 
                  Banda News: सनातन की रक्षा का भार महावीर हनुमान पर, नेता जी की चुप्पी पर सवाल
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Banda News: श्री महावीर संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जो भगवान महावीर हनुमान के नाम पर 1982 में स्थापित हुआ था, स्थानीय लोगों के मुताबिक ये श्री महावीर संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिछले करीब 30 वर्षों से बंद पड़ा है। सनातन धर्म की इस पाठशाला का कागजों पर तो अस्तित्व है, लेकिन हकीकत में ये खंडहर बन चुका है। ग्रामीणों का विश्वास अब न अधिकारियों पर है, न ही नेताओं पर। उनका कहना है कि केवल संकटमोचन हनुमान ही इस विद्यालय को बचा सकते हैं।
कौन लेगा विद्यालय की सुध ?
नरैनी विधानसभा क्षेत्र की विधायक ओममणि वर्मा ने हाल ही में लखनऊ से लौटकर विद्यालय की सुध लेने का वादा किया है। लेकिन सवाल ये हैं कि सनातन धर्म की रक्षा का दम भरने वाली पार्टी ने अब तक इस विद्यालय की बदहाली पर चुप्पी क्यों साध रखी है? क्या नेता जी को तब तक कोई संकट दिखाई नहीं देता, जब तक जनता उनके दरवाजे पर दस्तक न दे? उनकी निष्क्रियता और देरी से सनातन धर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर इतने वर्षों तक इस पाठशाला की उपेक्षा क्यों की गई? आखिर सांसद, विधायक जैसे जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान क्यों नहीं देते हैं ?

क्या सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड में चलेगा विद्यालय ?
विद्यालय की स्थापना संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और छात्रों की बौद्धिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए हुई थी। लेकिन यहाँ तैनात शिक्षक बिना पढ़ाए कागजी कार्यवाही पूरी कर वेतन ले रहे हैं, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। शिक्षा विभाग की उदासीनता संबंधित अधिकारियों, नेताओं की चुप्पी ने इस पाठशाला को संकट में डाल दिया है। बांदा जिले में कई अन्य संस्कृत विद्यालय भी निष्क्रिय हैं, लेकिन न तो जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान दे रहे हैं और न ही संबंधित विभाग के आला अधिकारी कोई ठोस कदम उठा रहे हैं। ऐसे में लगता है कि हम महावीर हनुमान ही कल्याण करेंगे !

ग्रामीणों को अब सिर्फ हनुमान जी से उम्मीद !
ग्रामीणों का कहना है कि महावीर हनुमान के आशीर्वाद से विद्यालय का प्रांगण गुलजार है, लेकिन उनके नाम पर बनी ये पाठशाला बदहाल है। सनातन धर्म के अनुयायियों से अपील है कि वे नेताओं और जिम्मेदारों से जवाब माँगें। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जनप्रतिनिधि और संबंधित विभाग के अधिकारी अब भी इस पाठशाला को बचाने में नाकाम रहे, तो ये सनातन धर्म और जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात होगा।

 
         
         
         
        