Firozabad Muharram Alert-पीस कमेटी के साथ प्रशासन की बैठक
फिरोजाबाद में Muharram से पहले कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस ने पीस कमेटी के साथ बैठक कर साफ संदेश दिया — इस बार सिर्फ ताजिया नहीं निकलेगा, सोशल मीडिया पर भी शांति जरूरी है। Firozabad Muharram Alert को लेकर सोशल मीडिया मॉनिटरिंग 24×7 होगी और अफवाह फैलाने वालों पर सीधे सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बार भाईचारे के साथ, ‘कीबोर्ड वीरों’ पर भी नजर रहेगी।
Firozabad Muharram Alert -पीस कमेटी की बैठक या शांति का ‘वर्कशॉप’?
फिरोजाबाद में पुलिस कप्तान श्री सौरभ दीक्षित ने मोहर्रम से पहले कानून व्यवस्था के नाम पर जो बैठक बुलाई, वो एक ‘पीस कमेटी’ कम और ‘शांति का वर्कशॉप’ ज्यादा लग रही थी। धर्मगुरु, व्यापारी, स्थानीय नेता और समाज के ‘शांतिदूत’ इस बैठक में सिर हिलाते दिखे – मानो सबने पहले से तय कर लिया हो कि इस बार मोहर्रम में हर हाल में चैन की चादर ओढ़नी है। लेकिन सवाल ये है कि क्या शांति की यह चादर सोशल मीडिया की आंधी में उड़ नहीं जाएगी?
जुलूस वही पुराना, मगर निगरानी अब डिजिटल!
बैठक में निर्देश तो साफ था – जुलूस और ताजियों के तयशुदा रूट और टाइम टेबल का पालन होगा। लेकिन इस बार खास है पुलिस की ‘डिजिटल बंदूक’। हर पोस्ट, हर शेयर और हर कमेंट पर है पुलिस की कड़ी नजर। 24×7 Social Media Monitoring की बात की गई है – यानी अब मोहल्ले के कोने में बैठकर अफवाह उड़ाने वाले ‘कीबोर्ड योद्धाओं’ की खैर नहीं।
Firozabad Muharram Alert- भाईचारे की अपील, मगर सच्चाई जानता है फिरोजाबाद!
बैठक में जितनी बार ‘आपसी भाईचारा’ बोला गया, उतनी बार शायद किसी मौलाना ने दुआ नहीं मांगी होगी। लेकिन फिरोजाबाद जानता है कि अफवाह फैलाने वाले न तो मस्जिद से जुड़े हैं और न मंदिर से। वे तो WhatsApp यूनिवर्सिटी के वो छात्र हैं जो ‘फॉरवर्डेड मैसेज’ को कुरान और गीता से ऊपर मानते हैं।
अफवाह फैलाओगे तो पछताओगे!
फिरोजाबाद पुलिस ने दो टूक कह दिया – अफवाहें फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई। यानी अब ‘भाईजान ने बताया’ या ‘पंडितजी बोले’ कहकर अफवाह उड़ाने वाले सीधे थाने की हवा खाएंगे। IPC की धाराएं अब केवल किताबों में नहीं, बल्कि मोबाइल स्क्रीन पर उतर आई हैं।
Firozabad Muharram Alert -कानून-व्यवस्था या डर का इंजेक्शन?
ये सवाल बैठक में नहीं पूछा गया – लेकिन शहर के हर नुक्कड़ पर गूंज रहा है। क्या ये तैयारी शांति बनाए रखने की है या डर फैलाने की? क्योंकि जब हर पोस्ट पर पुलिस की नज़र हो, हर गलती पर एफआईआर की तलवार लटक रही हो, तो लोग धर्म मनाएंगे या डर?
आखिर में एक अपील… जो पुलिस ने भी की और हम भी करते हैं
मोहर्रम, मातम का पर्व है – लेकिन यह शहर की रूह का इम्तिहान भी है। फिरोजाबाद को इस बार न सिर्फ धर्म निभाना है, बल्कि इंसानियत भी बचानी है। अगर अफवाह से आग भड़कती है, तो एक ‘फॉरवर्ड’ से भी शहर जल सकता है। इसलिए सोचें, समझें और फिर शेयर करें।
क्योंकि इस बार सिर्फ जुलूस नहीं निकलेगा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी ‘सेंस’ का इम्तिहान होगा।
