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पान थूकोगे तो जुर्माना झेलोगे!
पीलीभीत।संवाददाता-शकुश मिश्रा।20 जून 2025।
Puranpur Tehsil Fine – जी हां, अब पूरनपुर तहसील की दीवारों पर कला प्रदर्शन नहीं चलेगा। लाल-भूरे थूक के निशान बनाकर जिसने सरकारी भवन को अपनी आर्ट गैलरी समझ रखा था, अब उसके लिए एसडीएम साहब ने नया ‘कल्चर पॉलिसी’ लागू कर दी है—”थूकोगे तो 500 दो।”
Puranpur Tehsil Fine : फर्श नहीं कैनवास है क्या?
तहसील परिसर की हर दीवार, हर कोना अब तक ऐसा लग रहा था जैसे कोई रंगमंच हो—पान, गुटखा, तंबाकू, हर चीज़ से रचा गया आधुनिक भारत का गंदा पोस्टर। नये गमले आए, लोगों ने सोचा थूकने के लिए नए टारगेट मिल गए। मगर अब सरकार जागी है। नहीं, सफाईकर्मी नहीं, बल्कि नोटिसों की सेना आ गई है!
दीवार नहीं पिचकारी का टेस्टिंग लैब!
पान की पुड़िया खाकर लोग ऐसा थूकते हैं जैसे ताजमहल की ईंटों में रंग भर रहे हों। मगर अब जो थूका वो फंसा! 500 का जुर्माना एकदम कैश में कटेगा। पूछिए क्यों? क्योंकि “थूक भी अब सस्ता नहीं रहा, जनाब!”
Puranpur Tehsil Fine: गांव की तहसील या थूक का स्टूडियो?
अब तक अफसरों की नज़र फाइलों में गड़ी रहती थी, अब जाकर दीवारों की तरफ देखा गया। जहां-जहां पीक दिखी, वहां-वहां पेनल्टी का पोस्टर चस्पा हुआ। यह नया ‘थूक-पहचान योजना’ है—जिधर थूको, उधर नोटिस लगेगा!
जनता बोले – थूकने की आज़ादी का क्या हुआ?
कुछ लोकल कलाकरों ने कहा, “हमारे पान की धार पे ना जाने कितनों ने पहचान बनाई है!” मगर शासन का जवाब एकदम सीधा – “अब पहचान नहीं, जुर्माना बनेगी!” तहसीलदार भी बोले, “अब इस परिसर में गुटखा-गैलरी नहीं चलेगी, सिर्फ काम होगा!”
Puranpur Tehsil Fine : नोटिस बोले – थूको नहीं, सोचो!
गुरुवार को खुद एसडीएम अजीत प्रताप सिंह मैदान में उतरे। दीवारों की हालत देखी और फर्श की सच्चाई सुनी। फिर क्या था, फौरन लटकवा दिए नोटिस—”अब कोई भी नागरिक अगर थूकता मिला, तो जुर्माना वसूला जाएगा।” अब पान खाकर तहसील आना पड़ेगा भारी।
थूकने वाले अब तहसील में VIP नहीं, VAF (Very Annoying Fineable) हैं!
अब वो ज़माना गया जब सरकारी दफ्तरों की दीवारों पर थूकना एक लोक-कला समझा जाता था। अब हर थूक पर नजर है, हर पीक पर पहरा है। तहसील में थूकना अब वैसा ही है जैसे अदालत में मोबाइल बजाना—मूर्खता की चरम सीमा! थूकने वालों को अब नोटिस नहीं, नोट उड़ाने पड़ेंगे!
थूक से इन्कलाब नहीं, इनवॉइस निकलेगा!
एसडीएम साहब की मंशा साफ है—तहसील परिसर अब कोई लार टपकाओ चौराहा नहीं रहेगा। अगर आपके अंदर “थूकते हुए देशभक्ति” करने की भावना उमड़ रही हो, तो घर पर दीवार चुनें, या जेब में ₹500 तैयार रखें। क्योंकि अब सरकार पूछेगी नहीं, सीधे वसूल करेगी—”थूका क्यों था बाबूजी?”
अगर आपको अभी भी थूकने की आदत है, तो कृपया अपने घर की दीवारें चुनें—तहसील में आपकी थूक अब ₹500 की कला कहलाएगी।

 
         
         
         
         
        
Nice work.