Utraula Bus Trapनेजलनिगमकीपोलखोलदी!गौसियास्कूलकेसामनेसरकारीबसगड्ढेमेंफंसी,यात्रियोंमेंहाहाकार।सभासदविकासगुप्तानेअफसरोंकोकोसा,मगरगड्ढेअबभीसड़कोंके“शान”!जनतात्रस्त,जलनिगममस्त!
रिपोर्ट:राहुल रत्ना
उतरौला (बलरामपुर), 23 जून 2025:अरे भाई, जल निगम वालों ने तो Utraula Bus Trap के साथ कमाल कर दिया! पाइपलाइन बिछाने के नाम पर गड्ढे खोदे, और फिर चाय की चुस्कियों में मस्त होकर भूल गए कि सड़कें जनता की हैं, न कि उनके “खुदाई तमाशे” का अड्डा! सोमवार को बलरामपुर जिले के उतरौला नगर में जल निगम की लापरवाही का ऐसा जलवा दिखा कि गोंडा जा रही सरकारी बस (यूपी 78 केटी 6887) गौसिया स्कूल के सामने गड्ढे में धड़ाम से फंस गई। उतरौला बस Trap ने यात्रियों के दिल में हाहाकार मचा दिया, मानो सड़क नहीं, कोई “गड्ढा रियलिटी शो” का सेट हो—नाम रखें, “ड्राइव इन डेंजर”!
Utraula Bus Trap-क्या है पूरा ड्रामा?
सुबह का वक्त, उतरौला बस स्टॉप से निकली सरकारी बस श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहे की ओर बढ़ रही थी। गौसिया स्कूल के सामने अचानक ड्राइवर को लगा कि बस किसी “ब्लैक होल” में जा रही है। और लो, बस जल निगम के खोदे गड्ढे में बुरी तरह फंस गई। यात्री चीखे, चिल्लाए, सामान इधर-उधर। कोई खिड़की से कूदने की सोच रहा था, तो कोई जल निगम को कोस रहा था। सड़क पर जाम लग गया, और स्थानीय लोग तमाशबीन बनकर मोबाइल में वीडियो बनाने में जुट गए। आखिर, उतरौला में ऐसा मसाला रोज-रोज तो मिलता नहीं!
जल निगम का “मास्टरप्लान”
स्थानीय सभासद विकास गुप्ता, जो इस ड्रामे के सुपरहीरो बनकर उभरे, ने बताया कि जल निगम ने कुछ दिन पहले पानी की पाइपलाइन बिछाने के लिए ये गड्ढा खोदा था। विकास जी ने बड़े गर्व से कहा, “हमने तो कई बार जल निगम के अफसरों से शिकायत की, लेकिन वो तो बस मीटिंग में मीटिंग खेल रहे हैं!” बारिश को बहाना बनाकर गड्ढे नहीं भरे गए, और अब ये गड्ढे सड़कों पर “खतरे का निशान” बन चुके हैं। जल निगम का जवाब? “बजट नहीं, समय नहीं, मूड नहीं!” अरे भाई, फिर सड़कें क्यों खोद डालीं? जनता को “गड्ढा दर्शन” कराने का ठेका लिया है क्या?
जनता की हालत खराब
उतरौला की सड़कों पर ऐसे खुले गड्ढे अब हर गली-मोहल्ले की शान बन गए हैं। कोई साइकिलवाला फंसता है, तो कोई स्कूटीवाला धड़ाम! रात में तो हाल और बुरा—बिना स्ट्रीटलाइट के ये गड्ढे “साइलेंट किलर” से कम नहीं। स्थानीय दुकानदार रामलाल ने तंज कसा, “जल निगम को तो पुरस्कार मिलना चाहिए—सड़कों को चांद का क्रेटर बनाने के लिए!” और यात्री? वो तो बस भगवान भरोसे! इस हादसे में किसी के हताहत न होने की खबर ने थोड़ी राहत दी, वरना जल निगम की लापरवाही का स्कोर और बढ़ जाता।
विकास गुप्ता ने जल निगम की खूब खबर ली, लेकिन सवाल ये है—क्या सिर्फ शिकायतों से काम चलेगा? स्थानीय लोग पूछ रहे हैं, “जब सभासद साहब को सब पता था, तो पहले क्यों नहीं चेत गए?” और जल निगम के अफसर? वो तो अभी भी “फाइलों के जंगल” में खोए हैं। सियासतदां भी चुप हैं, शायद इसलिए कि गड्ढों में वोट तो पड़ते नहीं! लेकिन जनता का गुस्सा अब उबल रहा है। सोशल मीडिया पर #UtraulaGaddhaMahotsav ट्रेंड करने लगा है, और लोग जल निगम को “सड़क खनन मंत्रालय” का नया नाम दे रहे हैं।
Utraula Bus Trap-जल निगम का “जल”!
जल निगम, नाम तो ऐसा कि लगे पानी की धारा बहेगी, मगर ये तो गड्ढों की गंगा बहा रहे हैं! उतरौला की सड़कें अब चांद की सैर कराने को तैयार हैं—बस टिकट जल निगम फ्री में दे दे! गौसिया स्कूल के सामने का गड्ढा तो अब “टूरिस्ट स्पॉट” बन गया है। लोग फोटो खिंचवा रहे हैं, और बच्चे इसे “पानी का स्विमिंग पूल” कह रहे हैं। जल निगम वालों, थोड़ा शर्म कर लो! या फिर गड्ढों में “जल निगम का स्मारक” बनवा दो, ताकि दुनिया जाने कि लापरवाही का असली जलवा क्या होता है।
Utraula Bus Trap-अब क्या होगा?
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि जल निगम तुरंत गड्ढे भरे, वरना अगला प्रदर्शन उनके दफ्तर के सामने होगा। विकास गुप्ता ने वादा किया है कि वो इस मुद्दे को जिला प्रशासन तक ले जाएंगे। लेकिन सवाल वही—कब तक चलेगा ये “गड्ढा नाटक”? बारिश का मौसम सिर पर है, और अगर गड्ढे ऐसे ही रहे, तो उतरौला की सड़कें जल्द ही “नहर” बन जाएंगी। जनता का गुस्सा अब सड़कों से निकलकर सोशल मीडिया तक पहुंच गया है। क्या जल निगम सुधरेगा, या ये गड्ढे 2025 के चुनावी वादों का हिस्सा बन जाएंगे? वक्त बताएगा, मगर तब तक—सावधान, गड्ढा है!