरोजाबाद में हर ईंट में चुपचाप बैठा है।  

जहां सड़कें बनने से पहले ही बिखर जाएं, वहां जनता को भरोसा किस पर होगा? पार्षद प्रतिनिधि कह रहे हैं कार्रवाई होगी, लेकिन जनता पूछ रही है – “कार्यवाही पहले होगी या बारिश पहले गड्ढा दिखा देगी?”
इस गली में फिलहाल ‘विकास’ नहीं, निगम की निकम्मी ईंटों की बुनियाद पर बना ‘भ्रष्टाचार का चूना’ लहर मार रहा है।

नगर निगम का विकास आजकल WhatsApp फॉरवर्ड जैसा हो गया है—दिखता तो है, पर असलियत से दूर होता है। ठेकेदारों को ईंट, रेत और सीमेंट का नहीं, ‘सिस्टम’ का ठेका मिला है। जहां पार्षद की आंख मूंद ली जाती है, और अफसर को ‘चाय’ याद दिला दी जाती है। जनता? वो बस हर बार ईंट बजाकर यही सोचती रह जाती है — “इस बार भी बन गया विकास का मज़ाक।”

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