Hospital Misbehavior-

Pilibhit news-पुजारी पहुंचे इलाज के लिए, जवाब में मिली अफसरशाही की तल्खी!

Hospital Misbehaviorसरकारी अस्पताल में दुर्व्यवहार,  जी हां,अक्सर आप इस बारे में सुनते या देखते होंगे,या कई बार इसके शिकार भी हुए होंगे,अब ताजा मामला पीलीभीत के बिलसंडा सीएचसी से आया है, जहां मरीज की तकलीफ से ज्यादा अहम हो गई अफसर की ईगो। खदानियां बाबा मंदिर के पुजारी अरुण शुक्ला शनिवार सुबह सांस की तकलीफ लेकर अस्पताल पहुंचे थे। लेकिन दवा से पहले मिली जुबानी फटकार – “रात में एक और भेजा था, अब फिर आ गए? ये अस्पताल है या धर्मशाला?”

पीलीभीत के बिलसंडा सीएचसी में इलाज नहीं ताने मिलते हैं?
पीलीभीत के बिलसंडा सीएचसी में इलाज नहीं ताने मिलते हैं?

ये वाक्य थे, अस्पताल अधीक्षक के। जिन्होंने रात के मरीज का सारा गुस्सा सुबह इलाज कराने पहुंचे पुजारी पर उतार दिया। ऐसे शब्द बोले जो पुजारी के शरीर को नहीं उनकी आत्मा को भी छलनी कर गए। पुजारी कोई वीआईपी बनकर नहीं आए थे, सांस लेने में तकलीफ थी– इलाज मांगने आए थे। लेकिन अफसर के व्यहार ने उनका ऐसा इलाज कर दिया, जिसे शायद ही वो कभी भूल पाएं।

MOIC का पक्ष आया सामने – कहा शराबी ने हंगामा किया, पुजारी से सिर्फ नाराज़गी जताई

जब बवाल मचा तो सीएचसी प्रभारी डॉक्टर आलमगीर सामने आए और सफाई दी – “रात में जो शख्स भर्ती कराया गया, उसने शराब पी रखी थी,उसने अस्पताल में हंगामा किया। इसलिए हमने पुजारी जी से कहा कि ऐसे केस को पुलिस के पास ले जाना चाहिए, अस्पताल लाना सही नहीं था।”

सीधे शब्दों में – इलाज से पहले अब मरीज की तहकीकात होगी। कौन भेज रहा है? किस मंशा से भेज रहा है? रात को भेजा, तो दिन में क्यों आया? और अगर कोई गड़बड़ निकल गई, तो भेजने वाले को डांटो!

पुजारी बोले – सांस अटक रही थी, भगवान के नाम पर रहम की उम्मीद थी, बदले में मिला ताना

Hospital Misbehavior-अस्पताल में इलाज नहीं ताने मिले
Hospital Misbehavior-अस्पताल में इलाज नहीं ताने मिले


पुजारी अरुण शुक्ला का दर्द अलग था। बोले – “हम चारधाम से लौटे थे, सांस लेने में दिक्कत हुई तो सुबह अस्पताल पहुंचे। लेकिन डॉक्टर साहब ने डांट लगाई जैसे हमने कोई अपराध कर दिया हो।”

यहां सवाल उठता है – क्या किसी बीमार शख्स को अस्पताल भेजना गलत है? क्या पुजारी जी ने कोई अपराध कर दिया था, जो अस्पताल अधीक्षक इतना भड़क गए? 

अस्पताल अधीक्षक के इस व्यवहार से नाराज पुजारी ने पुलिस में लिखित शिकायत दर्जा करा दी है, जिसके बाद अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है

 इस घटना में दोनों पक्ष अपनी बात कह रहे हैं, लेकिन जो गायब है, वो है संवेदनशीलता। डॉक्टर नाराज़ हो सकते हैं, लेकिन मरीज की बेइज्जती नहीं कर सकते। पुजारी जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन सांस अटकने पर सवाल नहीं, समाधान मिलना चाहिए।

Hospital Misbehavior-स्वास्थ्य विभाग की हकीकत: दावे vs सच्चाई

यह पूरा विवाद मरीजों के प्रति स्वास्थ्य विभाग के रवैये पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। सरकार भले ही मुफ्त इलाज और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। बिलसंडा सीएचसी जैसे छोटे केंद्रों में डॉक्टरों की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और मरीजों के साथ खराब व्यवहार की शिकायतें आम हैं। इस मामले में पुजारी और MOIC की तकरार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मरीजों को सम्मान और समय पर इलाज मिलना कितना मुश्किल है।

Hospital Misbehavior-क्या कहते हैं स्थानीय लोग?

स्थानीय लोगों का कहना है कि बिलसंडा सीएचसी में अक्सर मरीजों को स्ट्रेचर, बेड या दवाइयों के लिए भटकना पड़ता है। एक ग्रामीण ने बताया, “यहां डॉक्टर साहब का मूड अच्छा हो तभी इलाज मिलता है, वरना टरका दिए जाते हैं।” ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकारी अस्पताल मरीजों के लिए हैं या केवल कागजों पर चमकने के लिए?

Hospital Misbehavior-आगे क्या?

पुजारी की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया है। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब सीएचसी में विवाद हुआ हो। पहले भी कुशीनगर जैसे जिलों में मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच झड़प की खबरें सामने आ चुकी हैं।

 

बिलसंडा सीएचसी का यह मामला सिर्फ एक पुजारी और MOIC की तकरार तक सीमित नहीं है। यह स्वास्थ्य विभाग की उस व्यवस्था को आईना दिखाता है, जो मरीजों की जरूरतों को पूरा करने में नाकाम साबित हो रही है। जरूरत है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। आखिर, अस्पताल मरीजों के लिए ही तो हैं, धर्मशाला नहीं।

पीलीभीत। 21 जून 2024

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