 
                                                      
                                                Ambho Rape Case-आरजेडी की टीम जाएंगी घटना स्थल
Ambho Rape Case में 14 जून को नवगछिया के खरीक प्रखंड स्थित अम्भो गांव में एक दलित महिला के साथ दुष्कर्म और हत्या की वारदात सामने आई। घटना के 10 दिन बाद RJD की 9 सदस्यीय जांच टीम अब हरकत में आई है, जो 24 जून को गांव जाकर हालात की ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ तैयार करेगी।
जब इंसानियत की चीखें भी सुनने वाला कोई न हो
संवाददाता:सुजीत सागर।पटना
23 जून 2025।नवगछिया पुलिस जिला के खरीक प्रखंड स्थित अम्भो गांव से एक बार फिर बिहार की धरती कांप उठी है।
14 जून 2025 को एक गरीब, दलित और अत्यंत पिछड़ी जाति की महिला के साथ दुष्कर्म और फिर निर्मम हत्या कर दी गई। और अब, जब सरकारी आंखें धुंधली हैं, तब सियासत की टॉर्च जलाकर एक राजनीतिक जांच टीम गांव की ओर कूच कर रही है।
जिस गांव में एक बेटी की चीखें खेतों के सन्नाटे में खो गईं, वहां अब बड़े-बड़े नेताओं के कदम पड़ेंगे। लेकिन क्या अब भी इंसाफ की उम्मीद बाकी है?
Ambho Rape Case-RJD की जांच टीम: नाम बड़े, दरबार वही
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस अम्भो बलात्कार-हत्या कांड की जांच के लिए एक 9 सदस्यीय जांच टीम बनाई है। जांच टीम के मुखिया बनाए गए हैं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल।
टीम में शामिल हैं:
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. कांति सिंह
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय नारायण यादव
प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. तनवीर हसन
पूर्व मंत्री श्रीमती बीमा भारती
राष्ट्रीय महासचिव बीनू यादव
पूर्व लोकसभा प्रत्याशी कुमारी अनीता
प्रदेश महासचिव मदन शर्मा
प्रवक्ता और टीम सदस्य अरुण कुमार यादव
यानी पूरा काफिला अब अम्भो गांव की ओर कूच करेगा, जहां ज़मीन पर पड़े इंसाफ के सवालों को चश्मदीद तलाशेगा।
Ambho Rape Case-24 जून: जांच टीम का ‘धरातली दर्शन’
आरजेडी प्रवक्ता अरुण कुमार यादव ने जानकारी दी कि जांच टीम 24 जून 2025 को घटनास्थल पर जाकर “वास्तविक स्थिति” का संकलन करेगी और फिर उसे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने रखा जाएगा।
अब ये रिपोर्ट कितनी ‘सत्य के करीब’ होगी, ये तो रिपोर्ट से पहले जारी बयान ही बता रहे हैं।
Ambho Rape Case-सवालों के साये, औरत की लाश के इर्द-गिर्द
जिस अम्भो गांव की खबर कुछ दिनों पहले तक प्रशासन ने “स्थानीय मामला” बताकर दबा दी थी, वही अब राजनीतिक चौपाल का केंद्र बन गया है।
गांव की एक दलित महिला के साथ रेप हुआ। उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई।
लेकिन  न्याय अब भी कोसों दूर हैं।
आखिर क्यों?
क्या इसलिए कि पीड़िता पिछड़ी जाति से थी?
या इसलिए कि ये बिहार है – जहां अपराध से ज़्यादा अहम है कि वो किस जाति के साथ हुआ?
क्या ये भी रिपोर्ट बनकर फाइलों में बंद हो जाएगा?
हर बार की तरह, इस बार भी सियासत ने जांच का झंडा उठाया है।
लेकिन सवाल वही हैं –
क्या पीड़िता के परिवार को इंसाफ मिलेगा?
क्या आरोपी बच निकलेंगे, जैसे अमूमन होता है?
और क्या दलित महिलाओं की जान की कीमत सिर्फ चुनावी वादों तक सिमट गई है?
Ambho Rape Case-सत्ता चुप है, सड़कें गूंगी हैं
इस मामले में अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है।
जैसे किसी की जान गई ही नहीं।
विपक्ष जांच कर रहा है, प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है और मीडिया चैनल सिर्फ दोपहर की बहसों तक सीमित है।
ये खबर सिर्फ एक महिला की हत्या की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की बेबसी की कहानी है जहाँ न्याय भी जाति देखकर दिया जाता है।
24 जून को जांच टीम जाएगी, रिपोर्ट बनेगी, नेता बयान देंगे।
पर उस दलित महिला की चीखें, शायद अब भी अम्भो के खेतों में भटक रही होंगी.. जवाब तलाशती, इंसाफ के नाम पर।
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