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Uttar Pradesh Road Accident-उत्तर प्रदेश के बांदा में एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जहां मजदूरों को लेकर लौट रही एक तेज रफ्तार प्राइवेट बस मुरवल और अलिहा गांव के बीच खाई में पलट गई। इस हादसे  में डेढ़ दर्जन से अधिक मजदूर घायल हुए, जिनमें तीन की हालत गंभीर है। सभी घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
संवाददाता-दीपक पांडेय
Uttar Pradesh Road Accident:बांदा में दिल दहलाने वाला हादसा, मजदूरों की बस खाई में पलटी!
डेढ़ दर्जन मजदूर घायल, तीन की हालत गंभीर, क्या है यूपी में सड़क हादसों की सच्चाई?
Uttar Pradesh Road Accident -उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में रविवार की रात एक ऐसी त्रासदी हुई, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। प्रतापगढ़ से मजदूरों को लेकर लौट रही एक तेज रफ्तार प्राइवेट बस बबेरू कोतवाली क्षेत्र के मुरवल और अलिहा गांव के बीच अनियंत्रित होकर खाई में पलट गई। इस हादसे में डेढ़ दर्जन से अधिक मजदूर घायल हो गए, जिनमें तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। जैसे ही हादसे की खबर पुलिस को मिली, मौके पर पहुंची टीम ने एंबुलेंस की मदद से घायलों को बांदा के जिला अस्पताल पहुंचाया। लेकिन यह हादसा सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि यूपी की सड़कों पर बढ़ते खतरे की एक दर्दनाक कहानी है। आइए, इस त्रासदी की पूरी कहानी और यूपी के सड़क हादसों की हकीकत को जानते हैं।
Uttar Pradesh Road Accident: मजदूरों की चीखों ने रात का सन्नाटा तोड़ा
मुरवल गांव के पास रविवार देर रात जब बस अनियंत्रित होकर खाई में गिरी, तो मजदूरों की चीखों ने आसपास के सन्नाटे को चीर दिया। ये मजदूर, जो प्रतापगढ़ में मेहनत-मजदूरी कर अपने घर लौट रहे थे, उस पल को शायद ही कभी भूल पाएं। बस में सवार करीब 60 मजदूरों में से डेढ़ दर्जन से अधिक को चोटें आईं, जिनमें से तीन की हालत बहुत गंभीर है। बबेरू के क्षेत्राधिकारी सौरभ सिंह ने बताया कि घायलों को तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये हादसे बार-बार क्यों हो रहे हैं? क्या इन मेहनतकश मजदूरों की जिंदगी इतनी सस्ती है?
Uttar Pradesh Road Accident:बांदा के जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग
जिला अस्पताल में घायलों के परिजनों की भीड़ और उनकी आंखों में बेबसी ने माहौल को और भी भारी बना दिया। डॉक्टरों ने बताया कि कुछ मजदूरों को मामूली चोटें आईं, लेकिन तीन मजदूरों की हालत गंभीर होने के कारण उनकी जिंदगी अब भी खतरे में है। घायलों में ज्यादातर बरेली के नवाबगंज और आसपास के गांवों के निवासी हैं, जो अपने परिवारों का पेट पालने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। इस हादसे ने न सिर्फ उनके शरीर को चोट पहुंचाई, बल्कि उनके परिवारों के सपनों को भी झकझोर दिया। यह दुखद घटना हमें यूपी की सड़कों पर सुरक्षा की कमी की ओर इशारा करती है।
यूपी में सड़क हादसों का खतरनाक आंकड़ा
उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे कोई नई बात नहीं हैं। 2023 में यूपी में सड़क हादसों में 23,652 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है। 2021 में बसों से जुड़े हादसों की संख्या 3 थी, जो 2020 के 8 से कम थी, लेकिन कुल सड़क हादसों की संख्या में कमी नहीं आई। 2022 में यूपी में 22,655 मौतें और 29,000 चोटें सड़क हादसों में दर्ज की गईं। बांदा में ही 2020 में एक बस और टेंपो की टक्कर में 6 लोग मारे गए थे। हाल के वर्षों में बुलंदशहर, मिर्जापुर, और सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में भी बस हादसों ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। तेज रफ्तार, खराब सड़कें, और ड्राइवर की लापरवाही इन हादसों के प्रमुख कारण हैं। बांदा का यह हादसा भी तेज रफ्तार का नतीजा बताया जा रहा है। क्या इन आंकड़ों के पीछे छिपी कहानियों को हम नजरअंदाज कर सकते हैं?
तेज रफ्तार और लापरवाही: हादसों की जड़
बांदा के इस हादसे में प्राइवेट बस की तेज रफ्तार को मुख्य कारण माना जा रहा है। पुलिस के अनुसार, ड्राइवर ने बस पर नियंत्रण खो दिया, जिसके बाद यह खाई में जा गिरी। यूपी में सड़क हादसों के पीछे तेज रफ्तार, नशे में ड्राइविंग, और खराब सड़कें प्रमुख कारण हैं। 2019 में यूपी में 1,000 से अधिक लोग सिर्फ गड्ढों की वजह से मारे गए थे। यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे जैसे हाईवे भी हादसों के लिए कुख्यात हैं। बांदा जैसे ग्रामीण इलाकों में सड़कों की खराब हालत और ओवरलोडेड बसें खतरे को और बढ़ा देती हैं। क्या यह समय नहीं कि हम सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लें?
Uttar Pradesh Road Accident:सड़क सुरक्षा: एक अनसुनी पुकार
 Uttar Pradesh Road Accident -हर हादसे के बाद सवाल उठता है कि आखिर कब तक मासूम जिंदगियां सड़कों पर यूं बिखरती रहेंगी? बांदा के इस हादसे ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा की जरूरत को रेखांकित किया है। यूपी सरकार ने ‘विजन जीरो’ जैसे प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, जो हाई-रिस्क सड़कों पर हादसों को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन क्या ये कोशिश पर्याप्त हैं? मजदूरों जैसे कमजोर वर्ग, जो रोजी-रोटी के लिए सस्ती बसों पर निर्भर हैं, सबसे ज्यादा खतरे में हैं। सरकार, पुलिस, और हम सभी को मिलकर सड़क सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे, ताकि कोई और परिवार इस दर्द से न गुजरे।
क्या है आगे का रास्ता?
बांदा के इस हादसे ने न सिर्फ मजदूरों के परिवारों को झकझोरा, बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया। घायलों की जिंदगी अब डॉक्टरों के भरोसे है, लेकिन उनके परिजनों की आंखों में डर और उम्मीद का मिश्रण साफ दिखता है। सड़क हादसे की यह कहानी सिर्फ बांदा तक सीमित नहीं है; यह यूपी की सड़कों की सच्चाई है।
बांदा में हुआ यह हादसा एक दर्दनाक याद दिलाता है कि सड़क पर लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है। डेढ़ दर्जन घायल मजदूरों की कहानी सिर्फ आंकड़ों का हिस्सा नहीं, बल्कि उन परिवारों का दर्द है जो अपने अपनों की सलामती की दुआ कर रहे हैं। यूपी में 2023 में 23,652 सड़क हादसों की मौतें हमें चेतावनी देती हैं कि अब बदलाव का समय है।
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