Sambhal Mandir Zameen Vivad

संभल में मंदिर की जमीन पर ‘कब्जे’ का खेल: भगवंतपुर देवी मंदिर ट्रस्ट ने नगर पालिका पर ठोका आरोप, हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला

Sambhal Mandir Zameen Vivad : देवी के नाम की ज़मीन पर ‘विकास’ का बुलडोज़र, मंदिर ट्रस्ट और पालिका आमने-सामने

संभल | 19 जून 2025 | रिपोर्टर: रामपाल सिंह
जहाँ आस्था का रंग चढ़ना चाहिए था, वहाँ अब सरकारी टेंडर की स्याही फैल चुकी है। संभल के बहजोई में मां भगवंतपुर वाली देवी मंदिर की मेला भूमि पर नगर पालिका बहजोई की गिद्धदृष्टि ने एक और धार्मिक विवाद को जन्म दे दिया है। Sambhal Mandir Zameen Vivad  अब आम मंदिर ट्रस्ट बनाम विकास की चालाक राजनीति में बदल गया है, जिसमें ईंट-गारे से ज़्यादा आग शब्दों की चल रही है।

दरअसल संभल के बहजोई में मां भगवंतपुर वाली देवी मंदिर की मेला भूमि पर नगर पालिका की कथित ‘लैंड ग्रैबिंग’ की साजिश ने तूल पकड़ लिया है। मंदिर ट्रस्ट ने पालिका पर 10 बीघा मेला भूमि पर सत्संग भवन बनाकर कब्जा करने और 2 करोड़ रुपये के सरकारी फंड के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगाया है। मामला हाईकोर्ट और चंदौसी न्यायालय तक पहुंच चुका है, फिर भी पालिका के अधिकारी टेंडर की शर्तों के खिलाफ मेला भूमि पर निर्माण की जिद पर अड़े हैं। गुरुवार को निर्माण शुरू करने पहुंचे पालिका अधिकारियों का मंदिर ट्रस्ट ने जमकर विरोध किया, जिसके बाद RRF फोर्स तैनात कर दी गई। SDM आशुतोष तिवारी ने मौके पर पहुंचकर जांच की, लेकिन सवाल वही—क्या मंदिर की जमीन पर ‘कब्जा’ का ये खेल रुकेगा, या संभल में एक और विवाद भड़केगा?

✍️ राजस्व अभिलेख कुछ कहते हैं, पालिका के इरादे कुछ और

इस विवाद की जड़ गाटा संख्या 633 है — वही भूमि, जो दशकों से भगवंतपुर वाली देवी मंदिर के ट्रस्ट के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है, जिसे “मेला प्रांगण” के नाम से जाना जाता है। अब यही ज़मीन नगर पालिका के सपनों की “सत्संग भवन” बनने जा रही है — वो भी 2 करोड़ रुपये की सरकारी अनुदान की मिठाई से लिपटी हुई।

राजस्व रिकॉर्ड्स गवाही दे रहे हैं कि ज़मीन की श्रेणी 6/4 है यानी सार्वजनिक धार्मिक गतिविधियों के लिए आरक्षित। लेकिन नगर पालिका के अफसरों की गवाही में ये बस “खाली पड़ी ज़मीन” है जिसे विकास के नाम पर भरा जा सकता है — बजट से, ईंटों से और शायद कुछ और से।

Sambhal Mandir Zameen Vivad:क्या है पूरा मामला?

मां भगवंतपुर वाली देवी मंदिर बहजोई कोतवाली क्षेत्र में स्थित है, जहां दशकों से होली और रामनवमी पर मेला लगता है। राजस्व विभाग के अभिलेखों में गाटा संख्या 633 (1.2590 हेक्टेयर) को मेला भूमि (श्रेणी 6/4) के रूप में दर्ज किया गया है, जिसका संचालन प्राचीन शक्तिपीठ मां भगवंतपुर वाली देवी मंदिर और मेला ट्रस्ट करता है। लेकिन नगर पालिका ने इस जमीन को सरकारी बताकर मेला प्रांगण पर सत्संग भवन बनाने की योजना बना ली। ट्रस्ट का आरोप है कि पालिका वंदन योजना के तहत मंदिर सौंदर्यीकरण के नाम पर 2 करोड़ रुपये का टेंडर निकालकर मेला भूमि पर कब्जा करना चाहती है, जो टेंडर की शर्तों के खिलाफ है। टेंडर में साफ लिखा है कि मंदिर कॉरिडोर का काम मंदिर परिसर और आंतरिक हिस्सों तक सीमित होगा, लेकिन पालिका मेला प्रांगण की खाली जमीन पर भवन ठोकने की फिराक में है।

🔥 हाईकोर्ट और चंदौसी कोर्ट तक पहुंच चुका है विवाद

मंदिर कमेटी के सदस्यों ने इस ज़मीन पर हो रहे कब्ज़े के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। वहां पालिका के वकील ने माना कि “पानी की टंकी हटी है, बाकी कोई निर्माण प्रस्तावित नहीं” — मगर ज़मीन पर JCB कुछ और ही कहानी खोद रही है।

Sambhal Mandir Zameen Vivad
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कमेटी पहले ही चंदौसी न्यायालय में केस दर्ज करा चुकी है, जो अब तक लंबित है। यानी कानून की चौखट पर दोनों पक्ष हाज़िर हैं, लेकिन ज़मीन पर विवाद ज्यों का त्यों गरम।

🧱 विकास का बहाना, कब्ज़े की कहानी

मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष अरुण कुमार गोस्वामी का साफ आरोप है: “पालिका मंदिर परिसर के बाहर की ज़मीन पर जबरन निर्माण कर रही है, जबकि टेंडर में साफ लिखा है — कॉरिडोर मंदिर के अंदर ही बनेगा।” सवाल यह है कि अगर ये कॉरिडोर है, तो फिर इसकी दीवारें मंदिर की सीमा से बाहर क्यों निकल रही हैं?

19 जून को पालिका के अधिकारी और राजस्व विभाग की टीम RRF फोर्स लेकर निर्माण स्थल पर पहुंच गए — लेकिन मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने तीखा विरोध जताया। वहां नोंकझोंक हुई, लहजे गरम हुए और आस्था की ज़मीन पर अफसरशाही की अकड़ टकरा गई।

एसडीएम पहुंचे मौके पर, रिपोर्ट ADM को भेजी

SDM (न्यायिक) आशुतोष तिवारी ने मौके पर पहुंचकर जमीन का निरीक्षण किया और कहा, “जांच में पाया गया कि ये मेला भूमि (श्रेणी 6/4) है। अभी कोई निर्माण शुरू नहीं हुआ। ADM से बात हो गई है, दोनों पक्षों को बुलाया जाएगा, और निर्देशों के मुताबिक कार्रवाई होगी। मगर सवाल बना हुआ है: जब तक निर्देश आएंगे, क्या तब तक निर्माण पूरा हो चुका होगा?

ट्रस्ट का गुस्सा: ‘पालिका की मंशा साफ नहीं’

ट्रस्ट अध्यक्ष अरुण कुमार गोस्वामी ने कहा, “ये 10 बीघा मेला भूमि दशकों से मंदिर के नाम दर्ज है। पालिका इसे हड़पने की साजिश रच रही है। 2 करोड़ का टेंडर मंदिर सौंदर्यीकरण के लिए था, न कि सत्संग भवन के लिए। टेंडर की शर्तें मंदिर परिसर तक सीमित हैं, फिर मेला भूमि पर भवन क्यों?” उन्होंने आरोप लगाया कि पालिका पिछले 6 महीने से इस जमीन पर नजर गड़ाए हुए है और भूमाफियाओं के साथ मिलकर इसे अपने कब्जे में लेना चाहती है।

पालिका की दलील: ‘जमीन हमारी, कार्रवाई वैध’

नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी आशुतोष तिवारी ने दावा किया, “गाटा संख्या 633 सरकारी जमीन है, जो पालिका के स्वामित्व में है। ट्रस्ट ने बिना अनुमति के इस पर कब्जा किया। वंदन योजना के तहत सौंदर्यीकरण का काम हो रहा है, और नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। जवाब न मिलने पर कार्रवाई होगी।” लेकिन ट्रस्ट का कहना है कि राजस्व अभिलेखों में जमीन मेला भूमि के नाम दर्ज है, और पालिका के दावे बेबुनियाद हैं।

Sambhal Mandir Zameen Vivad:संभल में धार्मिक जमीनों पर विवादों का ‘मेला’

संभल में धार्मिक स्थलों की जमीन पर विवाद कोई नई बात नहीं। हाल ही में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर बवाल मचा था। चंदौसी में 6 बीघा पालिका जमीन पर मस्जिद और 34 मकानों के अवैध निर्माण का मामला भी सुर्खियों में रहा। DM राजेंद्र पेंसिया के नेतृत्व में प्रशासन जहां प्राचीन मंदिरों और बावड़ियों की खोज में जुटा है, वहीं धार्मिक जमीनों पर कब्जे के आरोपों ने सवाल खड़े कर दिए। भ्रष्टाचार और भूमाफियाओं की साठगांठ के चलते संभल में धार्मिक स्थलों की जमीनें विवादों के केंद्र बन रही हैं।

Sambhal Mandir Zameen Vivad:कानूनी जंग और भ्रष्टाचार का साया

मंदिर ट्रस्ट ने पालिका पर भ्रष्टाचार का भी इल्जाम लगाया है। गोस्वामी ने कहा, “2 करोड़ का टेंडर मंदिर के लिए था, लेकिन पालिका इसे सत्संग भवन पर खर्च कर रही है। ये सरकारी पैसे की लूट नहीं तो और क्या?” हाईकोर्ट में पालिका की स्वीकारोक्ति के बावजूद निर्माण की जिद ने प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए हैं। चंदौसी न्यायालय में लंबित मुकदमा और राजस्व अभिलेखों में मेला भूमि का दर्ज होना ट्रस्ट के दावों को मजबूती देता है।

Sambhal Mandir Zameen Vivad:सवाल जो बेचैन करते हैं

अगर जमीन मेला भूमि के नाम दर्ज है, तो पालिका का ‘सरकारी’ दावा क्यों?
2 करोड़ का टेंडर मंदिर सौंदर्यीकरण के लिए था, तो सत्संग भवन की जिद क्यों?
हाईकोर्ट में पालिका ने निर्माण न करने की बात मानी, फिर निर्माण की तैयारी क्यों?
क्या भूमाफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत से मंदिर की जमीन हड़पी जा रही है?
योगी सरकार के ‘धर्मनगरी’ संभल में धार्मिक जमीनों पर कब्जा क्यों नहीं रुक रहा?

Sambhal Mandir Zameen Vivad:SDM की जांच, लेकिन जवाब कब?

SDM आशुतोष तिवारी ने कहा कि मामला ADM के पास है, और दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला होगा। लेकिन ट्रस्ट का गुस्सा बेकाबू है। गोस्वामी ने चेतावनी दी, “अगर पालिका ने मेला भूमि पर कब्जा की कोशिश की, तो हम सड़कों पर उतरेंगे।” संभल में पहले ही जामा मस्जिद और शिव मंदिर विवादों से माहौल गर्म है, और ये नया विवाद आग में घी डाल सकता है।

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