Firozabad Child Murder-हाथरस के बच्ची की फिरोजाबाद में हत्या

Firozabad Child Murder : 8 साल की बच्ची की हत्या, भूसे में छिपाया शव, इंसानियत शर्मसार

Firozabad Child Murder News

 इंसानियत को कलंकित करने वाली एक और दिल दहलाने वाली घटना (Child Murder) ने उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले को हिलाकर रख दिया। फिरोजाबाद के थाना नारखी क्षेत्र के बछगांव में 8 साल की मासूम की उसके ननिहाल में निर्मम हत्या (Firozabad Child Murder) कर दी गई। पड़ोसी परिवार ने कथित तौर पर बच्ची का गला दबाकर उसकी जान ली और शव को भूसे के ढेर में छिपाकर ऊपर से ईंटें रख दीं। यह राक्षसी कृत्य (Neighbor Murder Case) न केवल एक परिवार का दर्द है, बल्कि समाज और कानून व्यवस्था (Justice for Victims) की नाकामी का जीता-जागता सबूत है।
संवाददाता-मुकेश कुमार बघेल

Firozabad Child Murder: भूसे में दबी मासूम की लाश, इंसानियत फिर हारी, राक्षसी प्रवृत्ति जीती

Firozabad Child Murder- फिरोजाबाद में हाथरस के बच्ची की हत्या ने  ने फिर साबित कर दिया कि कुछ लोग अब इंसान नहीं बचे। हाथरस की आठ साल की  बच्ची, जो गर्मी की छुट्टियों में अपने ननिहाल फिरोजाबाद आई थी, उसे ऐसे दरिंदों ने मार डाला, जैसे वह कोई जीवित बच्ची नहीं, सिर्फ मिट्टी की गुड़िया हो। हत्या के बाद शव को भूसे में दबा दिया गया, ऊपर ईंटें रख दी गईं — ताकि उसकी सिसकियों तक को दफन किया जा सके।

 17 जून को खेलते-खेलते लापता हुई बच्ची की लाश 18 जून को पड़ोसियों के घर में मिली। यानी जिन पर भरोसा किया गया, वही सबसे बड़े भेड़िए निकले।

Firozabad Child Murder : आरोपियों की बर्बरता, और कानून की मखौल उड़ाती चुप्पी

हत्या के आरोपी पड़ोसी कौशल, उसका पिता अर्जुन, मां राधा और भाई मनीष को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

अब सवाल ये है कि क्या यही वो “न्याय” है, जो संविधान ने देने का वादा किया था? क्यों नहीं ऐसे मामलों में immediate public trial और death penalty within 30 days की व्यवस्था होती? क्यों ऐसी घटनाओं के बाद भी हम सिर्फ “पोस्टमार्टम रिपोर्ट” का इंतज़ार करते रह जाते हैं?

मासूमियत का गला घोंटने वालों को कब मिलेगा फांसी का फंदा?

बच्ची के परिजनों ने रेप की आशंका जताई गई है। पुलिस कह रही है – “पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है।” लेकिन क्या ये इंतज़ार समाज के घावों को भर देगा? क्या रिपोर्ट के बाद इंसानियत की लाश उठ खड़ी होगी?

सवाल उठता है – अगर कोई 8 साल की बच्ची को मारकर भूसे में छिपा सकता है, तो वो राक्षस नहीं तो और क्या है? और ऐसे राक्षसों के लिए हम अब भी IPC की धाराओं और कोर्ट की तारीखों में उलझे हैं?

Firozabad Child Murder: 8 साल की मासूम और भूसे का ढेर..

Firozabad Child Murder Case: इंसाफ कब, कैसे, और इतना देर क्यों?

ये कोई पहली बार नहीं हुआ। न ही आखिरी होगा — अगर हमने अब भी आंखें मूंद लीं। कानून की रफ्तार कछुए से भी सुस्त है और राक्षसों की गति बुलेट जैसी। कानून के हाथ अब लंबे नहीं, बल्कि कमजोर साबित हो रहे हैं। हर दिन एक नई बच्ची बलात्कार या हत्या की शिकार होती है और हम सोशल मीडिया पर मोमबत्तियां जलाकर चुप हो जाते हैं।

Firozabad Child Murder  अब एक केस नहीं, एक पुकार है – कि या तो ऐसे हैवानों को सजा मिले जो दहशत का प्रतीक बने, या फिर हम हर रोज एक और बच्ची को खोते रहेंगे। 

आखिर भारत में इन आंकड़ों में बढ़ोत्तरी क्यों हो रही है, वो भी जानना आपके लिए जरूरी है

भारत में बच्चियों के खिलाफ अपराधों के आंकड़े

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, भारत में बच्चियों के खिलाफ अपराध (Child Rape and Murder India 2025) एक गंभीर चुनौती बने हुए हैं:

2023 में बच्चियों के खिलाफ अपराध: 1,45,858 मामले दर्ज, जिनमें 31,677 रेप केस शामिल। औसतन 86 रेप प्रतिदिन।

2024 में रेप और हत्या के मामले: 32,000 से अधिक रेप केस, जिनमें 10% पीड़ित नाबालिग थीं।

2025 के अनुमानित आंकड़े (जनवरी-मई): 13,500 से अधिक रेप और हत्या के मामले, जिनमें 1,800 से ज्यादा बच्चियों की हत्या।

उत्तर प्रदेश की स्थिति: 2023 में 500 से अधिक दलित बच्चियों के साथ रेप, 2024 में 1,200 नाबालिगों के खिलाफ अपराध।

समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी

यह घटना समाज की विकृत मानसिकता और प्रशासन की नाकामी का परिणाम है। इंसान आज राक्षस बन चुका है, जो मासूम बच्चियों को भी नहीं बख्शता। प्रशासन को चाहिए कि:

फास्ट-ट्रैक कोर्ट: ऐसे मामलों की सुनवाई तुरंत हो।
सख्त सजा: दोषियों को ऐसी सजा दी जाए जो सबक बने।
जागरूकता अभियान: समाज में यौन हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाई जाए।
पुलिस सुधार: पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
8 साल के मासूम की हत्या (Firozabad Child Murder) सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि पूरे समाज और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है। जब तक दोषियों को त्वरित और कठोर सजा नहीं मिलेगी, तब तक मासूम बच्चियों के साथ ऐसे अपराध होते रहेंगे।

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