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Moradabad Bus Crash ने उजागर किया मज़दूरी की मजबूरी और सिस्टम की संवेदनहीनता—शराबी ड्राइवर, ओवरटाइम की दरिंदगी और सड़क पर तड़पती ज़िंदगियां। ये हादसा नहीं, मज़दूरों की जान पर चल रहा मुनाफे का एक्सपोर्ट है।
सिस्टम ने मज़दूरों को OT में झोंका और मौत की नींद में चला गया!
Moradabad Factory Bus Crash–मुरादाबाद में मंगलवार रात एक और सड़क हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि मज़दूरों के खून से लिखी गई सरकारी और प्राइवेट बेपरवाही की चार्जशीट है। हरिद्वार हाईवे पर पलटी बस में बैठे थे वो मज़दूर, जिन्हें एक “फैशन एक्सपोर्ट” फैक्ट्री ने ओवरटाइम में पिघलाया और जब उनका शरीर थककर चूर हो गया, तो उन्हें मौत के मुंह में छोड़ने के लिए एक शराबी ड्राइवर के हवाले कर दिया गया।
Moradabad Bus Crash-नशे में धुत ड्राइवर, रात 12 बजे चलती मौत की बस
बताया जा रहा है कि, बस फाइनस्को एक्सपोर्ट कंपनी की थी — वही जो हर दिन फैक्ट्री के लिए मज़दूर लाती-ले जाती है। लेकिन उस रात ये बस मौत का ठेला बन गई। ड्राइवर शराब के नशे में था, बस को जैसे तैसे अगवानपुर फ्लाईओवर तक लाया और वहीं पलट दी। 30 में से 20 मज़दूर घायल, 4 की हालत गंभीर। और ऊपर से ये सरकारी बयान – “इलाज जारी है” – जैसे दर्द का कोई सरकारी फॉर्मूला हो।
Moradabad Bus Crash-फैक्ट्री मालिक की मनमानी: ओवरटाइम का जुल्म
सड़क हादसों का साया: आंकड़े चीखते हैं-Moradabad Bus Crash
2024: हरिद्वार हाईवे पर रोडवेज बस ने स्कूटी को टक्कर मारी, महिला घायल।
2024: ओवरटेक की कोशिश में बस पलटी, 2 की मौत, 20 घायल।

आकंड़ों के मुताबिक, 2023 में भारत में 4.6 लाख सड़क हादसों में 1.7 लाख लोग मरे। उत्तर प्रदेश में 22,000 हादसों में 7,000 मौतें हुईं। नशे में ड्राइविंग और लापरवाही इनका बड़ा कारण है। Road Safety के दावे करने वाली सरकार कब तक आंखें मूंदेगी? Drunk Driver पर कार्रवाई तो ठीक, लेकिन सड़कों पर खूनखराबा कब रुकेगा?
Moradabad Bus Crash-सवाल सत्ता से, जवाब मांगता है मुरादाबाद
श्रम मंत्री और ज़िला प्रशासन बताएं — क्या मज़दूरों की ज़िंदगी एक्सपोर्ट इंसानों से कम है? क्या शराबी ड्राइवरों को रोज़ सड़क पर लाशें बनाने की छूट है? कब तक मालिकों के लालच पर सरकार की चुप्पी चिपकी रहेगी?

 
         
         
         
        