Baghpat Honour Killing
🔥 क्योंकि अब इश्क़ पर फांसी लगती है।
Shivani Murder Case एक लड़की की मौत नहीं, उस सोच की जिंदा जलती तस्वीर है जो बेटी को प्यार नहीं, बस पिंजरा देती है। जिसने जनम दिया, उसी ने गला दबा दिया। जिसने बचपन में थपकी दी, उसी ने रात में चिता सजा दी। और जिस समाज में वो खेली थी, वो मूक दर्शक बना रहा — क्योंकि इज़्ज़त बचानी थी, बेटी नहीं।
वो सिर्फ लड़की नहीं थी, एक हिम्मत थी — जिसे इस समाज ने राख में बदल दिया
शिवानी का कसूर बस इतना था कि वो किसी से मोहब्बत करने लगी थी। मोहब्बत! वो शब्द जो फिल्मों में ताली बजवाता है, लेकिन असल में मौत का वारंट बन जाता है।
बाप ने मारा, मां ने जलाया, बहन ने चुप्पी से हामी भरी — और भाई तो वो निकला जिसने बहन की लाश ढोई।
अब पूछिए खुद से — क्या हमारे घरों में बेटी होना ही अब सबसे बड़ा अपराध है?
मां-बाप ने ली जान, फुफेरी बहन बनी साथी, भाई फरार है फरार
बेटी की जिंदगी से ज्यादा मां-बाप को “इज़्ज़त” प्यारी थी। और जब शिवानी ने अंकित से शादी की जिद की, तो पूरे खानदान ने साज़िश रच ली। Shivani Murder Case में सबसे पहले पुलिस ने उसके पिता संजीव और मां बबीता को पकड़ा — जिन्होंने बेटी को मारकर उसकी राख यमुना में बहा दी, जैसे सबूत नहीं इंसान को मिटा रहे हों। अब तीसरी गिरफ्तारी फुफेरी बहन पूजा की हुई है — यानी जो खून से जुड़ी थी, वही खून बहाने में शामिल निकली। और भाई रवि? वो तो अभी भी फरार है —
Shivani Murder Case-शिवानी की राख से उठे सवाल: कौन से संस्कार थे ये?
किस किताब में लिखा है कि बेटी अपनी मर्ज़ी से शादी चाहे, तो उसे मार दो? कौन सा धर्म, कौन सी जात, कौन सी मान-मर्यादा ये इजाज़त देती है कि रात में बेटी की लाश जलाकर उसे नदी में बहा दो? Shivani Murder Case सिर्फ ऑनर किलिंग नहीं, ये पूरे समाज के मुंह पर तमाचा है। जब एक पिता खुद अपनी बेटी को मिटा देता है, तब सवाल सिर्फ अपराध का नहीं — मानसिकता की सड़न का होता है।
Shivani Murder Case-अंकित का खुलासा, पुलिस की छानबीन और पाप का कबूलनामा
जब शिवानी का मोबाइल बंद मिला, तो प्रेमी अंकित ने पुलिस को सूचना दी — और यहीं से खुला ये सारा खेल। पुलिस की पूछताछ में बाप, मां ने खुद माना कि उन्होंने गला घोंटा, जला डाला, बहा दिया। अंकित की तहरीर पर चार नाम दर्ज हुए: पिता संजीव, मां बबीता, भाई रवि और फुफेरी बहन पूजा। अब तीन गिरफ्तार हैं, और आखिरी शिकारी जल्द सलाखों के पीछे होगा। एएसपी एनपी सिंह ने खुद पुष्टि की कि “शिवानी की हत्या एक साज़िश थी, जिसमें पूरा परिवार शामिल था।”
Shivani Murder Case नहीं, ये समाज का पोस्टमार्टम है
अब सवाल पुलिस पर नहीं — हम पर है, समाज पर है। बेटियां आज भी अपनी मर्ज़ी से प्यार करें तो जला दी जाती हैं? Shivani Murder Case चीख-चीखकर कहता है कि हमें बेटियों की सुरक्षा पर कानून नहीं, सोच बदलने की ज़रूरत है। अगर ये सोच न बदली, तो अगली राख किसी और शिवानी की होगी। और अगली यमुना फिर एक बेटी को निगल जाएगी।
