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मुरादाबाद अब पीतल से नहीं, जहरीले E-waste से पहचाना जा रहा है। नागफनी, भोजपुर और ताजपुर माफी जैसे इलाकों में ई-कचरा खुलेआम जलाया जा रहा है, और जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं। शहर की फिजा ज़हर बन चुकी है, लेकिन प्रशासनिक कान पर जूं तक नहीं रेंग रही।
ई-कचरे की भट्ठियों में झोंक दी गई मुरादाबाद की सांसें!
रिपोर्टर: सलमान यूसुफ, मुरादाबाद
पीतल नगरी मुरादाबाद अब “जहर नगरी” बनने की होड़ में है। नाग़फनी थाना क्षेत्र का नवाबपुरा और छड़ियों वाला इलाका अब किसी कब्रिस्तान से कम नहीं लगता — फर्क बस इतना है, यहां लाशें गिरती नहीं, धीरे-धीरे घुटकर मरती हैं।
यहां धुएं में लिपटी सांसें, बच्चों की खांसी, और बुजुर्गों की टूटती हड्डियां इस बात की गवाही देती हैं कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ई-कचरा माफिया के आगे बाकायदा नतमस्तक हो ‘पर्यावरण रक्षा’ से ‘पर्यावरण रखवा’ का काम संभाल लिया है।
🏭 नागफनी-भोजपुर का ‘ब्लैक ज़ोन’:

मुरादाबाद में नागफनी, ताजपुर माफी, भोजपुर और कटघर अब वो इलाके हैं जहां घरों से ज्यादा ई-कचरे की भट्ठियां हैं। दिन में धुआं और रात में आग — रामगंगा किनारे जलती ये भट्ठियां बताती हैं कि यहां न तो नियम हैं और न ही कोई प्रशासन।
और हां, जिनके भरोसे शहर चल रहा है — यानी नगर निगम और पुलिस विभाग — उन्होंने “देखो, पर बोलो मत” की नीति पर ISO सर्टिफिकेट ले रखा है।
🚛 हर रोज़ ई-कचरे के ट्रक आते हैं… और प्रशासन आँख मूँद लेता है!
दिल्ली-मुंबई से चलकर आने वाले ई-कचरे के ट्रकों का खुलेआम प्रवेश मुरादाबाद में होता है। ट्रक नगर की सड़कों पर ऐसे घूमते हैं, जैसे किसी फैशन वीक में मॉडल रैंप वॉक कर रहे हों। फर्क बस इतना है कि ये मॉडल जहर की ड्रेस पहनकर आते हैं और हमारी हवा को बर्बाद कर चले जाते हैं।
E-waste Moradabad-प्रदूषण विभाग और माफिया: रिश्ता वही, सोच नई
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काम अब फॉर्मेलिटी तक सिमट गया है। अधिकारी मौके पर नहीं जाते, कागजों में निरीक्षण पूरा हो जाता है। और माफिया? वो प्रदूषण बोर्ड को वही धुआं देता है, जो जनता के फेफड़े झेल रही है — पर चुपचाप ‘काली पन्नी’ में पैक करके।
मुरादाबाद का ई-कचरा अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, ये अब लोकतंत्र के नाम पर चल रही प्रशासनिक मूर्छा का जीता-जागता नमूना है।
जहां प्रदूषण विभाग के अफसर सिर्फ कुर्सियों पर बैठकर जहर की नींद सो रहे हैं, वहां जनता को अपने बच्चों के फेफड़े बचाने के लिए भगवान भरोसे जीना पड़ रहा है। और हां, अगर कभी सवाल पूछ लिया, तो सिस्टम का जवाब यही होगा— “हमें जानकारी नहीं थी”, या फिर “जांच की जाएगी”।
लेकिन एक बात तो तय है — मुरादाबाद की सांसें जांच पूरी होने तक शायद बचे न बचे!

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ई-कचरा माफिया: नियमों की धज्जियां, प्रशासन की चुप्पी
नागफनी, भोजपुर, ताजपुर माफी और कटघर थाना क्षेत्र अब ई-कचरे के अवैध कारोबार के हब बन चुके हैं। ये भट्टियां आबादी के बीच और रामगंगा के किनारे बेखौफ जल रही हैं। ई-कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के तहत, ई-कचरे को जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। केवल पंजीकृत रिसाइकलर ही इसका वैज्ञानिक निपटान कर सकते हैं। लेकिन मुरादाबाद में नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। 2021 में सिविल लाइंस पुलिस ने अगवानपुर में 30 क्विंटल ई-कचरा पकड़ा, लेकिन माफिया का धंधा थमा नहीं। स्थानीय पुलिस और प्रदूषण बोर्ड की मिलीभगत की खबरें भी सामने आती रहती हैं। आखिर, माफिया इतना बेखौफ कैसे?


 
         
         
         
        