
Wood Mafia in Banda: लकड़ी माफियाओं ने सीसम का पेड़ काटा
लोकेशन-बांदा। संवाददाता-दीपक पांडेय
🌲 Wood Mafia in Banda: सीसम का पेड़ कटा, और अफसरों की जुबान भी!
बांदा के गुढाकला गांव में आजकल पेड़ नहीं काटे जा रहे, व्यवस्था की जड़ें उखाड़ी जा रही हैं।
कभी बालू माफिया, कभी भू माफिया… अब wood mafia ने मोर्चा संभाल लिया है और वन विभाग? वो “सोशल मीडिया पर हरियाली दिवस” मना रहा है।
रात के अंधेरे में सीसम के हरे-भरे पेड़ कटे, पर प्रशासन की नींद नहीं। क्योंकि यहां जब तक मीडिया न पूछे — “क्या साहब, कुछ देखा?”,
तब तक सब आंखें मूंदे बैठे रहते हैं… जैसे पेड़ नहीं, पान के खोखे उखाड़ दिए गए हों!
पेड़ कटे, तो एक्शन नहीं… सिर्फ आश्वासन उग आया! लेकिन जवाबदेही लुप्त
कृष्णकांत त्रिपाठी, जिन्हें अपने खेत की मेड़ में लगे सालों पुराने दो सीसम पेड़ कटे मिले, थाने से लेकर वन विभाग तक सबको शिकायतें दे चुके हैं।
पर कार्रवाई? “48 घंटे में दिख जाएगी” जैसी वर्दी-पहनी हुई शपथ मिल रही है।
जब khabrilal.digital की टीम वन अधिकारी के पास पहुंची और पूछा – “साहब, ये मामला पता है?”
तो साहब बोले – “नहीं… शिकायती पत्र नहीं मिला…”
जैसे वन विभाग कबूतर-पत्र व्यवस्था से चलता हो!
और जब तस्वीरें दिखाई गईं, तो अचानक अधिकारी साहब का मोबाइल नेटवर्क चालू हुआ – “अब एक्शन होगा, देख लेना!”
बांदा में कानून नहीं, आरा मशीन चल रही है! Wood Mafia बनाम वन विभाग की निद्रा
अब सवाल ये नहीं कि पेड़ कौन काट रहा है, सवाल ये है कि वन रक्षक कौन बचा रहा है?
वन विभाग का पूरा सिस्टम ATM मशीन की तरह है – जब कार्ड (शिकायत) डालो, तो “प्रोसेसिंग” शुरू होती है, और अंत में “ट्रांजैक्शन फेल्ड, ट्राई अगेन” आता है।
गांव का कोई दबंग अगर दिनदहाड़े पेड़ काट दे, और जिम्मेदार कहें – “हमें तो पता ही नहीं चला”,
तो अगली बार शायद गांव का पूरा जंगल कट जाए और अफसर कहें – “GPS सिग्नल नहीं था!”
🌿 पर्यावरण नहीं कट रहा, भरोसा कट रहा है!
पेड़ कटने के 24 घंटे बाद भी कोई एक्शन नहीं, कोई FIR नहीं, कोई जब्ती नहीं – बस चाय पर मीटिंग और माइक पर वादे।
वन रक्षक हैं लेकिन रक्षक नहीं, सिर्फ पेरोल वाले दर्शक बन चुके हैं।
बांदा में wood mafia अब सिर्फ लकड़ी नहीं काट रहा — वो भरोसे की जड़, कानून की शाखा, और जवाबदेही की छाल भी उधेड़ रहा है।
अब जब Wood Mafia खुलेआम पेड़ काट रहा है और वन विभाग “शिकायती पत्र ट्रैकिंग सिस्टम” पर सो रहा है, तो आम जनता को समझ लेना चाहिए कि अगला नंबर उनके खेत, बाग, या आंगन की छांव का भी हो सकता है। जब तक विभाग के कंधे पर सिर्फ फाइलों का बोझ रहेगा और आंखों पर ब्यूरोक्रेसी की पट्टी, तब तक Wood Mafia न केवल सीसम, बल्कि गांव की आत्मा को भी चीरते रहेंगे — और हम सिर्फ 48 घंटे गिनते रहेंगे।