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फिरोजाबाद में बारिश(Firozabad rain) का पहला टीज़र क्या गिरा, स्मार्ट सिटी का पूरा ड्रामा हॉरर में एडिट हो गया। वार्ड नंबर 47 में अब बारिश से बचने की नहीं, जलपरी बनने की ट्रेनिंग चल रही है। यहां घर नहीं, टंकीनुमा आशियाने हैं — और लोग नहीं, चारपाई पर टिके हुए नाविक बचे हैं। पानी ऐसा कि अगर मोबाइल गिर जाए तो लोकल गोताखोर बुलाने पड़ें!
जहां देखो वहां पानी, और जहां न देखो वहां भी पानी — यानी Firozabad rain ने ये तय कर लिया है कि सड़कें बहेंगी, सिस्टम सोएगा और जनता चारपाई पर बैठकर ‘स्मार्ट सिटी’ के पोस्टर पर आंसू बहाएगी।
Firozabad rain–चारपाई: अब ये सिर्फ फर्नीचर नहीं, नाव भी है!
वार्ड 47 के हर घर में अब एक नई टर्म है — “चारपाई यान।” लोग चारपाई पर बैठकर चाय नहीं, संकट समीक्षा बैठक कर रहे हैं। खाना बनने का सवाल नहीं, क्योंकि गैस भी पानी में डूब चुकी है।

“स्मार्ट सिटी में रहते हैं”, कहकर जो रौब झाड़ा करते थे, अब वही लोग चारपाई पर बैठकर नगर निगम को ऐसे कोस रहे हैं जैसे पुरखों का कर्ज देना हो। अफरोज बेगम हों या अफसाना, सभी के घरों में सूप की तरह तैरता तंदूर, और आलू-प्याज की जगह तैरता डिब्बा मिल रहा है।
Firozabad rain-गली में पानी, दीवार में सीलन, और मुंह में गालियां!
बात बस घर तक नहीं, मोहल्ले की गलियों में पानी ऐसे भरा है जैसे किसी जल निगम ने वहाँ टंकी फोड़ी हो। मकानों में पानी, दीवारों में सीलन और लोगों के मन में गुस्सा — ये तीनों मिलकर स्मार्ट सिटी को साइलेंट सिटी बना चुके हैं।

पार्षद लाला राइन गांधी की दलील सुनिए — “रसूलपुर से नालबंद तक नाले का निर्माण चल रहा है, इसलिए नाला बंद कर दिया गया है।” वाह जी वाह! जैसे शादी के समय घर का शौचालय तोड़कर कहें, “बारात के बाद बनवाएंगे”। अब पानी कहां जाए? आपके विकास के स्वप्न में तो जनता का घर ही बह गया!
नगर निगम का समाधान: मोटर चला दो, और FIR कर दो!
जब एई फरहत खान बोले कि मोटर लगवा दी है, तो वाशिंदों ने सोचा — अब तो शांति मिलेगी। लेकिन मोटर पानी नहीं निकाल रही, सिर्फ आवाज़ कर रही है। जैसे नगर निगम की हर योजना — शोर ज़्यादा, असर कम।

FIR ठेकेदार पर हो गई, पर जनता का भरोसा कहां दर्ज हुआ? पानी निकालने की योजना पर भी पानी फिर गया है। नगर निगम का हाल ऐसा है कि जैसे पूरा सिस्टम “जल में जया हो” का भजन गा रहा हो।
Firozabad rain-ये विकास नहीं, डूबता हुआ वादा है
Firozabad rain ने साबित कर दिया कि स्मार्ट सिटी का तमगा सिर्फ पत्थर पर लिखा गया था, जमीनी सच्चाई में तो लोग कीचड़ में धंसे हैं। कोई नगर निगम को कोस रहा, कोई ठेकेदार को — लेकिन सबसे ज़्यादा गालियां उस सपने को मिल रही हैं जो कभी विकास कहा जाता था।
लोकेशन-फिरोजाबाद। संवाददाता-मुकेश कुमार बघेल
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