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Punjab Politics New: पंजाब विकास प्राधिकरणों के अध्यक्ष पद पर सीएम नहीं..अब मुख्य सचिव – फैसले पर घिरी मान सरकार
Punjab Politics New: पंजाब की सियासत में एक बार फिर उबाल आ गया है। पंजाब कैबिनेट के ताजा फैसले ने हाउसिंग डेवलपमेंट की पूरी जिम्मेदारी मुख्य सचिव को सौंप दी है…जिसके बाद विपक्षी दलों ने भगवंत मान सरकार पर तीखा हमला बोला है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले को लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम पंजाब के आत्मसम्मान पर हमला है और सूबे ने दिल्ली के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
अकाली दल ने कहा- ये पंजाब के साथ धोखा
Punjab Politics New: पंजाब कैबिनेट ने हाल ही में एक अहम फैसला लिया, जिसमें सभी हाउसिंग डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स की कमान मुख्य सचिव को सौंप दी गई। विपक्ष ने इसे अभूतपूर्व कदम बताते हुए आरोप लगाया कि पहली बार किसी मुख्यमंत्री से शक्तियां छीनकर ब्यूरोक्रेसी को सौंप दी गई हैं।
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “पंजाब की जमीन और विकास का नियंत्रण अब आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के करीबी अधिकारी के हाथों में सौंप दिया गया है। यह पंजाब के साथ धोखा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पूरी तरह से सरेंडर कर दिया है।” सुखबीर ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार लुधियाना की 24 हजार एकड़ जमीन सहित पंजाब की जमीनों के अधिग्रहण की तैयारी कर रही है, जिसका उनकी पार्टी पुरजोर विरोध करेगी।
विपक्ष ने पूछा- सूबे पर शासन कौन कर रहा?
Punjab Politics New: कांग्रेस के नेता और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इस फैसले को पंजाब के आत्मसम्मान पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “मुख्य सचिव को इतनी बड़ी शक्तियां देना पंजाब की जनता के साथ विश्वासघात है। पंजाब के लोग अब आप नेताओं से पूछ रहे हैं कि आखिर सूबे पर शासन कौन कर रहा है?”
केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू (भाजपा) ने भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने एक फाइल पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया था, और अब उनकी शक्तियां छीनकर मुख्य सचिव को दे दी गई हैं। अब दिल्ली की टीम ही पंजाब की जमीन और हाउसिंग से जुड़े फैसले लेगी।”

सरकार का जवाब: फैसले से विकास को मिलेगी गति
Punjab Politics New: आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए इस फैसले को विकास के लिए जरूरी बताया है। वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा, “विपक्ष की बयानबाजी केवल ध्यान भटकाने की कोशिश है। देश के सभी बड़े शहरों में हाउसिंग डेवलपमेंट की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारियों के पास ही होती है। इस फैसले से पंजाब में विकास कार्यों को गति मिलेगी।” चीमा ने रवनीत बिट्टू पर पलटवार करते हुए कहा, “पूरा पंजाब जानता है कि बिट्टू ने केंद्रीय मंत्री पद हासिल करने के लिए भाजपा नेतृत्व के सामने घुटने टेके थे।”
कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सुखबीर बादल पर निशाना साधते हुए कहा, “सुखबीर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा अपने निजी स्वार्थों, जैसे होटल, फार्महाउस और जमीनों, को प्राथमिकता दी। आप सरकार के अच्छे कार्यों का विरोध करने का उन्हें कोई हक नहीं है।”
फैसले पर पंजाब की जनता में बहस
यह फैसला पंजाब की जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। कुछ लोग इसे प्रशासनिक सुधार के तौर पर देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे पंजाब की स्वायत्तता पर हमला मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले का असर न केवल पंजाब की सियासत पर, बल्कि हाउसिंग और रियल एस्टेट सेक्टर पर भी पड़ेगा।
विवाद में आगे क्या होने वाला है?
विपक्ष ने इस फैसले के खिलाफ सड़क से लेकर विधानसभा तक विरोध करने की घोषणा की है। शिअद ने लुधियाना में प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। दूसरी ओर, आप सरकार का दावा है कि यह कदम पंजाब में विकास को नई गति देगा।
आने वाले दिनों में यह सियासी जंग और तेज होने की संभावना है। पंजाब की जनता की नजर अब इस बात पर है कि यह फैसला सूबे के विकास को गति देगा या सियासी उथल-पुथल को और बढ़ाएगा।
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